पाकिस्तान के पूर्व जनरल जावेद इकबाल ने जासूसी मामले में 'जुर्म' कबूला

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 16-01-2022
लाहौर उच्च न्यायालय
लाहौर उच्च न्यायालय

 

नई दिल्ली. पाकिस्तान के रक्षा अधिकारियों ने लाहौर उच्च न्यायालय की रावलपिंडी पीठ को बताया कि जासूसी गतिविधियों में लिप्त पाए गए लेफ्टिनेंट जनरल (सेवानिवृत्त) जावेद इकबाल ने इस्लामाबाद फर्स्ट क्लास मजिस्ट्रेट के सामने अपना 'अपराध' कबूल कर लिया है. द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने यह जानकारी दी.


मुकदमे के समापन पर, अदालत ने उन्हें सभी आरोपों का दोषी घोषित किया और उन्हें 29 मई, 2019 को 14 साल के कठोर कारावास की सजा सुनाई.

 

इसके अलावा, याचिकाकर्ता ने इस्लामाबाद प्रथम श्रेणी मजिस्ट्रेट के समक्ष अपने न्यायिक इकबालिया बयान में अपना 'अपराध' कबूल किया.

 

रिपोर्ट में कहा गया है कि वह फील्ड जनरल कोर्ट मार्शल (एफजीसीएम) के सामने भी पेश हुए और अपना बयान दर्ज किया और याचिकाकर्ता के निजी बचाव पक्ष के वकील ने उनसे जिरह की.

 

इसके अलावा, यह प्रस्तुत किया गया था कि सजा के निलंबन के रूप में अंतरिम राहत राज्य की सुरक्षा और हित को खतरे में डाल देगी.

 

रिपोर्ट के अनुसार, "याचिकाकर्ता पाकिस्तानी सेना में सेवा करते हुए अत्यधिक संवेदनशील पदों पर रहा और उसकी सजा को निलंबित करने से राज्य की सुरक्षा / रहस्यों को खतरा होगा. इसके अलावा, इस अदालत के समक्ष मामला प्रकृति में एक असाधारण संवेदनशील है और याचिकाकर्ता की अपनी जान जोखिम में होगी. क्योंकि राज्य विरोधी तत्व अपने नापाक मंसूबों के लिए उन्हें नुकसान पहुंचा सकते हैं."

 

जवाब में कहा गया कि इससे जासूसी गतिविधियों में शामिल दोषियों को रिहा करने की गलत मिसाल भी कायम होगी.

 

इस बात पर फिर से जोर दिया जाता है कि याचिकाकर्ता का जेल में बंद होना न केवल राज्य के हित में है बल्कि उसके जीवन के लिए भी सही है.

 

रक्षा अधिकारियों ने इस बात से इनकार किया है कि दोषी सैन्य अधिकारी को प्रताड़ित किया गया या किसी अपमानजनक व्यवहार के अधीन किया गया.