इमरान खान का ‘खुफिया दस्तावेज’ कई देशों से बिगाड़ सकता है पाकिस्तान का संबंध

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] • 1 Years ago
इमरान खान का ‘खुफिया दस्तावेज’ कई देशों से बिगाड़ सकता है पाकिस्तान का संबंध
इमरान खान का ‘खुफिया दस्तावेज’ कई देशों से बिगाड़ सकता है पाकिस्तान का संबंध

 

मलिक असगर हाशमी/ नई दिल्ली 
 
आखिरी गेंद तक खेलने के लिए मशहूर क्रिकेटर से सियासतदां बने प्रधानमंत्री इमरान खान ने अपने खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव को अंतरराष्ट्रीय साजिश बताते हुए बम गिराया है. इससे कई देशों से पाकिस्तान के संबंध खराब हो सकते हैं. इमरान खान ने कल रात अपने संबोधिन में जिस प्रकार भारतीय पत्रकार बरखा दत्ता के कथित किताब के हवाले से पीएम नरेंद्र मोदी और पाकिस्तान के पूर्व प्रधानमंत्री मियां नवाज से छुपकर मिलने की बात कही, इससे निश्चित ही दोनों पड़ोसी देशों के रिश्तों में और कड़वाहट घुलेगी.

अविश्वास प्रस्ताव के विपक्ष को सांसदों से भारी समर्थन मिलने के दो सप्ताह बाद उन्होंने यह खुलासा किया है. इसलिए सवाल उठाए जा रहे हैं कि जब पाकिस्तान पर इतना बड़ा खतरा था और उन्हें दूसरे देश से धमकियां मिल रही थीं, तो इतने गंभीर मसले पर वे अब खामोश क्यों रहे ? अचानक अभी यह सारी बातें क्यों याद आ रही हैं ?
 
विपक्ष का दावा है कि उन्हें आवश्यक 172 से ऊपर, नेशनल असेंबली के 195 सदस्यों का समर्थन हासिल  है. अब देखना होगा कि गुप्त दस्तावेज का अंतिम पता संभावित प्रभावों की आशंका के बिना खेला गया है? या केवल विपक्ष को रोकने का स्टंट मात्र है !
 
अहम सवाल यह है कि क्या प्रधानमंत्री इमरान खान रविवार को उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव में शामिल होंगे या फिर गिनती और संख्या के खेल में पीछे रह जाएंगे ? बावजूद इसके अविश्वास प्रस्ताव के किसी भी संभावित परिणाम से इतर इमरान खान द्वारा गिराया गया गुप्त दस्तावेज का बम काफी नुकसान पहुंचा सकता है.
 
एक बात तो तय है कि अगले चुनाव में इमरान खान का नया बयान पश्चिम और अमेरिका के विरोध पर आधारित होगा. विपक्ष ने प्रधानमंत्री इमरान खान से इस मुद्दे को राजनीतिक रूप से उठाने के बजाय संसद और राष्ट्रीय सुरक्षा परिषद की संयुक्त बैठक में लाने का आग्रह करके अपनी राजनीतिक परिपक्वता साबित की है.
 
प्रधानमंत्री के वर्तमान और पूर्व सहयोगी भी इस बात से चिंतित हैं कि प्रधानमंत्री ने उनके खिलाफ अविश्वास प्रस्ताव दाखिल होने के बाद ही इस तरह के गुप्त दस्तावेज का खुलासा क्यों किया ? कुछ पूर्व राजनयिकों का कहना है कि कथित पत्र के खुलासे के गंभीर परिणाम हो सकते हैं.
 
 संयुक्त राज्य अमेरिका और यूरोपीय संघ ने कथित पत्र से खुद को दूर कर लिया है. पाकिस्तान के सुरक्षा प्रतिष्ठान और ‘अंपायरों‘ ने कथित पत्र की सामग्री पर अपनी राय बनाई हो सकती है. बता दें कि कल रात राष्ट्र को संबोधित करते हुए कथित खुफिया दस्तावेज के हवाले से अमेरिका का नाम लिया था.
 
 प्रधानमंत्री ने कैबिनेट में अपने विश्वासपात्रों को भी विश्वास में लिया है. कहते हैं उन्होंने प्रधानमंत्री को चुप रहने और शांत दिल और दिमाग से काम करने की सलाह दी है. जिसमें सुरक्षा संबंधी और कूटनीतिक शिष्टाचार का ध्यान रखना चाहिए. इसे देखते हुए प्रधानमंत्री ने राष्ट्र के नाम अपना संभावित संबोधन पहले तो रद्द कर दिया था और पत्रकारों से बात की थी. मगर अगले दिन यानी गुरुवार की रात उन्हांेने पाकिस्तान को संबोधित किया.
 
उच्च जानकार सूत्रों ने कहा कि जिस तरह से प्रधानमंत्री और विदेश मंत्री ने स्थिति पर प्रतिक्रिया दी है, वह कुछ हलकों में अच्छा नहीं रहेगा. कुछ देशों के साथ पाकिस्तान के संबंध और तनावपूर्ण होंगे. विदेश कार्यालय ने विदेश मंत्री के माध्यम से प्रधानमंत्री को आश्वासन दिया कि पत्र के कथित जारी होने से कुछ देशों के साथ संबंध खराब होंगे और तनाव बढ़ेगा.
 
विदेश मंत्री शाह महमूद कुरैशी ने अपनी तीन दिवसीय यात्रा के दौरान चीनी नेतृत्व को विश्वास में लिया होगा. ऐसा माना जाता है.
 
इनपुट : पाकिस्तान के अखबार जंग से