सात दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कैसे किया कब्जा ?

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 19-08-2021
 जानते हैं सात दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कैसे किया कब्जा ?
जानते हैं सात दिनों में तालिबान ने अफगानिस्तान पर कैसे किया कब्जा ?

 


आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
   
एसोसिएटेड प्रेस के अनुसार, एक हफ्ते पहले, जब तालिबान ने दूरदराज के गांवों के अलावा प्रमुख सीमा व्यापार गलियारों पर कब्जा कर लिया था, तब भी कई लोग उम्मीद कर रहे थे कि तालिबानियों को रोका जाएगा. लेकिन उसके बाद भी उन्होंने शहरों को जीतना जारी रखा. फिर काबुल में सरकार को उखाड़ फेंका और सत्ता पर काबिज हो गए.
 
काबुल में एक सप्ताह पहले जनजीवन सामान्य था. थोड़ा संतुष्ट नागरिक लोकतंत्र और स्वतंत्रता के फल का आनंद ले रहे थे, लेकिन फिर सिर्फ सात दिन बाद, सभी देश छोड़ने के लिए हवाई टिकट खरीदने को दौड़ पड़े. हजारों नागरिकों ने एटीएम पर कब्जा कर लिया. वे मशीनों से बाहर निकलने के लिए संघर्ष करते रहे.
 
काबुल यूनिवर्सिटी की 22 साल की छात्रा आयशा खुर्रम के मुताबिक, ‘‘लोग इस वक्त एक ही बात सोच रहे हैं कि यहां कैसे गुजारा जाए या यहां से कैसे बाहर निकला जाए.‘‘अपनी शिक्षा और भविष्य के बारे में अनिश्चित, छात्र को यह नहीं पता कि क्या वह विश्वविद्यालय में वापस आ पाएगी या उसे आगे की पढ़ाई से रोक दिया जाएगा. आयशा खुर्रम ने कहा, ‘अभी हमारे पास सिर्फ अल्लाह हैं.
 
एक देश जो पीढ़ियों से युद्धरत है, पिछले सप्ताह के सात दिन भी अपने नागरिकों के लिए अद्भुत थे.सप्ताह की शुरुआत सोमवार की सुबह इस खबर के साथ हुई कि तालिबानियों ने उत्तरी अफगान शहरों ऐबक और सरिपुल पर कब्जा कर लिया है.
कई जिलों में, सरकारी बलों ने बिना किसी लड़ाई के आत्मसमर्पण कर दिया, जबकि कई क्षेत्रों में जहां लड़ाई छिड़ गई, सैकड़ों नागरिक अपने घरों से भागते और सैकड़ों पर कई किलोमीटर पैदल चलते देखे.
 
उत्तरी अफगान प्रांत तखर की रहने वाली बीबी रकियाह ने कहा कि उनके घर पर बमबारी की गई. ‘‘हम चप्पल पहनकर घर से निकले थे. हमारे पास जूते पहनने का मौका नहीं था. हमें वैसे भी अपनी जान बचानी थी.‘‘ इस बीच,अफगानिस्तान में अमेरिका के विशेष दूत, जलमई खलीलजाद, कतर की राजधानी दोहा पहुंचे, और तालिबान को चेतावनी दी कि जबरन कब्जे को वैश्विक समुदाय नहीं माना जाएगा और दुनिया आतंकवादियों को काट देगी. बावजूद इसके
 
तालिबान लड़ाके आगे बढ़ते रहे और कूटनीति से मसले के हल की संभावना खत्म हो गई. तालिबान बलों ने पश्चिमी शहर फराह पर कब्जा कर लिया. उनके लड़ाके प्रांतीय गवर्नर कार्यालय के बाहर खड़े देखे गए.जैसे-जैसे अमेरिका और सहयोगी सेनाओं के अफगानिस्तान से हटने की समय सीमा नजदीक आती गई, तालिबान लड़ाके तेजी से आगे बढ़ते गए. काबुल के पार्कों में देश के अन्य हिस्सों से विस्थापित अफगानों का निवास होने लगा.
 
इस बीच, संयुक्त राष्ट्र ने मानवीय संकट की ओर ध्यान आकर्षित किया. इसके मानवाधिकार प्रमुख, मिशेल बाचेलेट ने कहा कि नागरिकों के हताहत होने और घायल होने की सही संख्या का पता लगाया जा रहा है, जो बहुत अधिक हो सकती है.
बुधवार, ११ अगस्त को ऐसी खबरें सामने आईं कि तालिबान ने बदख्शां, बगलान और फराह सहित तीन और प्रांतों की राजधानियों पर कब्जा कर लिया है. इस प्रकार, तालिबान ने अफगानिस्तान के दो-तिहाई हिस्से पर नियंत्रण कर लिया.
 
इस बीच, अफगान राष्ट्रपति अशरफ गनी बल्ख प्रांत पहुंचे, जो तालिबान लड़ाकों से घिरा हुआ था. अशरफ गनी ने बल्ख में उत्पीड़न और भ्रष्टाचार के आरोपों का सामना कर रहे सरदारों की मदद से तालिबान को पीछे धकेलने की पूरी कोशिश की.
 
व्हाइट हाउस में, अमेरिकी राष्ट्रपति जो बिडेन ने खुफिया रिपोर्टों पर देश से भाग रहे अफगानों को निकालने की योजना को मंजूरी दी. अफगान सरकारी बल तालिबानियों का विरोध करने में विफल रहे.
देश में विभिन्न मोर्चों पर रक्षा बोझ रखने वाले अफगान विशेष बलों की संख्या तेजी से घट रही थी.
 
इस दौरान, तालिबान की उन्नति में वृद्धि हुई और कब्जे का विस्तार जारी रहा. लड़ाकू अब अमेरिकी ट्रकोंए राइफल के साथ दिखाई देने लगे. गुरुवार, 12 अगस्त को तालिबान को दूरदराज के इलाकों और गांवों तक सीमित रखने की उम्मीदें तब धराशायी हो गईं, जब देश के दूसरे और तीसरे सबसे बड़े शहर तालिबान के हाथों में आ गए. 
 
हेरात और कंधार पर कब्जा करने के बाद, दर्जनों प्रांतों के प्रमुख शहर अब उग्रवादी नियंत्रण में थे. जैसे ही सुरक्षा की स्थिति बिगड़ती गई, संयुक्त राज्य अमेरिका ने घोषणा की कि काबुल से राजनयिक कर्मचारियों को निकालने के लिए 3,000 सैनिकों को भेजा जा रहा है.हेरात की रहने वाली 26 वर्षीय जहरा ने कहा कि वह अपनी मां और तीन बहनों के साथ रात के खाने के लिए जा रही थी, जब उसने गोलियों की आवाज सुनी. नागरिकों को भागते हुए देखा, लोग बोल रहे थे, ‘‘तालिबान आ गया है.‘‘
 
जहरा के मुताबिक, उन्होंने अपना पूरा जीवन अफगानिस्तान में बिताया है. वह पिछले पांच सालों से महिलाओं के अधिकारों के लिए काम करने वाले एक एनजीओ से जुड़ी हैं. उन्होंने कहा,‘‘मैंने अपना जीवन लड़कियों को शिक्षित करने और महिलाओं के काम को आगे बढ़ाने के लिए समर्पित कर दिया है. अब मेरे लिए घर पर छिपना कैसे संभव है,‘‘ 
 
हेरात पर हमले के दो हफ्ते बाद, शहर आतंकवादियों के कब्जे में आ गया, और स्थानीय लोगों के अनुसार, कैद किए गए कई लोग सड़कों पर घूम रहे थे.