इंटरपोल में चीन की घुसपैठ का ग्लोबल अलायंस ने किया जोरदार विरोध

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 16-11-2021
इंटरपोल में चीन की घुसपैठ का ग्लोबल अलायंस ने किया जोरदार विरोध
इंटरपोल में चीन की घुसपैठ का ग्लोबल अलायंस ने किया जोरदार विरोध

 

नई दिल्ली. दुनिया भर के सांसदों और कार्यकर्ताओं ने वैश्विक पुलिसिंग निकाय, इंटरपोल पर प्रभाव हासिल करने के लिए चीन के कदमों पर विरोध जताना शुरू कर दिया है.

वैश्विक अभियान के तौर पर वैश्विक दिग्गजों का उद्देश्य इस महीने के अंत में अपने महासभा सत्र में इंटरपोल कार्यकारी समिति के लिए चीन के सार्वजनिक सुरक्षा मंत्रालय के उप महानिदेशक हू बिनचेन की उम्मीदवारी का विरोध करना है.

इसके अलावा, चीन पर अंतर-संसदीय गठबंधन (आईपीएसी) के 50 नेताओं ने वैश्विक पुलिस निकाय पर प्रभाव हासिल करने के लिए पीआरसी के कदमों पर एक अलर्ट जारी करते हुए अपनी सरकारों को एक संयुक्त पत्र लिखा है.

पत्र निर्वासन में रह रहे उइगर कार्यकर्ताओं को लक्षित करने के लिए इंटरपोल रेड नोटिस सिस्टम का उपयोग करने के लिए चीनी सरकार द्वारा हाल के प्रयासों का संदर्भ देता है.

पत्र निर्वासन में रहने वाले उइगर कार्यकर्ताओं को लक्षित करने के लिए इंटरपोल रेड नोटिस सिस्टम का उपयोग करने के लिए चीनी सरकार द्वारा हाल के प्रयासों का संदर्भ देता है. उनका तर्क है कि हू बिनचेन के चुनाव से बीजिंग को इंटरपोल का उपयोग श्पीआरसी सरकार की दमनकारी नीतियों के लिए एक व्हीकलश् के रूप में जारी रखने के लिए एक श्हरी बत्तीश् यानी सही रास्ता मिल जाएगा.

हस्ताक्षरकर्ता चार महाद्वीपों के 20 देशों में फैले हुए हैं, जिनमें जर्मन ग्रीन रेनहार्ड बुटिकोफर एमईपी और यूरोपीय संसद के चीन प्रतिनिधिमंडल के अध्यक्ष सहित प्रमुख हस्तियां शामिल हैं. इसमें यूके कंजरवेटिव पार्टी के पूर्व नेता इयान डंकन स्मिथय ऑस्ट्रेलियाई लेबर सीनेटर किम्बरली किचिंगय और पूर्व अमेरिकी सीनेटर मार्को रुबियो भी शामिल हैं.

इन कदमों के साथ इंटरपोल के सदस्य देशों को 40 कार्यकर्ताओं के एक अलग पत्र के साथ चेतावनी दी गई थी कि हू बिनचेन के चुनाव में ‘चीन के बाहर रहने वाले चीनी, हांगकांग, ताइवान और चीनी मानवाधिकार कार्यकर्ताओं के साथ-साथ तिब्बती और उइगर प्रवासी की सुरक्षा और भलाई के संदर्भ में गंभीर परिणाम होंगे.’

प्रमुख हस्ताक्षरकर्ताओं में विश्व उइगर कांग्रेस अध्यक्ष डोलकुन ईसा शामिल हैं, जो स्वयं लगभग दो दशकों से पीआरसी सरकार द्वारा इंटरपोल रेड नोटिस के अधीन हैंय इसके साथ ही हांगकांग के नेता नाथन लॉ और टेड हुई, दोनों चीनी सरकार द्वारा शहर के तथाकथित राष्ट्रीय सुरक्षा कानून के तहत कथित उल्लंघन के लिए वांछित हैं.

उइगर कार्यकर्ता और विश्व उइगर कांग्रेस के अध्यक्ष डोलकुन ईसा ने कहा, ‘कई वर्षों से, मैंने अंतर्राष्ट्रीय संस्थानों पर चीन के दुरुपयोग और दमनकारी प्रभाव के परिणामों का व्यक्तिगत रूप से अनुभव किया है. 2018 तक, मेरे खिलाफ चीन के इंटरपोल रेड नोटिस ने उइगर अधिकारों और स्वतंत्रता की रक्षा और बढ़ावा देने के लिए मेरे काम के लिए एक विशेष खतरा और बाधा उत्पन्न की. अंतर्राष्ट्रीय समुदाय इंटरपोल जैसे बहुपक्षीय संस्थानों को प्रभावित करने और दुरुपयोग करने के चीन के प्रयासों को अनियंत्रित जारी रखने की अनुमति नहीं दे सकता है.’

आईपीएसी के सह-अध्यक्ष सीनेटर किचिंग ने कहा, ‘चीनी कम्युनिस्ट पार्टी दुनिया के सबसे महत्वपूर्ण संस्थानों पर अपना प्रभाव बढ़ा रही है. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार परिषद से लेकर विश्व स्वास्थ्य संगठन तक, हम पहले ही देख चुके हैं कि कैसे सीसीपी का हानिकारक प्रभाव हम सभी के लिए एक खतरा बन गया है. बीजिंग दुनिया के पुलिस निकाय पर अपना प्रभाव बढ़ा सकता है, दुनिया भर के दूतावासों में खतरे की घंटी बजनी चाहिए. हू बिनचेन के चुनाव का विरोध करने के लिए हमारी सरकारों को प्रतिनिधियों पर दबाव बनाना चाहिए.’

इस मुद्दे पर बात करते हुए नाथन लॉ ने कहा, ‘हमें इस बात से अवगत होना चाहिए कि पीआरसी और अन्य सत्तावादी सरकारें निर्वासित कार्यकर्ताओं का शिकार करने (दमन एवं शोषण) के लिए इंटरपोल का उपयोग कैसे कर रही हैं. हमें पीआरसी द्वारा सिस्टम पर अपना प्रभाव बढ़ाने और इंटरपोल को चीनी राज्य की लंबी शाखा बनाने के किसी भी प्रयास से बचना चाहिए.’

वहीं दूसरी ओर मानवाधिकारों की वकालत करने वाले समूह सेफगार्ड डिफेंडर्स द्वारा प्रकाशित रिपोर्ट में पहली बार खुलासा किया गया है कि कैसे चीनी सरकार अपने इंटरपोल रेड नोटिस अनुरोधों को सार्वजनिक करने से परहेज कर रही है, जिससे हजारों कार्यकर्ताओं और असंतुष्टों को चीन में गिरफ्तारी, नजरबंदी और प्रत्यर्पण के खतरे में डाल दिया गया है.