…तो इसलिए पीओके में ड्रग्स नेटवर्क फैला रहा पाकिस्तान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 13-07-2022
…तो इसलिए पीओके में ड्रग्स नेटवर्क फैला रहा पाकिस्तान
…तो इसलिए पीओके में ड्रग्स नेटवर्क फैला रहा पाकिस्तान

 

इस्लामाबाद. पाकिस्तान पहले भी अपने कब्जे वाले कश्मीर क्षेत्र से कई वादे करता रहा है, लेकिन उसे कभी पूरा नहीं किया. क्षेत्र को पूरी तरह से आजादी देने, बुनियादी ढांचा, शिक्षा और स्वास्थ्य सुविधाओं आदि के विकास का वादा हमेशा ही एक दिखावा बनकर रह गया है. वहीं, पाकिस्तान अब भारत में कश्मीरियों को आजादी और आत्मनिर्णय की ड्रीम परियोजना बेचने में व्यस्त है, जबकि तथाकथित आजाद जम्मू-कश्मीर का अपना क्षेत्र सड़कों पर परेड कर रहा है और नारे लगा रहा है "हमें आजादी चाहिए', पाकिस्तान सेना वापस जाओ".

यह कोई रहस्य नहीं है कि पाकिस्तान प्रशासन ने अधिकृत कश्मीर क्षेत्र के बुनियादी मानवाधिकारों की उपेक्षा की है. पाकिस्तान के कब्जे वाला कश्मीर (पीओके) एक ऐसा क्षेत्र है, जो एक कारण के लिए विश्व सहानुभूति हासिल करने के लिए है, एक ऐसा कारण जो वे अभी भी झूठ और छल के नेटवर्क के माध्यम से दुनिया को साबित करने की कोशिश कर रहे हैं.

इसकी स्थापना के बाद से, 'आजाद कश्मीर' बस नाम का है, लेकिन इसके पीछे दुर्भाग्यपूर्ण घटनाओं, उपेक्षा और उत्पीड़न की एक श्रृंखला है.

पाकिस्तान की आईएसआई को डर है कि कहीं पीओके के युवा उसके नापाक मंसूबों को बिगाड़ न दें. इस प्रकार इसने पीओके के युवाओं को ड्रग्स के सेवन में धकेल कर उनकी नीतियों पर आवाज उठाने पर रोक लगा दी है.

जब से तालिबान अफगानिस्तान में सत्ता में आया है, पाकिस्तान जैसे पड़ोसी देशों में नशीली दवाओं की तस्करी (हेरोइन, क्रिस्टल मेथ, आदि) आम बात हो गई है, जिसमें पीओके को एक उभरता हुआ ड्रग हब बना दिया है. देश में मंहगाई के बावजूद, दवाएं कम कीमतों पर और व्यापक पहुंच के साथ बेची जा रही हैं.

क्रिस्टल मेथ (जिसे आइस के नाम से जाना जाता है) एक नशीली दवा है जिसे 'मेथामफेटामाइन' या 'एफेड्रिन' नामक रसायन से बनाया जाता है. आइस का उत्पादन अफगानिस्तान में 'इफेड्रा' नामक एक व्यापक रूप से उगाए जाने वाले पौधे के माध्यम से बड़ी मात्रा में किया जाता है.

हाल ही में बीबीसी उर्दू ने बताया कि अफगानिस्तान में तालिबान-प्रभुत्व वाले क्षेत्रों में इफेड्रा को क्रिस्टल मेथ में बदलने के लिए छोटे-छोटे कारखाने स्थापित किए गए थे. यह उनके लिए आय का एक महत्वपूर्ण स्रोत है. तालिबान के सत्ता में आने के बाद से ये कारखाने अब हर गली-नुक्कड़ पर खुल गए हैं.

पिछले दिनों अफगानिस्तान और कश्मीर के जिहाद में सक्रिय रहे पुंछ के सीमावर्ती इलाके के एक डीलर का कहना है कि ड्रग्स का इस्तेमाल 'मुजाहिदीन' के लिए दवा के तौर पर किया जाता था.

एक अन्य घटना में रावलकोट के उपनगर में एक प्रतिष्ठित मारिजुआना विक्रेता ने स्वीकार किया कि युवा मारिजुआना के लिए आइस और हेरोइन ड्रग्स पसंद करते हैं क्योंकि यह सस्ता है और इसके नशे का आनंद अधिक है. इसकी कीमत कभी 8,000 रुपये और उससे अधिक थी लेकिन आज इसकी कीमत केवल 2,000 रुपये से 5,000 रुपये है.

नशीली दवाओं के दुरुपयोग के खिलाफ पाकिस्तान के कानून इतने कड़े हैं कि वह बिना किसी पहचान के अफगानियों को पीओके में मुक्त प्रवाह की अनुमति देता है. एक बार जब वे पीओके पहुंच जाते हैं, तो पाकिस्तान उन्हें कानूनी परमिट और वास्तविक पहचान पत्र देता है.