क्या भारत-पाकिस्तान रिश्ते में जमी बर्फ पिघलने की वजह यूएई है !

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 24-03-2021
क्या भारत-पाकिस्तान रिश्ते में जमी बर्फ पिघलने की वजह यूएई है !
क्या भारत-पाकिस्तान रिश्ते में जमी बर्फ पिघलने की वजह यूएई है !

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / इस्लामाबाद
 
पिछले बीस दिनों में दो पड़ोसी देश भारत और पाकिस्तान काफी करीब आए हैं. प्रत्यक्ष या परोक्ष वार्ता भी शुरू हो गई है. यहां तक कि पाकिस्तान की ओर से सीजफायर के उल्लंघन की घटनाएं भी कम हुई हैं. ताजी घटना है कि भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कोरोना से पीड़ित पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की न केवल खैरियत पूछी, मंगलवार को उन्हांेने ‘पाकिस्तान दिवस’ उन्हें फोन पर बधाई भी दी.
 
अब दोनों देश न केवल युद्धाभ्यास में शिरकत करने वाले हैं, बल्कि दिल्ली और इस्लामाबाद में  राजदूतों की तैनाती की भी कोशिशें तेज हो गई हैं.
 
सवाल यह है कि पुलवामा में पाकिस्तानपरस्त आतंकवादियों के अर्धसैनिक बलों के जवानों पर हमले के बाद भारत और पाकिस्तान के रिश्ते में आई खटास अचानक दूर क्यों होने लगी है ? हालांकि इसकी पहल भारत की ओर से नहीं की गई है. भारत ने तो उसे एक तरह से विश्व बिरादरी में अलग-थलग कर रखा है.
 
यह पहल पाकिस्तान की ओर से हुई है. दोनों पड़ोसी देशों में रिश्ते बेहतर करने के बयान बारबार पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और उनके सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा की ओर से आ रहे हैं. यहां तक कि पाकिस्तान दिवस पर ऐसा ही बयान दिल्ली में तैनात पाकिस्तान के उच्चायोग के मुख्य प्रभारी ने भी दिया है.भारत कहता रहा है कि ‘आतंकवाद और वार्ता’ एक साथ नहीं चल सकते.
  
दरअसल, दोनों देशों के बिगड़े रिश्ते में सुधार के पीछे कुछ खास लोगों की भूमिका मानी जा रही है. भारत में इसका श्रेय राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार अजीत डोभाल को दिया जा सकता है. डोभाल कहते रहे हैं-‘‘ युद्ध में सैनिक अपने शहीद हों या किसी और देश के, हैं तो वह किसी के पिता, पति, बेटे’’. एक खबर यह भी है कि किसी तीसरे देश में अजीत डोभाल की पाकिस्तान के राष्ट्रीय सुरक्षा सलाहकार की मुलाकात हो चुकी है, जिसका बाद में पाकिस्तान ने खंडन कर दिया था.
 
अब पाकिस्तान मीडिया की ओर से खबर आई है. उसकी मानें तो पाक-भारत शांति प्रयासों, दोनों देशों के बीच संबंधों को सामान्य बनाने में संयुक्त अरब अमीरात गुप्त तौर पर प्रयास कर रहा है. इसके चलते ही दोनों देश शंघाई सहयोग संगठन के तहत आतंकवाद विरोधी अभ्यास में भाग लेने वाले हैं.
 
एक अन्य खबर में कहा गया कि अमेरिका अफगानिस्तान में दोनों देशों के बीच टकराव को समाप्त करने पर काम कर रहा है. अमेरिकी मीडिया ने दावा किया है कि शांति के लिए व्यापक रोडमैप शुरू हो गया है. इसमें तीन अहम बिंदु रखे गए हैं. कश्मीर पर अंतिम निर्णय, व्यापार फिर से शुरू करना और दोनों देशों में राजदूतों की नियुक्ति.
 
इस महीने के अंत में दोनों देशों के विदेश मंत्रियों की भी मुलाकात की उम्मीद है. हालांकि दोनों देशों के करीब लाने में संयुक्त अरब अमीरात कोई भूमिका निभा रहा है ? इसको लेकर उसकी ओर से अब तक कोई टिप्पणी नहीं की गई है.
 
