अफगान लड़कियों की शिक्षा से इनकार करना देशद्रोह हैः यूएन में काबुल दूत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
तालिबान शासन में अफगान लड़कियों को स्कूली शिक्षा से वंचित किया गया है
तालिबान शासन में अफगान लड़कियों को स्कूली शिक्षा से वंचित किया गया है

 

 

काबुल. अफगानिस्तान में लड़कियों के लिए स्कूलों को बंद करने के रविवार को एक साल पूरा होने के बाद, संयुक्त राष्ट्र में काबुल के स्थायी मिशन के प्रभारी नसीर अहमद फैक ने कहा कि लड़कियों को शिक्षा के उनके मूल अधिकारों से वंचित करना ‘राष्ट्रीय राजद्रोह’ है. संयुक्त राष्ट्र में अफगानिस्तान के प्रतिनिधि ने सोमवार सुबह अपने ट्विटर हैंडल पर लिखा, ‘‘अफगानिस्तान दुनिया का एकमात्र देश है, जिसने लड़कियों के लिए स्कूल बंद कर दिए हैं.’’

इससे पहले, अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए), मार्कस पोटजेल, जो संयुक्त राष्ट्र महासचिव के उप विशेष प्रतिनिधि भी हैं, ने कहा कि हाई स्कूलों से लड़कियों के चल रहे बहिष्कार का कोई औचित्य नहीं है और उन्होंने इस एक साल को दुखद बताया, शर्मनाक, और पूरी तरह से परिहार्य बताया है.

पिछले साल, 18 सितंबर को, अफगानिस्तान के हाई स्कूलों ने लड़कों के लिए अपने दरवाजे खोल दिए, जबकि तालिबान ने लड़कियों को घर पर रहने का आदेश दिया. कई मानवाधिकार और शिक्षा कार्यकर्ताओं ने हाल ही में एक खुले पत्र में विश्व नेताओं से तालिबान पर युद्धग्रस्त देश में लड़कियों के लिए माध्यमिक विद्यालयों को फिर से खोलने के लिए राजनयिक दबाव बनाने का आग्रह किया था.

कक्षा छह से ऊपर की छात्राओं पर स्कूल से प्रतिबंध लगाने के तालिबान के फैसले की राष्ट्रीय और अंतरराष्ट्रीय स्तर पर व्यापक आलोचना हुई है. इसके अलावा, तालिबान शासन जिसने पिछले साल अगस्त में काबुल पर अधिकार कर लिया था. उसने महिलाओं के अधिकारों और स्वतंत्रता को कम कर दिया है, आर्थिक संकट और प्रतिबंधों के कारण महिलाओं को बड़े पैमाने पर कार्यबल से बाहर रखा गया है.