दमनकारी चीनी निवेश के कारण सुलगता ग्वादर, पाक सरकार के लिए सिरदर्द

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
विरोध में ग्वादर का जनज्वार
विरोध में ग्वादर का जनज्वार

 

इस्लामाबाद. नाराज स्थानीय बलोच चीन की वन बेल्ट और सड़क परियोजना के खिलाफ प्रदर्शन कर रहे हैं. इस बड़े पैमाने पर विरोध ने बलूचिस्तान के ग्वादर को हिलाकर रख दिया है. पाक सरकार को समझ नहीं आ रहा है कि वह इस उग्र होते आंदोलन से किस तरह निबटे.

स्थानीय लोगों ने इमरान खान सरकार पर संसाधन चीन को हस्तांतरित करने का आरोप लगाया है. प्रदर्शनकारियों ने बुनियादी प्रशासन की मांग की है, जबकि अधिकारियों ने बंदरगाह के निर्माण के लिए संसाधनों का इस्तेमाल जारी रखा है और स्थानीय लोगों की शिकायतों की अनदेखी की है.

सिंगापुर पोस्ट की एक रिपोर्ट के अनुसार, इन विरोधों ने पाकिस्तान में चीनी निवेश की शोषणकारी प्रकृति को फिर से सामने ला दिया है.

रिपोर्ट में कहा गया है कि पाकिस्तान में वर्षों से शामिल होने के बावजूद, चीन गहन जांच का विषय बना हुआ है और पाकिस्तान के आंतरिक संघर्षों के लिए अतिसंवेदनशील है.

2015में 46अरब डॉलर की परियोजना की घोषणा के बाद से चीन-पाकिस्तान आर्थिक गलियारा (सीपीईसी) विवादों में घिर गया है.

स्थानीय लोग बलूचिस्तान में चीन की बढ़ती भागीदारी का विरोध कर रहे हैं. वे विरोध कर रहे हैं, क्योंकि सीपीईसी परियोजना से बलूचिस्तान के लोगों को लाभ नहीं हुआ है जबकि अन्य प्रांतों के लोग मेगा परियोजना का लाभ उठा रहे हैं.

इसने व्यापक विरोध को जन्म दिया है, क्योंकि चीनी को अतिक्रमणकारियों के रूप में देखा जाता है, जो इस क्षेत्र से सारी संपत्ति को निचोड़ रहे हैं.

डॉन अखबार की रिपोर्ट के अनुसार, अक्टूबर में ग्वादर और तुर्बत के हजारों निवासी भी पीने के पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं की अनुपलब्धता और मकरान डिवीजन में बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ प्रदर्शन करने के लिए वहां एकत्र हुए थे.

सीपीईसी परियोजना अरब सागर पर बलूचिस्तान में पाकिस्तान के दक्षिणी ग्वादर बंदरगाह को चीन के पश्चिमी शिनजियांग क्षेत्र से जोड़ेगी. इसमें चीन और मध्य पूर्व के बीच संपर्क में सुधार के लिए सड़क, रेल और तेल पाइपलाइन लिंक बनाने की योजना भी शामिल है.

ग्वादर में चल रहे विरोध इस तर्क की पुष्टि करते हैं कि सीपीईसी पाकिस्तान के आर्थिक विकास के लिए रामबाण नहीं है और यह आधा-अधूरा विचार है.

सिंगापुर पोस्ट की रिपोर्ट के अनुसार, लोगों की चिंताओं पर विचार किए बिना टॉप-डाउन विकास कार्यक्रमों को लागू करने का कोई भी प्रयास परियोजना को केवल विफलता के रास्ते पर ला सकता है.

इसलिए, चीन और पाकिस्तान को ग्वादर में अपने निवेश और प्रयासों की फिर से जांच करने की आवश्यकता होगी, कहीं ऐसा न हो कि परियोजना बर्बाद हो जाए.