मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली/ इस्लामाबाद
पाकिस्तान, भारत से रिश्ता बेहतर करने की हड़बड़ी में है. पिछले चैबीस घंटे में उसकी ओर से ऐसे कई संकेत दिए गए हैं. इस क्रम में पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान ने भारत के अपने समकक्ष नरेंद्र मोदी को पत्र लिखकर उनके लिए अच्छे स्वास्थ्य की कामना करने पर धन्यवाद अदा किया है. साथ ही पीएम मोदी से दक्षिण एशिया में स्थायी शांति, कश्मीर सहित अन्य पुराने मुददों के हल पर भी जोर दिया है.
दूसरी तरफ पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत के विदेश मंत्री की यह कहते हुए तारीफ की है कि इस बार उन्होंने अंतरराष्ट्रीय मंच पर पाकिस्तान को बख्श दिया. पाकिस्तान की आलोचना नहीं की. यह अच्छी बात है.
उल्लेखनीय है कि कुछ दिनों पहले पाकिस्तान के प्रधानमंत्री मरान खान कोरोना की चपेट में आ गए थे. इसी बीच पाकिस्तान दिवस भी मनाया गया. इसपर भारत के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने औपचारिक रूप से इमरान खान को पत्र लिखकर उनके अच्छे स्वास्थ्य की कामना की थी और उन्हें पाकिस्तान डे पर मुबारकबाद दिया था.
इसके जवाब में इमरान खान ने पीएम मोदी को 13 लाइन की चिट्टी लिखकर न केवल इसके लिए उनका धन्यवाद किया. उनसे भारत-पाकिस्तान मसले के हल के प्रति इच्छा भी जताई. हालांकि इस पत्र में वह कश्मीर राग अलापना नहीं भूले.
संबंध हो अनुकूल
पाकिस्तानी मीडिया के अनुसार, इमरान खान ने अपने पत्र में भारत सहित सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण, सहकारी संबंध के प्रति इच्छा जताई है. साथ ही कहा है कि इसके लिए रचनात्मक, फलदायी बातचीत के लिए अनुकूल वातावरण बनाना आवश्यक है.
रिश्ता हो बेहतर
पाकिस्तानी सरकार और लोग सभी पड़ोसी देशों के साथ शांतिपूर्ण, सहकारी संबंध चाहते हैं. प्रधानमंत्री इमरान खान ने कोरोना के खिलाफ भारत के लोगों के लिए पीएम मोदी द्वारा किए जा रहे प्रयासों की सराहना भी की.
सकारात्मक कदम
इस बीच पाकिस्तान के विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने भारत के करीब आने के एक और संकेत दिए हैं. उनका कहना है कि आमतौर पर अंतरराष्ट्रीय मंच पर आतंकवाद को लेकर भारत, पाकिस्तान को घेरता रहा है. मगर इस बार ‘हार्ट ऑफ एशिया कान्फेंस’ में ऐसा नहीं हुआ. भारत के विदेश मंत्री एस जयशंकर ने पाकिस्तान की आलोचना न कर एक सकारात्मक पहल की है.
उन्होंने पाकिस्तान मीडिया से बातचीत में कहा,‘‘ भारतीय विदेश मंत्री पाकिस्तान पर उंगली उठाते थे, जो उन्होंने आज नहीं किया.’’
समझौते का असर
शाह महमूद कुरैशी ने भारत के विदेश मंत्री की तारीफ करते हुए यहां तक कहा कि पाकिस्तान को नाराज करने वाला उन्होंने एक वाक्य भी नहीं कहा. मैं इसे सकारात्मक कदम मानता हूं. विदेश मंत्री ने यह भी कहा कि नियंत्रण रेखा पर 2003 के युद्धविराम समझौते की बहाली को लेकर पिछले महीने दोनों पड़ोसी मुल्कों के बीच सेना स्तर पर हुआ समझौता भी अच्छा असर दिखा रहा है.
मगर कश्मीर राग अलापते हुए कहा कि पड़ोसी देश से शांति बहाली के लिए इस सबसे महत्वपूर्ण मुद्दे का समाधान खोजना जरूरी है.
करीब आने की कोशिश
उल्लेखनीय है कि पिछले एक महीने से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान और वहां के सेना प्रमुख कमर जावेद बाजवा दो से अधिक बार पड़ोसी देश से संबंध बहाली को लेकर बयान दे चुके हैं. इस क्रम में सीमा पर सीजफायर के उल्लंघन पर भारत और पाकिस्तान केे बीच सेना स्तर पर एक समौता भी हुआ, जिसके बाद से बाॅर्डर पर स्थिति थोड़ी सामान्य है. अन्यथा पिछले एक साल में पाकिस्तान की ओर से 5000 से अधिक बार सीजफायर के उल्लंघन की घटना हो चुकी है.
पुलवामा का सबक
यहां एक बात और काबिल-ए-गौर है. दो वर्ष पहले कश्मीर के पुलवामा में पाकिस्तानपरस्त आतंकवादियों द्वारा आत्मघाती हमले में अर्धसेना के 40 से अधिक जवानों के शहीद पर भारत ने न केवल इसका पाकिस्तान को मुंहतोड़ जवाब दिया था. पाकिस्तान के बालाकोट में घुसकर एयर स्ट्राइक के जरिए उसकी सरपरस्ती में चलने वाले आतंकवादियों के प्रशिक्षण शिविरों को नष्ट कर दिया था.
साथ ही अपनी कुटनीतिक चला से पाकिस्तान को विश्व बिरादरी से भी अलग-थलग कर दिया था. परिणाम स्वरूप आज पाकिस्तान हर मोर्चो पर विफल है. ऐसे में भारत से रिश्ते सुधार कर पाकिस्तान एक बार फिर अपनी स्थिति सुधारना चाहता है. इसपर भारत की ओर से कहा गया है कि आतंकवाद और समझौता वार्ता एक साथ नहीं चल सकता. रिश्ता सुधारना चाहता है तो पाकिस्तान को अपने आतंकियों पर काबू पाना होगा.