बाइडेन के माफ़ी मांगने तक अमेरिकी दूत को करें निष्कासित: जमात-ए-इस्लामी

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 17-10-2022
सिराज-उल-हक
सिराज-उल-हक

 

इस्लामाबाद. जमात-ए-इस्लामी (जेआई) के प्रमुख सिराज-उल-हक ने पाकिस्तान सरकार से इस्लामाबाद में अमेरिकी राजदूत डोनाल्ड ब्लोम को तब तक निष्कासित करने की मांग की है, जब तक अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन अपने उस बयान को लेकर माफी नहीं मांग लेते, जिसमें उन्होंने पाकिस्तान को दुनिया का सबसे खतरनाक देश बताया था.

एक डेमोक्रेटिक कांग्रेस अभियान समिति के स्वागत समारोह को संबोधित करते हुए, राष्ट्रपति ने कहा था, मुझे लगता है कि दुनिया के सबसे खतरनाक देशों में से एक है: पाकिस्तान. क्योंकि उसके पास बिना किसी सामंजस्य के परमाणु हथियार है. व्हाइट हाउस द्वारा आधिकारिक रूप से लेख प्रकाशित करने के बाद इस बयान पर पाकिस्तान में गुस्सा फूट पड़ा है.

प्रधानमंत्री शहबाज शरीफ, विदेश मंत्री बिलावल भुट्टो-जरदारी, पूर्व प्रधानमंत्री इमरान खान ने पाकिस्तान की परमाणु सुरक्षा के बारे में सवाल और चिंताएं उठाने पर बाइडेन को आड़े हाथों लिया, इस बात पर जोर दिया कि इस्लामाबाद एक जिम्मेदार परमाणु राज्य है.  शरीफ ने कहा, मैं स्पष्ट रूप से दोहराना चाहता हूं: पाकिस्तान एक जिम्मेदार परमाणु राष्ट्र है और हमें इस बात पर गर्व है कि आईएईए (अंतर्राष्ट्रीय परमाणु ऊर्जा एजेंसी) की आवश्यकताओं के अनुसार हमारी परमाणु संपत्ति के पास सर्वोत्तम सुरक्षा उपाय हैं. हम इन सुरक्षा उपायों को अत्यंत गंभीरता से लेते हैं. किसी को कोई शंका न हो.

प्रधानमंत्री कार्यालय (पीएमओ) ने भी अमेरिकी राष्ट्रपति के बयान पर अलग से प्रतिक्रिया दी और उनकी टिप्पणियों को तथ्यात्मक रूप से गलत और भ्रामक करार दिया. पीएमओ ने एक बयान में कहा, पिछले दशकों में, पाकिस्तान सबसे अधिक जिम्मेदार परमाणु राज्य साबित हुआ है, जहां उसके परमाणु कार्यक्रम को तकनीकी रूप से मजबूत, फुलप्रूफ कमांड और नियंत्रण प्रणाली के माध्यम से प्रबंधित किया जाता है.

इसके जवाब में, विदेश कार्यालय ने ब्लोम को बुलाने के बाद अमेरिकी दूत को एक मजबूत डेमार्श जारी किया. सरकार ने जिस तरह से प्रतिक्रिया दी है उससे जेआई प्रमुख खुश नहीं हैं. उन्होंने इसे अमेरिकियों के गुलाम होने का नारा दिया. जेआई प्रमुख ने कहा, पीटीआई (पाकिस्तान तहरीक-ए-इंसाफ) और पीडीएम (पाकिस्तान डेमोक्रेटिक मूवमेंट) अंतरराष्ट्रीय प्रतिष्ठान के मोहरे है और उन्होंने केवल उनके आदेशों का पालन किया. उन्होंने एक बयान में कहा, यह शासकों और अंतर्राष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) की गुलामी की अक्षमता थी, कि देश की 22 करोड़ आबादी संकट की चपेट में है.