चीनी चेतावनी दरकिनार, नेपाल डेमोक्रेसी समिट में भाग लेगा

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 01-12-2021
शेर बहादुर देउवा
शेर बहादुर देउवा

 

काठमांडू. नेपाल में सत्ता परिवर्तन के साथ ही चीन का दबाब और प्रभाव भी कम होता जा रहा है. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन द्वारा आयोजित समिट फॉर डेमोक्रेसी को चीन ने वन चाइना पॉलिसी के विरोध में होने की बात सार्वजनिक रूप से व्यक्त की. इसके बावजूद चीन के प्रभाव में रहे कई देश इस समिट में सहभागी होने की घोषणा कर चुके हैं. इनमें नेपाल भी शामिल हो गया है.

चीन ने इस समिट में सहभागी नहीं होने के लिए अपने पड़ोसी नेपाल पर भी दबाब बनाया था. नेपाल को इस ग्लोबल समिट में सहभागी होने से रोकने के लिए काठमांडू में रही चीनी राजदूत होउ यांकी ही नहीं, बीजिंग में रहे कम्यूनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के विदेश विभाग प्रमुख सांग ताओ तक लगातार नेपाल सरकार और सत्तारूढ़ गठबन्धन के नेताओं पर दबाब बना रहे थे.

नेपाल में चीन की राजदूत ने तो पिछले दिनों नेपाल के विदेश मंत्री डा. नारायण खड्का से मुलाकात कर इस समिट में सहभागी नहीं होने की नसीहत दी थी. बावजूद इसके कल प्रधानमंत्री शेर बहादुर देउवा ने कैबिनेट से ही इस समिट में सहभागी होने का फैसला करवा लिया है.

कैबिनेट बैठक के निर्णय की जानकारी देते हुए नेपाल सरकार के प्रवक्ता ज्ञानेन्द्र बहादुर कार्की ने कहा है कि अमेरिका के राष्ट्रपति द्वारा आयोजित समिट फॉर डेमोक्रेसी में प्रधानमंत्री अपने 11सदस्यीय प्रतिनिधिमण्डल के साथ सहभागी होने वाले हैं.

नेपाल को इस समिट में सहभागी होने से रोकने के लिए सीपीसी के विदेश विभाग प्रमुख सांग ताओ ने सत्तारूढ़ गठबंधन के दो प्रमुख नेताओं माओवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रचण्ड तथा समाजवादी के अध्यक्ष माधव नेपाल से बातचीत कर भी प्रधानमंत्री पर दबाब डालने की कोशिश की गई थी.

नेपाल में चीन की राजदूत ने 12नवम्बर को विदेश मंत्री खड्का से मुलाकात कर दबाब डाला था. इस मुलाकात की पुष्टि नेपाल के विदेश मंत्रालय की आधिकारिक ट्विटर हैंडल से दी गई थी.

इसी तरह 22नवम्बर को नेपाल के उपराष्ट्रपति नन्दकिशोर पुनः को एक कार्यक्रम में बुलाकर चीन की राजदूत ने दबाब डाला था. इसी कार्यक्रम में वर्चुअली मौजूद सीपीसी विदेश विभाग के प्रमुख सांग ताओ ने भी अप्रत्यक्ष रूप से यह बताया था कि अमेरिकी राष्ट्रपति द्वारा आयोजित सम्मेलन चीन की वन चाइना पॉलिसी के खिलाफ है और चीन के मित्र देशों को इससे अपने आपको अलग रखना चाहिए.

इसी कार्यक्रम में नेपाल के सत्तारूढ़ गठबंधन के नेता माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड और नेकपा समाजवादी के अध्यक्ष माधव नेपाल भी सहभागी थे. इन दोनों नेताओं को भी चीन के तरफ से नेपाल के इस समिट में सहभागी होने पर ‘उचित’ नहीं होने की नसीहत दी गई थी.

दो दिन पहले नेपाल की सत्तारूढ़ गठबन्धन की बैठक में इन दोनों नेताओं ने प्रधानमंत्री पर दबाब भी डाला था, लेकिन प्रधानमंत्री ने सत्तारूढ़ गठबंधन के नेताओं के दबाब को भी नजरअंदाज करते हुए इस सम्मेलन में सहभागी होने का फैसला किया है.