आवाज द वाॅयस / नई दिल्ली
देहरादून स्थित भारतीय सैन्य अकादमी से प्रशिक्षित मोहम्मद अब्बास, जिसे ‘शेरू‘ भी कहा जाता है, को तालिबान के राजनीतिक कार्यालय का प्रमुख बनाया गया है. उन्होंने 1982में सैन्य अकादमी में प्रशिक्षण लिया था.
उनके एक पुराने बैचमेट्स ने शेरू के बार में कई अहम बातें बताईं. उनके अनुसार, तब वह कट्टरपंथी नहीं थे. आकर्षक मूंछ रखते थे.मीडिया से बात करते हुए सेवानिवृत्त मेजर जनरल डीए चतुर्वेदी ने कहा कि तब वह एक मिलनसार, सामान्य आदमी थे.
बताते हैं कि राजनीति विज्ञान का अध्ययन करने बाद, शेर मोहम्मद आईएमए में शामिल हुए. करीब 1.5साल तक प्रशिक्षण लिया. अभी वह तालिबान के शीर्ष राजनीतिक नेताओं में हैं.
एक अंग्रेजी अखबार के अनुसार, ‘शेरू‘ जब 20वर्ष के थे, 1982बैच में देहरादून के आईएमए में शामिल हुए थे. सेवानिवृत्त कर्नल केसर सिंह शेखावत ने उनके बारे में बताया कि वह अकादमी के कई अभियानों में उनके साथ रहे थे. शेरू अपने ट्रंक में अफगान की तस्वीर रखते थे.
बताया गया कि भारत के सैन्य संस्थान से प्रशिक्षण के बाद वह अफगान राष्ट्रीय सेना में शामिल हो गए. सोवियत-अफगान युद्ध और अफगानिस्तान की इस्लामी मुक्ति के लिए लड़ाई लड़ी.
उन्होंने विदेश मामलों के उप मंत्री के रूप में भी काम किया. तत्कालीन अमेरिकी राष्ट्रपति बिल क्लिंटन और तालिबान के बीच राजनयिक वार्ता कराने में उनका अहम रोल था. मगर 2015में वह कतर में तालिबान के राजनीतिक कार्यालय पहुंच गए.