चीन की नकल: अमेरिका के लोकतंत्र सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेगा पाकिस्तान

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
इमरान खान
इमरान खान

 

नई दिल्ली. अमेरिकी राष्ट्रपति जो बाइडेन की ओर से गुरूवार और शुक्रवार को आहूत लोकतंत्र सम्मेलन में पाकिस्तान ने हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है. समाचार पत्र द एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने यह जानकारी दी है. बाइडेन प्रशासन ने विश्व के 100 से अधिक देशों के नेताओं को इस सम्मेलन में हिस्सा लेने का न्योता भेजा है और दक्षिण एशिया में भारत, मालदीव, नेपाल तथा पाकिस्तान का नाम भी इन देशों की सूची में हैं लेकिन चीन तथा रूस को कोई निमंत्रण नहीं दिया गया है, जबकि चीन की ओर से आपत्ति किए जाने के बावजूद ताइवान को भी निमंत्रित किया गया है.

 
समाचार पत्र ने कहा है कि पाकिस्तान का यह रवैया अमेरिका का एक तरह से अपमान है और दोनों देशों के बीच पहले से ही चल रहे तनावपूर्ण संबंधों पर इसका गंभीर असर पड़ सकता है.
 
समझा जाता है कि पाकिस्तान के इस निर्णय के पीछे कई कारकों की भूमिका हो सकती है और उसने इस सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने पर कई दिनों तक गहन मंथन किया होगा. पहले यह माना जा रहा था कि पाकिस्तान अमेरिका के इस निमंत्रण को स्वीकार कर उस बैठक में हिस्सा लेगा लेकिन उसने कई कारणों से इसमें हिस्सा नहीं लेने का फैसला किया है. रिपोर्ट में कहा गया है कि सम्मेलन से चीन को बाहर किया जाना भी एक कारण हो सकता है जिसकी वजह से पाकिस्तान ने इसमें हिस्सा नहीं लेने का मन बनाया है क्योंकि दोनों देशों के संबंधों का पूरे विश्व को पता है कि चीन पाकिस्तान के हितों का खुलकर समर्थन करता है.
 
शबाइडेन ने इस वर्ष के शुरू में अमेरिकी राष्ट्रपति का पदभार संभालने के बाद से पाकिस्तान के प्रधानमंत्री इमरान खान से अब तक बातचीत नहीं की है लेकिन उनकी तरफ से पाकिस्तान को भेजे गए न्योते को दोनों देशों के बीच रिश्ते सुधारने की कवायद माना जा रहा था. अभी तक यह स्पष्ट नहीं हो सका है कि पाकिस्तान के इस निर्णय का चीन पर क्या असर पड़ता है लेकिन आधिकारिक सूत्रों ने इस बात की पुष्टि की है कि इस मामले में पाकिस्तान ने चीन से सलाह जरूर ली थी. सम्मेलन में हिस्सा नहीं लेने के पाकिस्तान के इस कदम से साफ संकेत मिलता है कि दोनों देशों के संबंधों का स्तर क्या है. पिछले माह अफगानिस्तान के मसले पर सांसदों की बैठक के दौरान यह जानकारी दी गई थी कि दोनों देशों के संबंध अब तक के निम्न पायदान पर हैं. पाकिस्तान को इस बात का भी डर है कि अमेरिका उसके खिलाफ कड़े कदम उठा सकता है क्योंकि इस सम्मेलन से पहले ही अमेरिका का वित्त्त विभाग इस बात की घोषणा कर चुका है कि जो लोग लोकतंत्र की अनदेखी कर रहे हैं या मानवाधिकारों के मामले में जिन देशों का रिकार्ड सही नहीं है , उनके खिलाफ प्रतिबंध लागू किए जाएंगे.