इस्लामाबाद. इमरान खान के नेतृत्व वाली पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ (पीटीआई) सरकार ने सोमवार को सुप्रीम कोर्ट (एससी) में राष्ट्रपति के एक संदर्भ के माध्यम से पूछा कि मौजूदा संवैधानिक और कानूनी ढांचे के तहत दलबदल, फ्लोर क्रॉसिंग और वोट खरीदने की कुप्रथा को रोकने और समाप्त करने के लिए कौन से उपाय किए जा सकते हैं. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून की रिपोर्ट से यह जानकारी मिली है. पाकिस्तान के अटॉर्नी जनरल खालिद जावेद खान द्वारा तैयार किए गए संदर्भ में आगे प्रार्थना की गई कि जो लोग अपनी गलतियों से सबक सीखते हैं, वे ही प्रगति कर सकते हैं, जबकि आत्मसंतुष्ट बर्बाद हो जाते हैं..
बयान के अनुसार, "सीनेट के चुनावों के मद्देनजर मुश्किल से एक साल पहले ही ऑडियो और वीडियो रिकॉर्डिग के रूप में सबूत सामने आए थे, जिसमें खरीद-फरोख्त की घटना के मामले सामने आए थे. फिर उस संबंध में कुछ सार्थक नहीं किया गया."
संदर्भ के अनुसार, "जबकि अनुच्छेद 63 में वर्णित अन्य सभी अयोग्यताओं के सीमित और औसत दर्जे के परिणाम हैं, लोकतांत्रिक प्रक्रिया और दलबदलुओं द्वारा राजनीति को हुई क्षति न केवल अथाह है, बल्कि लगातार हो रही है."
"घोषित दलबदलू के लिए सबसे उपयुक्त जीवनभर चुनाव लड़ने से अयोग्यता है जैसा कि अनुच्छेद 62 (1) (एफ) के तहत प्रदान किया गया है. ऐसे सदस्यों को कभी भी संसद में लौटने की अनुमति नहीं दी जानी चाहिए और न ही उनके दागी वोटों को किसी भी संवैधानिक में गिना जाना चाहिए."