क्यूबा में छह दशक बाद ‘कास्त्रो’ युग का अंत

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 17-04-2021
चे गुएवारा के साथ राउल कास्त्रो (फोटोः ट्विटर)
चे गुएवारा के साथ राउल कास्त्रो (फोटोः ट्विटर)

 

मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली

क्यूबा में सत्ता और नेतृत्व अब नए हाथों और नई पीढ़ी में जा रही है. कास्त्रो परिवार के आखिरी, क्यूबा के पूर्व राष्ट्रपति और फिदेल कास्त्रो के भाई राउल कास्त्रो, 89 ने ऐलान किया है कि वह देश की कम्युनिस्ट पार्टी के प्रमुख पद से इस्तीफा दे रहे हैं. इस तरह क्यूबा पर पिछले छह दशक से चला आ रहा कास्त्रो परिवार का एकाधिकार खत्म होगा.

इस हफ्ते के आखिर में, राउल कास्त्रो पार्टी के प्रथम सचिव का पद छोड़ देंगे और उनकी जगह लेंगे क्यूबा के मौजूदा राष्ट्रपति मिगुएल डियाज-कानेल.

1959 में हुई क्रांति के बाद और पिछले करीब छह दशक में पहली बार ऐसा होगा, जब कास्त्रो परिवार का कोई सदस्य देश का नेतृत्व नहीं करेगा.

देश में यह परिवर्तन ऐसे समय हो रहा है, जब क्यूबा पहले से ही मुश्किल समय से गुजर रहा है. कोरोना महामारी और अमेरिका की लगाई बंदिशों की वजह से अर्थव्यवस्था संकट में है. खाद्यान संकट ने यहां लोगों की मुसीबत बढ़ा दी है..

दूसरी तरफ, देश में आमदनी में बढ़ती असमानता को लेकर सरकार के खिलाफ लोगों का गुस्सा बढ़ते जा रहा है.

ऐसा लग रहा है कि आने वाले कुछ समय तक क्यूबा खबर में बना रहेगा और इसकी अर्थव्यवस्था में भी खुलापन आ सकता है.

क्यूबा में वह 1959 का साल का पहला दिन था जब फिदेल कास्त्रो के नेतृत्व में हुए संघर्ष परवान चढ़ गया और देश के तानाशाह फुलगेंशियो बतिस्ता देश छोड़कर भाग गए. बतिस्ता 26 महीनों तक चले गुरिल्ला युद्ध में कास्त्रो के हाथों पराजित हो चुके थे. और तब कास्त्रो ने ऐलान किया था, क्रांति शुरू हो चुकी है.

1960 में, क्यूबा ने अमेरिकी कंपनियों का राष्ट्रीयकरण कर दिया. नतीजतन, 1961 में अमेरिका ने क्यूबा के साथ सारे राजनयिक संबंध तोड़ लिए. 1961 के अप्रैल महीने में, अमेरिकी गुप्तचर संस्था, सीआइए से प्रशिक्षित क्यूबाई मिशन बे ऑफ पिग्स (पिग्स की खाड़ी) में कास्त्रो को अपदस्थ करने के इरादे से उतरा. पर यह मिशन नाकाम रहा.

16 अप्रैल, 1961 को कास्त्रो ने क्रांति के समाजवादी चार्टर को लागू कर दिया और 1965 में कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ क्यूबा का गठन किया गया.

1962 के अक्तूबर महीने में, अमेरिका को क्यूबा में सोवियत एटमी मिसाइल संयंत्र का पता लगा. दो हफ्तों तक, दुनिया दो बड़ी महाशक्तियों के बीच युद्ध की आशंकाओं में झूलता रहा. आखिरकार, बातचीत के बाद यह संकट टल गया.

असल में, क्यूबाई क्रांति के नायक तो अर्जेंटीना के थे. नाम तो सुना ही होगा, अर्नेस्टो चे गुएवारा. 1967 में बोलिवियाई सेना ने गुएवारा की हत्या कर दी.

क्यूबा की हनक में कमी आने लगी नब्बे के दशक से, जब सोवियत संघ का विघटन हो गया और इसके घटक देशों ने अपनी स्वतंत्रता की घोषणा कर दी.

बाद में, फिदेल कास्त्रो बीमार रहने लगे और 31 जुलाई, 2006 को उन्होंने सत्ता अपने भाई राउल कास्त्रो को सौंप दी. 2008 में राउल कास्त्रो क्यूबा के राष्ट्रपति बन गए.

फिदेल कास्त्रो की 25 नवंबर, 2016 को मृत्यु हो गई और उस वक्त वह 90 साल के थे.

और अब, जबकि सत्ता का सूत्र नई पीढ़ी के हाथों में जा रहा है और दुनिया का समीकरण भी बहुत तेजी से बदल गया है, देखना दिलचस्प होगा कि आखिर क्यूबा में अर्थव्यवस्था सुधारने के लिए उदारवाद कितना आता है. समाजवाद और कम्युनिज्म का यह किला क्या बचा रह पाएगा!