उइगुर मुस्लिमों का नरसंहारः चीन और तालिबान की दोस्ती से खफा हुआ आईएसआईएस

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 05-02-2022
प्रतीकात्मक चित्र
प्रतीकात्मक चित्र

 

नई दिल्ली. अफगानिस्तान में इस्लामिक स्टेट के सहयोगी, आईएसआईएस-खोरासन ने शिनजियांग में ‘उइगर मुसलमानों के उन्मूलन’ के बावजूद चीन के साथ अपने घनिष्ठ संबंध बनाए रखने के लिए तालिबान की आलोचना की. ‘वॉयस ऑफ खुरासान’ नामक एक प्रचार पत्रिका में, आईएसआईएस-के ने तालिबान के सदस्यों की एक तस्वीर भी आईएसआई प्रमुख के साथ नमाज करते हुए साझा की, जिसमें बताया गया कि तालिबान के कई प्रशिक्षण शिविर और धार्मिक स्कूल पाकिस्तान में स्थित हैं.

आतंकवादी संगठन ने तालिबान द्वारा चीन, ईरान और रूस की कई बैठकों और यात्राओं पर आपत्ति जताई है, उन्हें ‘इस्लाम का सबसे बड़ा दुश्मन’ कहा है.

आईएसआईएस-के के अनुसार, तालिबान उइगर मुसलमानों के उन्मूलन को चीन के आंतरिक मामले के रूप में मानता है. रूसी, ईरान शासन और उसके प्रॉक्सी द्वारा की गई सामूहिक हत्याओं को भी उनके अधिकार क्षेत्र से बाहर माना जाता है.

समूह ने अंतरराष्ट्रीय मान्यता के तालिबान के प्रयास का समर्थन नहीं किया है, यह कहते हुए कि वे ‘अपनी प्यास बुझाने की जरूरतों के लिए राजनीतिक और अंतर्राष्ट्रीय मान्यता प्राप्त करना चाहते हैं.’ आईएसआईएस-के ने तालिबान की बहिष्कारवादी नीतियों पर भी सवाल उठाया और कहा कि समूह के ‘चरम राष्ट्रवादी और आदिवासीवाद’ का ‘इस्लामिक सिस्टम’ से कोई लेना-देना नहीं है.

उसके अनुसार, चरम राष्ट्रवाद और आदिवासीवाद का मुद्दा, जिसका इस्लामी व्यवस्था से कोई लेना-देना नहीं है, समूह के भीतर हमेशा मौजूद रहता है. प्यार और नफरत मुसलमान होने के बजाय कबीले पर निर्भर करते हैं.

तालिबान ने पिछले साल अगस्त में अफगानिस्तान पर नियंत्रण हासिल कर लिया थ्र और एक समावेशी सरकार बनाने का वादा किया था, जैसा कि अंतरराष्ट्रीय समुदाय द्वारा मांग की गई थी, जिसे शायद ही पूरा किया गया हो. सुन्नी पश्तून समूह ने सितंबर में अपनी गैर-मौजूद समावेशिता को प्रदर्शित करने के लिए अपने मंत्रिमंडल का विस्तार किया, क्योंकि इसने जातीय अल्पसंख्यक समुदायों जैसे कि हजारा और उज्बेक्स के सदस्यों को कुछ महत्वहीन विभाग दिए.

आईएसआईएस-के ने अपनी पत्रिका में कहा, ‘आज भी समूह के भीतर बड़ी घुसपैठ मौजूद है, क्योंकि पश्तूनों, उज्बेक्स, तुर्कमेनिस्तान के बीच मजबूत नफरत मौजूद है.’

तालिबान का कट्टर दुश्मन आईएसआईएस-के जिहाद का सच्चा ध्वजवाहक होने का दावा करता है. वह अफगानिस्तान में कुछ सबसे घातक आतंकी हमलों के लिए कुख्यात है और उसने फरवरी 2020 में दोहा में हस्ताक्षरित तालिबान और अमेरिका के बीच समझौते को खारिज कर दिया है. हाल के दिनों में, आईएसआईएस-के ने ‘मुजाहिदीन’ को लड़ाई में शामिल होने का आह्वान करते हुए कहा, ‘लड़ाई अभी शुरू हुई है.’