मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
पुराने दिनों में खबरों को सत्यापित करना मुश्किल था. आजकल जहां गलत सूचना, फोटो या वीडियो मिनटों में वायरल हो जाते हैं, वहीं स्रोत और वास्तविक खबर का पता लगाना भी आसान हो गया है.दुनियाभर में लोग सोशल मीडिया का अंधाधुंध इस्तेमाल करते हैं.
शायद इसीलिए सोशल मीडिया किसी दूसरे देश या शहर के बारे में समाचार या जानकारी को सत्यापित करने का एक शानदार तरीका बनता जा रहा है. आपने अक्सर ऐसी तस्वीरें और वीडियो देखे होंगे जिनके बारे में आपको जो जानकारी दिखाई दे रही है वह सत्यापन के बाद गलत निकली.
पिछले कुछ दिनों से, हवेली धरमपुरा लाहौर की कुछ तस्वीरें सोशल नेटवर्किंग प्लेटफॉर्म, खासकर फेसबुक और ट्विटर पर यह कहते हुए प्रसारित हो रही हैं कि सदियों पुरानी हवेली का जीर्णोद्धार किया गया है और इसे एक नया रूप दिया गया है.
इन तस्वीरों को शेयर करते हुए फेसबुक यूजर सईद जावेद ने लिखा, ‘लाहौर के धरमपुरा में एक हवेली को नया जीवन दिया गया है. महान पुनर्जागरण. ‘इस पोस्ट के जवाब में वी. थिंकर पेज ने लिखा, ‘‘ये तस्वीरें नकली लगती हैं, क्योंकि इनके पीछे की इमारतें गायब है.‘‘
ट्विटर हैंडल पाकिस्तान ऑन राइज समेत कई अकाउंट्स ने भी लाहौर नाम से तस्वीरें शेयर की हैं.रिन्यूअल से पहले और बाद में शेयर की गई तस्वीरों में साफ अंतर है.इस पोस्ट के जवाब में ज्यादातर यूजर्स ने दिल्ली धरमपुरा हवेली से जुड़े लिंक शेयर करते हुए कहा कि ये तस्वीरें पाकिस्तान लाहौर की नहीं, बल्कि दिल्ली धरमपुरा हवेली की हैं.
गौरतलब है कि पाकिस्तान के लाहौर में धरमपुरा नाम का एक इलाका है, जिसके चलते उपभोक्ताओं को दिल्ली की जगह लाहौर की ये तस्वीरें पसंद आ रही हैं. ट्विटर यूजर अली इरफान ने लिखा, ‘पहले तय कर लो कि लाहौर है या दिल्ली.
हवेली की आधिकारिक वेबसाइट के अनुसार, इसे 6 साल की अवधि में फिर से बनाया गया था. आज चांदनी चैक होटल के रूप में दिल्ली आने वाले पर्यटकों के आकर्षण का केंद्र है. इसमें संलग्न बाथरूम और शानदार सीटों के साथ 13 भव्य बेडरूम हैं.