बावजूद इसके अमेरिकी मीडिया ने दावा किया है कि यूएई ही पाकिस्तान और भारत के बीच हाल में हुए संघर्ष विराम समझौते के पीछे है. दोनों देशों के बीच स्थायी शांति के लिए संघर्ष विराम समझौता एक व्यापक रोडमैप का हिस्सा है.
 
गौरतलब है कि पिछले महीने सेना स्तर पर हुई बातचीत के बाद भारत-पाकिस्तान सीमा पर सीजफायर के उल्लंघन का मामला बहुत हद तक कम हो गया है. अन्यथा पिछले वर्ष पाकिस्तान की ओर से पांच हजार से अधिक बार कश्मीर बाॅर्डर पर सीजफायर का उल्लंघन किया गया था.
 
पाकिस्तान के प्रतिष्ठित अखबर ‘जंग’ में रफीक मंगत ने अमेरिकी मीडिया के हवाले से अपनी एक रिपोर्ट में कहा है कि अब राजदूतों की नियुक्ति, व्यापार और कश्मीर के मुददे पर अंतिम निर्णय होने वाला है. यह भी दावा किया गया है कि इस बार के प्रयास अतीत में हुई तमाम कोशिशों की तुलना में अधिक मजबूत होंगें, क्योंकि जो बाइडन अफगानिस्तान में शांति पर जोर दे रहे हैं और वहां किसी तरह का कोई टकराव नहीं चाहते.
 
अमेरिकी मीडिया की रिपोर्ट के हवाले से कहा गया है कि 2003 के संघर्ष विराम समझौते का सम्मान करने के लिए पाकिस्तानी और भारतीय सैन्य अधिकारियों द्वारा एक दुर्लभ संयुक्त प्रतिबद्धता ने दुनिया को चैंका दिया. समझौते के कार्यान्वयन में चैबीस घंटे भी नहीं लगे थे. समझौते के कार्यान्वयन की घोषणा के तुरंत बाद ही संयुक्त अरब अमीरात के शीर्ष राजनयिक एक दिवसीय यात्रा पर दिल्ली के लिए रवाना हो गए थे.
 
कहते हैं कि 26 फरवरी को यूएई की उच्च स्तरीय बैठक में, विदेश मंत्री शेख अब्दुल्ला बिन जायद ने अपने भारतीय समकक्ष, एसजे शंकर के साथ अपनी बातचीत में संकेत दिया था, जिसमें उन्होंने सामान्य हित के सभी क्षेत्रीय और अंतर्राष्ट्रीय मुद्दों पर चर्चा की थी. बताते हैं कि कुछ महीने पहले यूएई द्वारा शुरू की गई गुप्त वार्ता ने पाक-भारत संघर्ष विराम समझौते को सिरे चढ़ाया है.
 
तभी से युद्ध विराम की शुरुआत हो गई थी. अब दिल्ली और इस्लामाबाद में राजदूतों की बहाली की प्रक्रिया शुरू होने वाली है. 2019 में दोनों देशों ने जम्मू कश्मीर से अनच्छेद 370 हटने के बाद उपजे हालात के बाद अपने-अपने राजदूत बुला लिए थे.
 
‘जंग’ का कहना है कि राजदूतों की तैनाती, व्यापार शुरू करने की प्रक्रिया और कश्मीर का अंतिम समाधान थोड़ा चुनौती भरा है. कई वर्षों से कश्मीर का मामला विवादों मंें रहा है. समय-सयम पर भावनाएं भड़काने के लिए कश्मीर का मुद्दा उछाला जाता रहा है. बताया जा रहा है कि अफगानिस्तान के लिए बाइडेन प्रशासन की व्यापक शांति वार्ता को देखते हुए,
 
मौजूदा प्रक्रिया पिछले प्रयासों की तुलना में अधिक स्थिर लगती है. भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान के यूएई से अच्छे संबंध हैं. इस बीच कांग्रेस सांसद शशि थरूर ने भी अपने ट्वीट में कहा है कि अगर मीडिया अटकलें नहीं लगा रहा, तो यूएई के विदेश मंत्री अब्दुल्ला बिन नाहयान भारत और पाकिस्तान के बीच रिश्ता कायम करने में सक्षम होंगे, फिर उन्हें नोबेल पुरस्कार से सम्मानित किया जाएगा.हालांकि, दूसरी ओर पाकिस्तान के वरिष्ठ पत्रकार हामिद मीर जैसे लोगों का एक वर्ग भारत-पाकिस्तान के बीच सुधरते रिश्ते पर सवाल उठा रहा है.