यूएन में डच समूह की मांग, उइगूर नरसंहार के लिए चीन पर दोष तय हों

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 30-09-2022
यूएन में डच समूह की मांग, उइगूर नरसंहार के लिए चीन पर दोष तय हों
यूएन में डच समूह की मांग, उइगूर नरसंहार के लिए चीन पर दोष तय हों

 

जिनेवा, स्विट्जरलैंड. नीदरलैंड स्थित समूह यूरोपियन फाउंडेशन फॉर साउथ एशियन स्टडीज (ईएफएसएएस) ने यूएनएचआरसी में शिनजियांग में उइगर जातीय मुस्लिम अल्पसंख्यकों का मुद्दा उठाया है और मानवाधिकारों के उल्लंघन के लिए चीनी सरकार के अधिकारियों को नामित करने की मांग उठाई.

जिनेवा में यूएनएचआरसी के 51वें सत्र में आइटम 5 (मानवाधिकार निकायों और तंत्र) पर सामान्य बहस के दौरान हारून मगुन्ना (अनुसंधान विश्लेषक ईएफएसएएस) ने कहा, ‘‘रिपोर्ट चीनी सरकार के अधिकारियों को दोष नहीं देती है. हालांकि रिपोर्ट नोट करती है कि झिंजियांग में गंभीर मानवाधिकारों का उल्लंघन किया गया है, यह बार-बार कहती है कि सबूत अनिर्णायक हैं. ये बयान जिम्मेदारी सौंपने में विफल हैं और विभिन्न संगठनों द्वारा किए गए शोध से अलग हैं. उइगर मुसलमानों को सामूहिक निरोध शिविरों में भेजकर, उनकी धार्मिक गतिविधियों में हस्तक्षेप करके और समुदाय के सदस्यों को किसी प्रकार की जबरन पुनर्शिक्षा या शिक्षा से गुजरने के लिए भेजने के लिए चीन को विश्व स्तर पर फटकार लगाई गई है.’’ शिनजियांग में मानवाधिकारों की चिंताओं पर संयुक्त राष्ट्र की हालिया रिपोर्ट ने क्षेत्रीय अंतरराष्ट्रीय फोकस को जोड़ा है.

मगुन्ना ने यह भी कहा कि रिपोर्ट नष्ट करने के राजनीतिक इरादे पर टिप्पणी नहीं करती है. उन्होंने कहा, ‘‘हालांकि यह अधिकारियों द्वारा किए गए दुर्व्यवहारों को सूचीबद्ध करता है, जिसमें जबरन श्रम, प्रणालीगत यौन हिंसा और जबरन नसबंदी शामिल है, रिपोर्ट यह स्वीकार नहीं करती है कि ये नीतियां शिनजियांग में अल्पसंख्यक संस्कृतियों को नष्ट करने के इरादे से प्रेरित हैं.’

उन्होंने दोहराया कि झिंजियांग की स्थितियों के बारे में जागरूकता को प्रोत्साहित करने के लिए रिपोर्ट का प्रकाशन महत्वपूर्ण है. उन्होंने कहा, ‘‘भविष्य की जांच, हालांकि, इस परिषद सहित संयुक्त राष्ट्र के विभिन्न निकायों में जवाबदेही और संबंधित अधिकारियों को जिम्मेदार ठहराते हुए आगे बढ़ना चाहिए. संयुक्त राष्ट्र मानवाधिकार निकायों को झिंजियांग में अपनी शोध गतिविधियों का विस्तार करना चाहिए और इन जांचों के साथ अपने सहयोग को गहरा करने के लिए चीनी अधिकारियों पर दबाव डालना चाहिए. बढ़ी हुई जवाबदेही और जानकारी के बिना, झिंजियांग में उल्लंघन और बिगड़ेंगे.’’

2017 के बाद से, चीनी अधिकारियों ने झिंजियांग उइगुर स्वायत्त क्षेत्र में उइगर और अन्य तुर्किक अल्पसंख्यकों पर मनमानी गिरफ्तारी और लंबी हिरासत के माध्यम से दबाव बढ़ा दिया है. इन समूहों के अनुमानित 1.8 मिलियन सदस्यों को नजरबंदी शिविरों में रखा गया है, जहां कुछ ने गंभीर मानवाधिकारों के हनन, यातना, बलात्कार और जबरन श्रम का अनुभव किया है. इस बीच, नए प्रकाशित शोध ने इस बात के पुख्ता सबूत दिए हैं कि बीजिंग समुदाय की राष्ट्रीय सुरक्षा खतरे के रूप में बीजिंग की धारणा के कारण, उइगर आबादी का धीमा नरसंहार कर रहा है.