तालिबान की खुराफात के पीछे कहीं पाकिस्तान तो नहीं

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 02-08-2021
तालिबान की खुराफात के पीछे कहीं पाकिस्तान तो नहीं !
तालिबान की खुराफात के पीछे कहीं पाकिस्तान तो नहीं !

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
 
अमेरिकी फौजियों की वापसी के बाद तालिबान द्वारा खून-खराबा करने के पीछे क्या पाकिस्तान का हाथ है ? क्या उसके भेजे हुए कारिंदे अफगानिस्तान का माहौल खराब कर रहे हैं  ? दरअसल, ये महत्वपूर्ण सवाल सोशल मीडिया पर वायरल हो रही एक सूची से खड़े हुए है.
 
पश्तो लीडर मंजूर अहमद और यूएसए के संगठन पश्तो तहफ्फुज मूवमेंट के समर्थक सुहैल नूर खान ने दो लंबी-चैड़ी सूची जारी कर दावा किया है कि इसमें शामिल लोग अफगानिस्तान में तालिबानियों के लिए लड़ रहे हैं. दो पेज की यह लंबी-चैड़ी सूची हाथ से तैयार की गई है. इसमंे शामिल नामों के आगे उनका पूरा ब्योरा है. बताया गया है कि तालिबान की ओर से लड़ते हुए ये कब कहां मारे गए.
 
इस लिस्ट के साथ एक ट्विट भी है, जिसमें लिखा  है-‘‘उन लोगों की सूची है जो पिछले कुछ महीनों में अफगान सेना से लड़ने गए और मारे गए. सभी पाकिस्तानी नागरिक हैं. कोई अफगान शरणार्थी नहीं है. हाँ, श्रीमान इमरान खानपीटीआई, पाकिस्तान कोई पनाहगाह नहीं है. पाकिस्तान अफगानिस्तान के खिलाफ खुद ही यह जंग लड़ रहा है.’’
 
सुहैल नूर खान के इस ट्विट पर जबर्दस्त प्रतिक्रिया हुई है. हालाकि कुछ लोग इसे झूठा करार दे रहे हैं. पाकिस्तान की सत्तारूढ़ पीटीआई के एक समर्थक हुसैन खान ने इसे फेक बताया. लिखा है-यह फेक न्यूज है.झूठा प्रापगंडा बंद करें.इंशाअल्लाह तुम्हारी चाल कामयाब नहीं होने देंगे.’ इस टविट के बावजूद सुहैल नूर खान की बातों पर यकीन करने वालों की संख्या अधिक है.
 
वैसे, कई बार अंतरराष्ट्रीय मंच से इस ओर इशारा किया चुका है कि पाकिस्तान अपने लाभ के लिए तालिबानियों को भड़का रहा है. इस समय कई लाख तालिबान पाकिस्तान मंे शरण लिए हुए हैं, जिनमें से बड़ी संख्या में अफगान से लड़ने के लिए तालिबान गए हुए हैं. तहरीक-ए-तालिबान पाकिस्तान नामक आतंकवादी संगठन भी पाकिस्तान की ही पैदावार है. इस समय उसके गुर्गे भी अफगानियों के खिलाफ लड़ रहे हैं.
 

तालिबान शांति प्रक्रिया के बारे में झूठ बोल रहे हैंः अशरफ गनी

उधर, अफगानिस्तान के राष्ट्रपति अशरफ गनी ने कहा है कि तालिबान अफगान शांति प्रक्रिया के बारे में झूठ बोल रहे हैं. वे तब तक शांति प्रक्रिया में शामिल नहीं होंगे जब तक अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति नहीं बदल जाती.
 
अशरफ गनी ने कैबिनेट की पहली डिजिटल बैठक को संबोधित करते हुए यह बात कही.उन्होंने कहा कि अगले छह महीनों में अफगानिस्तान में सुरक्षा की स्थिति बदल जाएगी. अफगान शहरों की सुरक्षा उनकी प्राथमिकता है.
 
उन्होंने कहा कि तालिबान नहीं बदला है. वे देश की शांति या विकास नहीं चाहते हैं. तालिबान ने विद्रोही समूहों को देश में प्रवेश करने की अनुमति दी है.उन्होंने कहा,‘‘तालिबान हमारे जैसा भविष्य चाहता है.