ग्रैंड अयातुल्ला ने ईरान को तालिबान पर भरोसा नहीं करने की दी चेतावनी

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 19-07-2021
ग्रैंड अयातुल्ला ने ईरान को तालिबान पर भरोसा नहीं करने की दी चेतावनी
ग्रैंड अयातुल्ला ने ईरान को तालिबान पर भरोसा नहीं करने की दी चेतावनी

 

आवाज द वाॅयस  नई दिल्ली

ईरान के सबसे वरिष्ठ मौलवियों में से एक ने ईरानी सरकार को ‘आतंकवादी‘ समूह पर भरोसा नहीं करने की चेतावनी दी है, ‘जिसकी बुराई और जानलेवा प्रकृति दुनिया के लिए कोई रहस्य नहीं है.‘ईरान के सबसे वरिष्ठ मौलवियों में से एक, ग्रैंड अयातुल्ला लोतफुल्ला सफी गोलपायगनी ने अफगानिस्तान में तालिबान के व्यापक विस्तार और  अत्याचारों के समय  इस्लामिक गणराज्य की ‘‘नरम नीति‘‘ की आलोचना की.
 
उन्होंने चेतावनी देते हुए कहा, ‘‘यह गंभीर और अपूरणीय गलती है.‘‘ ईरानी मीडिया ने बताया कि ग्रैंड मौलवी ने ईरानी सरकार को एक ‘‘आतंकवादी‘‘ समूह पर भरोसा नहीं करने की चेतावनी दी, जिसकी बुराई और जानलेवा प्रकृति कोई रहस्य नहीं है.
 
गोलपायगनी ने ईरान और अंतर्राष्ट्रीय समुदाय दोनों से ‘‘गंभीरता से कार्य करने‘‘ का आह्वान किया ताकि ‘‘उत्पीड़ित अफगानों के खिलाफ तालिबान की आक्रामकता‘‘ को रोका जा सके.मीडिया रिपोर्ट में कहा गया  कि यह टिप्पणी पूरे अफगानिस्तान में तालिबान के नियंत्रण के आलोक में ईरान के बदलते दृष्टिकोण की प्रतिक्रिया में की गई थी.
 
युद्ध से तबाह हुए देश से अमेरिका और नाटो की वापसी और परिणामी निर्वात के साथ, तेहरान नए पावर प्ले में अपनी उपस्थिति को फिर से परिभाषित करने की मांग कर रहा है. रिपोर्ट में कहा गया कि पिछले हफ्ते  तेहरान ने अफगानिस्तान के राजनीतिक भविष्य में बाद की भूमिका के लिए मान्यता के संकेत के रूप में एक अफगान सरकार के प्रतिनिधिमंडल और तालिबान नेताओं के बीच एक बैठक की मेजबानी की.
 
इस्लामिक रिवोल्यूशनरी गार्ड कॉर्प्स सहित सत्ताधारी प्रतिष्ठान के सबसे कठोर क्षेत्रों का प्रतिनिधित्व करने वाले मीडिया द्वारा स्थानांतरण के रुख को और अधिक स्पष्ट रूप से रखा गया है.सबसे विशेष रूप से, अति रूढ़िवादी दैनिक काहान ने तालिबान अग्रिम पर जुलाई की शुरुआत में संपादकीय प्रकाशित करने के बाद ईरानियों और अफगानों दोनों की आलोचना की, ‘जिसमें आईएस-शैली के अत्याचारों का कोई संकेत नहीं है‘ और समूह ने ‘‘घोषणा की है कि यह नहीं है शिया समुदायों को नुकसान पहुंचाने की मंशा.‘
 
प्रतिद्वंद्वी सुधारवादी पत्र, एतेमाड ने काहान पर आतंकवादी समूह के प्रवक्ता के रूप में कार्य करने का आरोप लगाया. अन्य लोग यह कहते हुए आगे बढ़ गए कि काहान आतंकवादी समूह को ‘‘विहित‘‘ कर रहा था. बढ़ते विरोध का सामना करते हुए, अखबार ने कुछ दिनों बाद एक संपादकीय में अपना रुख वापस ले लिया.
 
अफगान राष्ट्रपति के कार्यालय के एक वरिष्ठ सलाहकार शाहुसैन मुर्तजावी ने ईरान के कट्टरपंथियों को इस तरह के ‘बिल्कुल झूठे‘‘ दृष्टिकोण के बारे में चेतावनी दी है. उन्होंने ईरानियों को याद दिलाया कि ‘‘तालिबान द्वारा अपने ही राजनयिकों की हत्या‘‘ को नहीं भूलना चाहिए.
 
रिपोर्ट में कहा गया है कि मुर्तजावी अफगान शहर मजार-ए-शरीफ में ईरानी वाणिज्य दूतावास के घातक अधिग्रहण का जिक्र कर रहे थे, जो तालिबान के हमले और 1998 में शहर के पतन के हिस्से के रूप में था.
 
आठ ईरानी राजनयिक और एक पत्रकार को मार गिराया गया. ह्यूमन राइट्स वॉच सहित सबूतों के बावजूद, तालिबान ने हत्याओं की जिम्मेदारी से इनकार किया है.