टीएलपी से समझौते के बाद भी नहीं खत्म होने वाली इमरान खान की परेशानी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 01-11-2021
टीटीएलपी
टीटीएलपी

 

आवाज द वाॅयस / इस्लामाबा
 
सरकार और प्रतिबंधित संगठन तहरीक-ए-लब्बैक पाकिस्तान के बीच भले ही एक फिर समझौता हो गया है, पर पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान की परेशानी खत्म होती नहीं दिखाई दे रही है.वार्ता समिति दावा कर रही है कि प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक के नेतृत्व और सरकार के बीच 13 सूत्री समझौता हो गया है.
 
वार्ता समिति के सदस्य मौलाना बशीर फारूक कादरी ने बताया कि 13 सूत्री समझौते के सकारात्मक परिणाम जल्द ही सामने आएंगे. मगर स्थिति अभी भी साफ नहीं है.उन्होंने यह भी दावा किया कि आंदोलन 24 घंटे के भीतर धरना समाप्त करने की घोषणा करेगा. हालांकि, उन्होंने समझौते का विवरण देने से इनकार करते हुए कहा, ‘‘यह समझौता एक सीलबंद लिफाफे में है, जो मुफ्ती मुनीब-उर-रहमान के ट्रस्ट में है .
 
एक प्रतिनिधिमंडल समझौते के साथ वजीराबाद के लिए रवाना होगा, जहां इसकी घोषणा की जाएगी.‘‘ दूसरी ओर, प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक की वार्ता समिति के एक सदस्य ने यह भी कहा कि ‘‘हम समझौते के ब्योरे का खुलासा नहीं करने के लिए बाध्य हैं, लेकिन इसके फल जल्द ही दिखने लगेंगे.‘‘
 
सरकार और प्रतिबंधित तहरीक द्वारा समझौते का विवरण जारी नहीं किए जाने की वजह गंभीर पेंच बताई जा रही है. कहा जा रहा है कि समझौते को लागू करने के लिए एक संचालन समिति का गठन किया गया है, जो समझौते की शर्तों के कार्यान्वयन को सुनिश्चित करेगी.
 
संसदीय मामलों के राज्य मंत्री की अध्यक्षता वाली संचालन समिति में पंजाब के कानून मंत्री राजा बशारत, संघीय सचिव गृह और गृह सचिव पंजाब शामिल हैं, जबकि प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक के गुलाम गौस बगदादी और हफीजुल्लाह अल्वी समिति के सदस्य होंगे.
 
बता दें कि प्रतिबंधित तहरीक-ए-लब्बैक और सरकार के बीच पूर्व में तीन समझौते हो चुके हैं. पहली बार तहरीक-ए-लुबैक पाकिस्तान (टीएलपी) ने चुनावी सुधारों के परिणामस्वरूप निष्क्रिय पैगंबर के हलफनामे में बदलाव के खिलाफ 2017 में धरना दिया. सिट-इन के परिणामस्वरूप, सरकार और तहरीक-ए-लब्बैक के बीच एक समझौता हुआ, जिसमें सत्तारूढ़ दल पीएमएल-एन था, जबकि समझौते पर तत्कालीन मेजर जनरल और वर्तमान डीजी आईएसआई फैज हमीद द्वारा हस्ताक्षर किए गए थे. 
 
समझौते के तहत तत्कालीन कानून मंत्री जाहिद हामिद को इस्तीफा देना पड़ा था, जबकि तहरीक-ए-लब्बैक ने उनके खिलाफ फतवा जारी नहीं करने पर सहमति जताई थी. इसमें सभी गिरफ्तार श्रमिकों की रिहाई और मामलों की समाप्ति भी शामिल थी.
नवंबर 2018 में, तहरीक-ए-लब्बैक ने ईशनिंदा मामले में आसिया मसीह को रिहा करने के सुप्रीम कोर्ट के फैसले के खिलाफ विरोध प्रदर्शन की घोषणा की और विभिन्न शहरों में धरना देने का आह्वान किया.
 
विरोध के परिणामस्वरूप, सरकार की वार्ता समिति के माध्यम से एक समझौता हुआ, जिसने आश्वासन दिया कि सरकार निर्णय के खिलाफ अपील में कोई आपत्ति नहीं उठाएगी. रिहाई पर भी सहमति हुई थी.नवंबर 2020 में तहरीक-ए-लब्बैक और सरकार के बीच एक और समझौता हुआ. इस बार तहरीक-ए-लब्बैक ने फ्रांस में इस्लाम के पैगंबर के रेखाचित्रों के प्रकाशन का विरोध किया.
 
सरकार और तहरीक-ए-लब्बैक के बीच एक समझौता हुआ जिसमें दो से तीन महीने के भीतर फ्रांसीसी राजदूत को संसद में निर्वासित करने और संसद के फैसले को लागू करने पर सहमति हुई.समझौते के अनुसार, सरकार फ्रांस में अपना राजदूत नियुक्त नहीं करेगी, जबकि फ्रांसीसी उत्पादों का सरकारी स्तर पर बहिष्कार किया जाएगा.
 
समझौते में सभी गिरफ्तार कार्यकर्ताओं को रिहा करने और मामलों को बंद करने का भी निर्णय लिया गया. हालांकि देखना है कि नया समझौता पहले वाली की तरह लागू किया भी जाएगा या नहीं. क्योंकि फ्रांस को अलग-थलग करन के गंभीर परिणाम पाकिस्तान को भुगतने पड़ सकते हैं. यूरोपीय यूनियन आजकल वैसे ही पड़ोसी देश से नाराज चल रहा है.