विनाशकारी सुनामी साबित हुई है इमरान सरकार: जमात-ए-इस्लामी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 19-02-2022
विनाशकारी सुनामी साबित हुई है इमरान सरकार: जमात-ए-इस्लामी
विनाशकारी सुनामी साबित हुई है इमरान सरकार: जमात-ए-इस्लामी

 

नई दिल्ली. पाकिस्तान जमात-ए-इस्लामी प्रमुख अमीर सिराजुल हक ने कहा है कि इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार व्यावहारिक रूप से देश के लिए विनाशकारी सुनामी साबित हुई है, जिसने देश को तबाह कर दिया है. द न्यूज की रिपोर्ट के अनुसार, हक ने कहा है कि पीटीआई एक ऐसी विनाशकारी सुनामी साबित हुई है, जिसने पिछले साढ़े तीन वर्षों में हर संस्थान को नष्ट कर दिया है और इससे सबसे ज्यादा नुकसान देश के आर्थिक नियंत्रण को वैश्विक कर्जदाता आईएमएफ को सौंपना रहा है.

 
हक शुक्रवार को गुजरांवाला में पीटीआई सरकार के 'बुरे शासन' के खिलाफ प्रस्तावित 101 सार्वजनिक धरना प्रदर्शन (पब्लिक सिट-इन) के तहत तीसरे सार्वजनिक धरने को संबोधित कर रहे थे.
 
पीटीआई सरकार के नाकाम शासन, स्टेट बैंक को आईएमएफ के नियंत्रण में रखने, आईएमएफ-निर्धारित आर्थिक नीतियां, निरंतर बढ़ती महंगाई, आईएमएफ की मांगों को पूरा करने के लिए मिनी बजट लाना, बड़े पैमाने पर भ्रष्टाचार और बेरोजगारी जैसे कुछ प्रमुख मुद्दे हैं, जिन्हें लेकर सार्वजनिक धरना प्रदर्शन किए जा रहे हैं.
 
इस दौरान बड़ी संख्या में पुरुषों, महिलाओं और बच्चों ने धरने में भाग लिया और सरकार के खिलाफ नारे लगाए उन्होंने बैनर और पार्टी के झंडे पकड़े हुए थे. सिट-इन अभियान के हिस्से के रूप में, जेआई कार्यकर्ताओं ने पहले पिछले हफ्तों के दौरान गुजरात और शेखूपुरा में धरना दिया था.
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि हक ने पीटीआई सरकार को देश के इतिहास में सबसे खराब करार दिया है, जिसने देश में बिना युद्ध लड़े या किसी आपात स्थिति से गुजरे बिना राष्ट्रीय मुद्रा का 58 प्रतिशत से अधिक अवमूल्यन (डिवैल्यूड) किया.
 
उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री इमरान खान को सार्वजनिक सभाओं में झूठी घोषणाएं करने के बजाय देश को अपने अब तक के प्रदर्शन के बारे में बताना चाहिए.
 
पेट्रोल की कीमत में हाल ही में 12 रुपये प्रति लीटर की बढ़ोतरी का हवाला देते हुए, उन्होंने कहा कि खान ने शुरू में ओजीआरए समरी को खारिज कर दिया था, लेकिन बाद में इसे मंजूरी दे दी, जब उन्हें बताया गया कि आईएमएफ ने इसकी मांग की है.
 
हक ने कहा कि प्रधानमंत्री ने एक करोड़ नौकरियां देने का वादा किया था, लेकिन सरकार ने रोजगार देने के बजाय लाखों लोगों को बेरोजगार कर दिया है.