नई दिल्ली. अगर तालिबान ने सोचा कि वे बिना किसी बाधा के अफगानिस्तान के भीतरी इलाकों में दौड़ सकेंगे, तो वे ईरान की सीमा से लगे एक प्राचीन शहर हेरात में झटक खा गए हैं, जो यूनेस्को की विश्व धरोहर स्थल सूची में सूचीबद्ध होने के लिए खुद को तैयार कर रहा था.
मुजाहिदीन के पूर्व नेता और जमीयत-ए-इस्लामी पार्टी के वरिष्ठ सदस्य मोहम्मद इस्माइल खान ने तालिबान से लड़ने के लिए हेरात में अपने सैकड़ों वफादारों को लामबंद किया है.
हालांकि तालिबान ने दावा किया है कि देश का 85प्रतिशत उनके नियंत्रण में है.
तालिबान पश्चिमी अफगानिस्तान के दो प्रमुख सीमावर्ती शहरों सहित प्रांत के कई जिलों पर कब्जा करने के बाद हेरात शहर के करीब आ गया है.
अफगान मीडिया रिपोर्ट्स के मुताबिक, इस्माइल खान ने कहा, “हम युद्ध मोर्चों का पुनर्गठन करेंगे. हम हेरात शहर को उन लोगों से बचाएंगे, जिनके पास शहर को लूटने का आदेश है. हम उन्हें अंदर नहीं आने देंग, हम उन्हें हेरात लूटने के उनके सपने को हकीकत में बदलने नहीं देंगे. हम उन्हें अपने लोगों के सम्मान और गरिमा के प्रति बुरी नजर नहीं डालने देंगे.”
इस्माइल का कहना है कि वह तालिबान को इन जगहों से खदेड़ने की तैयारी कर रहा है. इस युद्धग्रस्त देश के अन्य शहरों से भी कड़े प्रतिरोध की ऐसी ही खबरें आ रही हैं, जिन्हें अमेरिका 20साल तक आतंकियों की तलाश में रहने के बाद छोड़ रहा है.
हेरात निवासी फिरोज अहमद अजीजी ने कहा, “हम तालिबान को हेरात शहर में कभी प्रवेश नहीं करने देंगे. हम लोगों को शहर में तालिबान की घुसपैठ को रोकने का आश्वासन देते हैं.”
इस बीच, अफगान विश्लेषक नेटवर्क (एएएन) द्वारा किए गए एक सर्वेक्षण से पता चलता है कि दोहा समझौते के बाद कई क्षेत्रों में तालिबान के एक प्रमुख बल के रूप में लौटने की संभावना के बाद अफगानिस्तान में ग्रामीण महिलाओं को अपने अधिकारों के बारे में गंभीर चिंता है.
एएएन के निष्कर्ष बताते हैं कि अफगानिस्तान के दूरदराज के क्षेत्रों में महिलाओं की शांति के लिए एक स्पष्ट दृष्टि है, लेकिन वे तालिबान के साथ शांति समझौते के परिणामस्वरूप महिलाओं पर संभावित प्रतिबंध लगाने के बारे में चिंतित हैं.
इन महिलाओं ने कहा है कि शांति सुरक्षा लाती है, लेकिन इससे महिलाओं को उनके मूल अधिकारों से वंचित नहीं करना चाहिए.
रिपोर्ट के अनुसार, कई महिलाओं ने उल्लेख किया कि उन्हें उम्मीद है कि शांति महिलाओं और लड़कियों को उनके अधिकारों तक पहुंच प्रदान करेगी, जिसमें शिक्षा, रोजगार का अधिकार और यह चुनने का अधिकार शामिल है कि वे किससे शादी करें.
अपने देश में तालिबान के अधिग्रहण की आशंका में पेशेवरों के पलायन और देश से अच्छे अफगान लोगों की रिपोर्ट के बीच, सैकड़ों महिलाओं ने घोर शहर में तालिबान विरोधी विरोध प्रदर्शन किया. महिलाएं अपने देश की रक्षा के लिए अफगान झंडे और कुछ तोपें भी ले जा रही थीं.
कई शहर सरकारों और तालिबान का विरोध करने वाले पूर्व सरदारों ने तालिबान के खिलाफ अपने क्षेत्र की रक्षा के लिए स्वयंसेवकों को हथियार देने की पेशकश की है. पहले से ही इस कट्टरपंथी इस्लामी समूह ने अपने नियंत्रण वाले क्षेत्रों में सार्वजनिक स्थानों पर महिलाओं की आवाजाही पर प्रतिबंध लगा दिया है.
संयुक्त राष्ट्र ने तालिबान के तहत महिलाओं के अधिकारों पर अपनी चिंता व्यक्त की है.
दूसरी ओर, ईरान ने दावा किया कि तालिबान और तेहरान में आयोजित अफगान सरकार के बीच शांति वार्ता सफल रही, क्योंकि दोनों पक्ष भाईचारे की हिंसा को समाप्त करने पर सहमत हुए.
भारतीय विदेश मंत्री एस जयशंकर ने भी अफगानिस्तान में हिंसा पर चिंता व्यक्त की है और अंतर-अफगान वार्ता के लिए ईरान के प्रयासों का समर्थन किया है.