मोदी-हसीना मुलाकातः अहम मसले पर चर्चा

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 27-03-2021
‘बंगबंधु-बापू’ डिजिटल प्रदर्शनी के दौरानी नरेंद्र मोदी और शेख हसीना
‘बंगबंधु-बापू’ डिजिटल प्रदर्शनी के दौरानी नरेंद्र मोदी और शेख हसीना

 

आवाज-द वॉयस/ ढाका

भारतीय प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने शनिवार को कहा कि बांग्लादेश सांप्रदायिक सद्भाव का एक मजबूत उदाहरण है. नई दिल्ली, ढाका के साथ "हर समय" मजबूती के साथ सहयोग करेगी. उन्होंने यह टिप्पणी गोपालगंज जिले में मतुआ समुदाय के सदस्यों को संबोधित करते हुए ओराकांदी मंदिर की यात्रा के दौरान की.

इस मंदिर को मतुआ समुदाय के पांच करोड़ से अधिक लोगों के लिए सबसे पवित्र स्थान माना जाता है. इसकी स्थापना बांग्लादेश और भारतीय राज्य पश्चिम बंगाल में रहने वाले हरिचंद ठाकुर ने की थी.

मोदी ने कहा, "मैं ओराकांदी की इस पवित्र भूमि पर आने के लिए धन्य हूं. यह ओराकांदी ठाकुर के आशीर्वाद के कारण संभव हो पाया है. जब मैं पहली बार 2015 में बांग्लादेश आया था, तो मुझे उम्मीद थी कि किसी दिन मैं यहां आ सकूंगा. मेरी यह इच्छा आज पूरी हो गई है."

प्रधानमंत्री ने कहा, "हम हरिचंद ठाकुर और उनके बेटे गुरुचंद ठाकुर द्वारा निर्देशित तरीके से आगे बढ़ रहे हैं."

"जॉय बांग्ला, जॉय हिंद, भारत-बांग्लादेश मैत्री चिरोजिबी होक."

मोदी ने ठाकुर परिवार के सदस्यों से भी मुलकात की.

ओराकांदी जाने से पहले उन्होंने बांग्लादेश के राष्ट्रपिता शेख मुजीबुर रहमान को तुंगीपारा स्थित उनके समाधिस्थल पर श्रद्धांजलि अर्पित की. वह गोपालगंज भी गए.

सतखिरा जिले के जशोरेश्वरी काली मंदिर में सुबह पूजा करने के बाद मोदी हेलीकॉप्टर से तुंगीपारा पहुंचे. मोदी तुंगीपारा जाने वाले पहले भारतीय राष्ट्राध्यक्ष हैं. वह दो दिवसीय यात्रा पर शुक्रवार को ढाका पहुंचे और बांग्लादेश की आजादी के 50 साल और बंगबन्धु की जन्म शताब्दी समारोह में भाग लिया.
 

ढाका. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी नेे बांग्लादेश के दौरे के दूसरे दिन आज शाम बांग्लादेशी की अपनी समकक्ष शेख हसीना से मुलाकात की. इस दौरान दोनों के बीच लंबी बातचीत हुई. उनकी बातचीत पर दूसरे देशों की निगाहें टिकी  हैं. अभी उनकी बातचीत सामने नहीं आई है कि उनमें क्या बातें हुईं.

मगर अटकलों का दौर जारी है. बात दें कि हाल के दिनों में भारत और बांग्लादेश काफी करीब आए हैं. पीएम मोदी के बांग्लोदश दौरे से पहले भारत ने बांग्लादेश को कई महत्वपूर्ण सौगात दिए हैं. प्रधानमंत्री का आज रात ही स्वदेश रवाना का कार्यक्रम है.

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ढाका. बांग्लादेश की प्रधानमंत्री शेख हसीना और उनके भारतीय समकक्ष नरेंद्र मोदी ने ‘बंगबंधु-बापू’ डिजिटल प्रदर्शनी का दौरा किया, जो शेख मुजीबुर रहमान और महात्मा गांधी के जीवन को याद करता है.

प्रदर्शनी में बांग्लादेश और भारत को एकजुट करने वाले खून और साझा बलिदानों के बंधन को दिखाया गया है. इसका आयोजन यहां बंगबंधु इंटरनेशनल कॉन्फ्रेंस सेंटर (बीआईसीसी) में किया जा रहा है.

बांग्लादेश के बाद, 17 दिसंबर, 2020 को एक आभासी शिखर सम्मेलन के दौरान हसीना और मोदी ने वर्चुअली इस प्रदर्शन का उदघाटन किया था. इसे डिस्पले के लिए संयुक्त राष्ट्र भेजा जाएगा और 2022 में कोलकाता में इसका समापन होगा.

शुक्रवार शाम को बंगबंधु की छोटी बेटी शेख के साथ दोनों नेताओं ने एक फोटो सेशन में हिस्सा लिया.

1971 के मुक्ति संग्राम के दौरान पाकिस्तानी सेना द्वारा बांग्लादेशी महिलाओं पर हुए अत्याचार, बलात्कार और बर्बर अत्याचार की तस्वीरें भी प्रदर्शनी में शामिल की गई हैं.

17 दिसंबर, 2020 से 31 जनवरी तक, नई दिल्ली के विज्ञान भवन में दो महान स्वतंत्रता सेनानियों पर अपनी तरह की पहली डिजिटल प्रदर्शनी आयोजित की गई थी.

ढाका प्रदर्शनी के क्यूरेटर बिराद राजाराम याग्निक ने हसीना और मोदी को प्रदर्शनी की जानकारी दी, जिसे दो दिनों के लिए बीआईसीसी में रहने के बाद एक महीने के लिए ढाका में शिल्पकला अकादमी स्थानांतरित कर दिया जाएगा.

बाद में, प्रदर्शनी को तीन सप्ताह के लिए सभी संभागीय शहरों में ले जाया जाएगा.

दोनों देशों के विभिन्न ऐतिहासिक घटनाओं पर तस्वीरों और डिजिटल सामग्री के अलावा, दो महान नेताओं के ऐतिहासिक उद्धरण भी प्रदर्शित किए जाएंगे.

प्रदर्शनी के रुचि का प्रमुख बिंदु एक ‘मीटिंग वॉल’ है, जिसमें रहमान और गांधी दोनों एक फ्रेम में हैं. इसमें दोनों नेताओं के हस्ताक्षर और उनके पसंदीदा संगीत का भी उल्लेख है.

गांधी का नमक मार्च और बंगबंधु के 7 मार्च 1971 को दिए ऐतिहासिक भाषण इसका मुख्य आकर्षण हैं.

अलग-अलग ऐतिहासिक घटनाओं पर बंगमाता शेख फाजिलतुनैसा मुजीब और प्रधानमंत्री शेख हसीना की तस्वीरों को भी डिजिटल रूप से प्रदर्शित किया गया है.

बंगबंधु के जन्म शताब्दी और देश की आजादी की स्वर्ण जयंती के समारोह में शामिल होने के लिए मोदी दो दिवसीय राजकीय यात्रा पर शुक्रवार को ढाका पहुंचे.

बांग्लादेश सरकार ने 17 मार्च, 2020 से 26 मार्च, 2021 तक ‘मुजीब बोरशो’ (मुजीब वर्ष) घोषित किया.

लेकिन, कोविड-19 महामारी के कारण, सरकार ने समारोहों को बढ़ाया है.