गूगल से इस्लाम नहीं समझा जा सकता, इसलिए आतंकवादी आयतों की गलत व्याख्या कर आतंकवाद फैलाने में सफल हैं: अब्दुल मोकसिथ गजाली
मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली
दुनिया की सर्वाधिक मुस्लिम आबादी वाले देश इंडोनेशिया के हिदायतुल्लाह स्टेट इस्लामिक यूनिवर्सिटी के उशुलुद्दीन संकाय के व्याख्याता व नहदतुल उलमा कार्यकारी बोर्ड (पीबीएनयू) के उप सचिव अब्दुल मोकसिथ गजाली ने कहा है कि कुरान के कुछ सूरह का गलत व्याख्या कर आतंकवाद और फितना को बढ़ाया जा रहा है.
गजाली ने कहा कि आतंकवाद के जोर को कम करने के लिए इंडोनेशिया में कुरान को नए सिरे से समझने के लिए व्यापक स्तर पर काम चल रहा है.अब्दुल मोकसिथ गजाली नई दिल्ली के इंडिया इस्लामिक कल्चरल सेंटर में मंगलवार को आयोजित ‘द रोल ऑफ उलेमा इन फॉस्टेरिंग ए कल्चर ऑफ इंटरफेथ पीस एंड सोशल हार्मोनी इन इंडिया एंड इंडोनेशिया’ शीर्षक से आयोजित संगोष्ठी के तीसरे और आखिरी सत्र को संबोधित करते रहे थे.
उन्होंने कहा कि बिना अध्ययन और गुरु के कुरान और इस्लाम को नहीं समझा जा सकता. उन्हांेने ‘गूगल से ज्ञान’ लेने वालों पर चुटकी लेते हुए कहा कि ‘गूगल शेख’ से नहीं इस्लाम और कुरान को अध्ययन व उस्ताद की मदद से समझें.
गजाली सेंट्रल इंडोनेशियाई उलेमा काउंसिल में इंटरफेथ हार्मोनी कमीशन के अध्यक्षभी हैं. इसके अलावा वह इंडोनेशिया विश्वविद्यालय के नहदतुल उलमा कॉलेज ऑफ अल कुरान साइंस (पीटीआईक्यू) संस्थान जकार्ता के अस्थायी व्याख्याता भी हैं.
उन्होंने अरबी में संगोष्ठी को संबोधित करते हुए सूफीवाद को अपने अंदाज में परिभाषित किया. उन्होंने कहा कि यह दिलांे को जोड़ता है. विभिन्न मतावलंबियों के बीच पुल का काम करता है. सूफीवाद एक हाल से दूसरे हाल की ओर ले जाता है. यह सभी धर्म के मानने वालों के लिए है.
उन्होंने कहा कि यह गोष्ठी भी दूसरे धर्मों के बीच पुल का काम करेगा. उन्हांेने कट्टरवाद के खात्मे की ओर इशारा करते हुए कहा, ‘‘बर्दाश्त बुनियादी जरूरत है.’’
कुरान और इसकी कुछ आयतांे की आड़ में आतंकवाद और कट्टरवाद फैलाने वालों पर प्रहार करते हुए कहा, ‘‘कुरान की कई आयतों को आतंकवाद फैलाने के लिए इस्तेमाल किया जाता है.
उन्हांेने आयात सैफ का नाम लेते हुए कहा कि इसका आतंकवाद को बढ़ावा देने के लिए दुरूपयोग किया जा रहा है. इसके अलावा भी उन्होंने कई सूरह और आयतों का जिक्र किया.
साथ ही कहा कि यह आयतें खास वक्त में, खास व्यक्ति और खास मसले को निपटाने के लिए थीं. तब का माहौल कुछ और था और अब का कुछ और है. इसलिए कुरान को मौजूदा रोशनी में देखने की जरूरत है.
इस संगोष्ठी में इस्लामिक विद्वान, मुस्लिम बुद्धिजीवी और विभिन्न धर्मों के गुरू मौजूद रहे. उन्हें संबोधित करते हुए अब्दुल मोकसिथ गजाली ने कहा,‘‘ इसलिए यह मुमकिन ही नहीं कि मौजूदा वक्त में उन आयतों को समझे बगैर आतंकवाद का खात्मा किया जा सकता है.
उन्होंने खास तौर से अरबी के ‘तसव्वुफ’ का जिक्र किया जिसका अर्थ सूफीवाद होता है.
इब्राहिमी सितु बोंडो विश्वविद्यालय, पूर्वी जावा से स्नातक और सियारिफ हिदायतुल्लाह स्टेट इस्लामिक यूनिवर्सिटी से मास्टर और डॉक्टरेट तथा जैनुल हुदा इस्लामिक बोर्डिंग व सलाफियाह सयाफियाह इस्लामिक बोर्डिंग स्कूल से स्कूलिंग करने वाले अब्दुल मोकसिथ गजाली ने कहा, ‘‘इंडोनेशिया में कुरान को नए से समझने के लिए अभियान चलाया जा रहा है.
इसके प्रचार प्रसार के लिए लेख लिखे जा रहे हैं. पुस्तकें छापी जा रही हैं और संवाद के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं ताकि आतंकवाद को सिरे से खत्म किया जा सके.
इसके बाद आतंकवादी किसी सूरह की गलत व्याख्या कर लोगों को बरगला नहीं सकेंगे. उन्होंने कहा कि हम दीन को ‘गूगल शेख’ की मदद से नहीं समझ सकते. इसे समझना है तो कुरान, उस्ताद और अध्ययन से समझा जा सकता है. उन्हांेने कहा-शरियह ही नहीं समझेंगे तो आतंकवाद कैसे खत्म करेंगे.
अब्दुल मोकसिथ गजाली ने कहा, इल्म की कमी से आतंकवाद पनप रहा है.’’ उन्होंने खास तौर से मुसलमानों को इंगित करते हुए कहा, कुरान को समझने के लिए अरबी का इल्म जरूरी है.कुरान तो पढ़ सकते हैं, समझ नहीं सकते.
अब्दुल मोकसिथ गजाली ने कहा, ‘‘अल्लाह का कलाम केवल कुरान में नहीं है. इसे बुलंद निगाह से भी समझा जा सकता है.