नेपाली वामपंथी दलों की एकता का चाइनीज प्रयास, शी जिनपिंग के विशेष दूत काठमांडू के दौरे पर

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 10-07-2022
नेपाली वामपंथी दलों की एकता का चाइनीज प्रयास, शी जिनपिंग के विशेष दूत काठमांडू के दौरे पर
नेपाली वामपंथी दलों की एकता का चाइनीज प्रयास, शी जिनपिंग के विशेष दूत काठमांडू के दौरे पर

 

पंकज दास / काठमांडू

नेपाल में आम चुनाव की घोषणा से ठीक पहले वामपंथी दलों को एक जगह लाने की कवायद चीन के तरफ से शुरू हो गया है. चीन के राष्ट्रपति शी जिनपिंग के विशेष दूत चार दिनों के नेपाल दौरे पर आज काठमांडू पहुंचे. कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना के विदेश विभाग प्रमुख Liu Jianchao एक उच्च स्तरीय 6 सदस्यीय प्रतिनिधिमंडल के साथ काठमांडू आए हैं.

वैसे तो Liu के नेपाल दौरे की शुरुआत प्रधानमन्त्री शेरबहादुर देउवा से मुलाकात के साथ शुरू हो रही है और चार दिन बाद बीजिंग लौटने से पहले वो नेपाल के राष्ट्रपति से भी शिष्टाचार भेंट करने वाले हैं. लेकिन बाकी के समय शी  के दूत का समय अलग अलग दलों में बिखरे कम्युनिस्ट दलों को फिर से एक करने में ही व्यस्त रहने वाले हैं.

सोमवार को Liu की मुलाकात सत्ता गठबन्धन में रहे माओवादी पार्टी के अध्यक्ष प्रचण्ड से मुलाकात करेंगे. उसी दिन उनकी मुलाकात दो और सत्तारूढ़ दल के प्रमुख नेता माधव कुमार नेपाल और उपेन्द्र यादव से भी होने वाली है.

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मंगलवार को शी जिनपिंग के विशेष दूत प्रमुख प्रतिपक्षी दल के नेता तथा पूर्व प्रधानमंत्री केपी शर्मा ओली से मिलने उनके निवास में जाने वाले हैं. इन सभी मुलाकातों का मकसद नेपाल में नवम्बर में होने वाले आम चुनाव से पहले कम्युनिस्ट ताकतों को एक करना है.

नेपाल में कम्युनिस्ट पार्टियों के अलग-अलग होने के कारण यहां अमेरिका प्रभाव इतना अधिक बढ़ गया है कि वो अपने पक्ष में विवादास्पद मिलेनियम चैलेंज कम्पैक्ट को नेपाल की संसद से दो-तिहाई से पारित करवा रहे हैं और चीन के द्वारा प्रस्तावित बेल्ट एंड रोड (बीआरआई) को साफ साफ इंकार कर दिया है.

हालांकि नेपाल में चीन समर्थित चार अलग अलग कम्युनिस्ट दलों के समर्थन से ही नेपाली कांग्रेस की सरकार टिकी है. फिर भी चीन के खिलाफ अमेरिकी सेना को नेपाल में आने देने के लिए सरकार एक और समझौते करने जा रही है, जिसके बाद नेपाल चीन सीमा पर अब अमेरिकी सेना के साथ ना सिर्फ मिलिट्री एक्सरसाइज होगी, बल्कि चीन के सीमा के काफी करीब अमेरिका अपना सैन्य और एयरबेस भी बना सकता है.

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नेपाल सरकार के इसी तैयारी से बौखलाए चीन चाहता है कि नेपाल का वर्तमान सत्तारूढ गठबंधन टूट जाए और प्रमुख कम्युनिस्ट पार्टी के बीच एकता हो जाए. चीन का प्रयास यही है कि नवम्बर में होने वाले आम चुनाव में कम्युनिस्ट पार्टी के नेता एक ही दल के रूप में चुनाव लड़े या अगर यह संभव नहीं हो, तो कम से कम एक वृहत वाम मोर्चा बना कर चुनाव में जाए.

कम्युनिस्ट पार्टी ऑफ चाइना का विदेश विभाग इसके लिए पिछले कई दिनों से लगातार काम कर रहा है. जून के आखिरी हफ्ते में चीन के विदेश विभाग प्रमुख ने नेपाल के प्रमुख वामपंथी नेताओं के साथ वीडियो कॉन्फ्रेंस के जरिए अपना मकसद स्पष्ट समझा दिया था. चीन की इस पहल के बाद माओवादी अध्यक्ष प्रचण्ड इसकी पहल भी रकर रहे हैं. प्रचण्ड ने सार्वजनिक रूप से केपी ओली को बातचीत कर कम्युनिस्ट एकता का प्रस्ताव कर दिया है. प्रचण्ड का प्रयास है कि अगर ओली इसके लिए तैयार नहीं होते हैं, तो ओली को छोड़कर बाकी दलों के बीच एकता या मोर्चाबंदी  कर ली जाए.