गृह मंत्रालय की पहलः गुजरात के दो जिलों में सीएए हुआ आसान, तीन देशों के लोग आसानी से ले सकेंगे नागरिकता

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 02-11-2022
गृह मंत्रालय की पहलः गुजरात के दो जिलों में सीएए हुआ आसान
गृह मंत्रालय की पहलः गुजरात के दो जिलों में सीएए हुआ आसान

 

आवाज द वॉयस /आनंद (गुजरात)

गृह मंत्रालय की पहल से गुजरात के दो जिलों में तीन पड़ोसी देशों के पीड़ित अल्पसंख्यकांे को नागरिकता संशोधन अधिनियम (सीएए) के तहत नागरिका देने की प्रक्रिया आसान कर दी गई है.
 
गृह मंत्रालय द्वारा नए नियम के तहत, जिला कलेक्टरों को लोगों की जांच करने और उन्हें नागरिकता देने का अधिकार दे दिया गया है. गृह मंत्रालय ने पाकिस्तान, अफगानिस्तान और बांग्लादेश के हिंदुओं, सिखों, बौद्धों, जैनियों, पारसियों और ईसाइयों के लिए नागरिकता प्राप्त करने की पूरी प्रक्रिया को सरल बना दिया है.
 
नए नियम के तहत, अब कलेक्टरों को लोगों की जांच करने और उन्हें नागरिकता देने का  अधिकार है. आनंद के कलेक्टर डीएस गढ़वी ने कहा, मेहसाणा और आनंद कलेक्टरों को नागरिकता देने का अधिकार दिया गया है.
 
पाकिस्तान के सिंध से ताल्लुक रखने वाली आनंद मिताली माहेश्वरी के तारापुर की निवासी ने नागरिकता के लिए आवेदन किया और वह सरकार के फैसले से खुश है.मिताली माहेश्वरी के मुताबिक, उनके माता-पिता को 2019 में ही भारतीय नागरिकता मिल गई थी, लेकिन उनकी बड़ी बहन और छोटे भाई को अभी तक नागरिकता नहीं मिली है.
 
वर्तमान में, मिताली और उनकी बड़ी बहन ने नागरिकता के लिए आवेदन किया है और इसे प्राप्त करने के लिए आशान्वित हैं.बता दें कि नागरिकता संशोधन अधिनियम 11 दिसंबर, 2019 को संसद द्वारा पारित किया गया था. अगले दिन राष्ट्रपति की मंजूरी भी मिल गई थी.
 
जनवरी 2020 में मंत्रालय ने अधिसूचित किया कि अधिनियम 10 जनवरी, 2020 से लागू होगा है. बाद में इसने राज्य सभा और लोकसभा में संसदीय समितियों से नियमों को लागू करने के लिए कुछ और समय देने का अनुरोध किया. 
 
इससे पहले संसदीय समितियों से छह बार इसके विस्तार के लिए समय मांगा था. सीएए नियमों को अधिसूचित करने के लिए जून 2020 में पहला विस्तार दिया गया था.नए कानून के तहत पाकिस्तान, बांग्लादेश और अफगानिस्तान के हिंदू, जैन, सिख, पारसी, ईसाई और बौद्ध समुदायों के प्रवासियों को नागरिकता प्रदान किया जाना है.
 
इसकी संसद में विपक्ष ने तीखी आलोचना की थी. इसके बावजूद प्रस्ताव पारित कर दिया गया था. विपक्ष का आरोप है कि इस कानून में राजनीतिक एजेंडे के तहत जान-बूझकर मुसलमानों को छोड़ दिया गया.
 
इसके साथ ही गृह मंत्री अमित शाह अवैध अप्रवासियों की पहचान करने के लिए भारतीय नागरिकों का राष्ट्रीय रजिस्टर (एनआरसी) तैयार करने के लिए एक राष्ट्रव्यापी अभ्यास चलाने के पक्ष में हैं.
 
विपक्ष का आरोप है कि इसे मुसलमानों को मताधिकार से वंचित करने के कथित इरादे से किया जाएगा. सीएए का देशव्यापी विरोध भी हो चुका है. कई राज्यों ने नए नागरिकता कानून को नहीं लागू करने की घोषणा की है.