बाजवा बोले-भारत से बातचीत कर सभी मुद्दों पर हल को तैयार

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 18-03-2021
इमरान खान और कमर जावेद बाजवा
इमरान खान और कमर जावेद बाजवा

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली / इस्लामाबाद

पिछले दो वर्षों में अपनी गलत नीतियों के कारण पड़ोसी देशों से रिश्ता बिगाड़ चुकी इमरान खान सरकार एक बार फिर भारत का विश्वास जीतने के प्रयास में है. पिछले महीले महीने प्रधानमंत्री इमरान खान और पाकिस्तानी सेना प्रमुख जनरल कमर जावेद बाजवा इसके कई बार संकेत दे चुके हैं. इस क्रम में कमर जावेद बाजवा फिर बयान आया है. उन्हांेने कहा, “हम बातचीत के माध्यम से अपने पड़ोसियों के साथी सभी पुराने मुद्दों को हल कर माहौल को बेहर करने के लिए तैयार हैं.”

कमर जावेद बाजवा गुरूवार को इस्लामाबाद में चल रहे ‘नेशल सेक्यूरिटी डॉयलॉग’ में बोल रहे थे. इस दौरान उन्होंने कहा, “अनसुलझे विवादों ने इस क्षेत्र को गरीबी और अविकसितता की ओर खींच लिया है. हम बातचीत के माध्यम से अपने पड़ोसियों के साथ सभी बाकी मुद्दों को हल कर माहौल को बेहतर बनाने को तैयार हैं.” उन्होंने कह, “हमने पूर्व से सीखा है.”

एक दिन पहले इसी तरह के बयान प्रधानमंती इमरान खान ने भी दिए थे. उन्होंने ‘नेशनल सेक्यूरिटी डॉयलॉग’ में भाग लेते हुए कहा, “भारत यदि पाकिस्तान के साथ शांतिपूर्ण रिश्ते रखता है, तो उसे आर्थिक लाभ मिलेगा. इससे भारत को पाकिस्तानी भू-भाग के रास्ते संसाधन बहुल मध्य एशिया में सीधे पहुंचने में मदद मिलेगी.”

इमरान खान ने दो दिवसीय इस्लामाबाद सुरक्षा वार्ता में कहा कि उनकी सरकार ने 2018 में सत्ता में आने के बाद भारत के साथ बेहतर संबंधों के लिए हर कदम उठाया, अब भारत की बारी है. उन्होंने कहा कि नई दिल्ली को पहला कदम उठाना होगा. जब तक वे ऐसा नहीं करेंगे, तब तक हम ज्यादा कुछ नहीं कर सकते.

पिछले महीने भी इमरान खान और बाजवा भारत ने बेहतर रिश्ते बनाने पर बल दिया था. इस बीच सेना स्तर की वार्ता के बाद सीमा पर सीज फॉयर के उल्लंघन की घटनाएं भी कम हुई हैं.

माना जा रहा कि पिछले दो वर्षों में गलत नीतियों और भारत से रिश्ता बिगाड़ कर पाकिस्तान को गर्त में पहुंचाने वाले इमरान खान अब अपनी त्रुटियां सुधारना चाहते हैं. इसलिए महीने भर से पाकिस्तान की ओर भारत से बेहतर रिश्ता बनाने वाले बयान आ रहे हैं.

हालाकि, भारत ने कभी नहीं कहा कि वह पाकिस्तान से बेहतर रिश्ता नहीं चाहता. इससे पहले जब पाकिस्तान ने बेहतर संबंधों की बात कही थी, तो भारत ने स्पष्ट कर दिया था कि पहले पाकिस्तान को आतंकियों के समर्थन की आदत को छोड़ना होगा.


भारत ने पिछले महीने कहा था कि वह पाकिस्तान के साथ आतंक, बैर और हिंसा मुक्त माहौल में सामान्य पड़ोसी जैसे रिश्तों की आकांक्षा रखता है. इसकी जिम्मेदारी पाकिस्तान पर है कि वह आतंकवाद और शत्रुता मुक्त माहौल तैयार करे. नई दिल्ली ने यह भी कहा था कि आतंकवाद और वार्ता साथ नहीं चल सकती.

फिर अलापा राग

हालांकि, इमरान खान अभी भी कश्मीर राग अलापना नहीं भूल रहे. ‘सुरक्षा वार्ता’ में भी कश्मीर का मुद्दा उठाने से गुरेज नहीं किया.

उन्होंने कहा कि यदि भारत संयुक्त राष्ट्र के प्रस्ताव के तहत कश्मीरियों को उनका अधिकार देता है, तो यह पाकिस्तान और भारत के लिए काफी फायदेमंद रहेगा.

उन्होंने अपनी बात दोहराते हुए कहा कि शांति कायम होने के बाद भारत मध्य एशिया में पहुंच सकता है. बता दें कि आधुनिक संदर्भ में मध्य एशिया के संसाधन बहुल देशों में किर्गिजस्तान, ताजिकिस्तान, कजाकिस्तान, तुर्कमेनिस्तान और उज्बेकिस्तान आते हैं.

तारीफ करना नहीं भूले

पाकिस्तान के प्रधानमंत्री ने अपने भाषण में चीन की तारीफ में भी कसीदे पढ़े. उन्होंने चीन के गरीबी उन्मूलन मॉडल की तारीफ करते हुए कहा, ‘चाहे आप चीन को पसंद करें या न करें, लेकिन उसने पिछले तीन दशक में 70करोड़ लोगों को जिस तरह से गरीबी से बाहर निकाला है, वो काबिल-ए-तारीफ है.

खान ने अपनी पीठ थपथपाते हुए कहा कि उनकी सरकार गरीबों की स्थिति सुधारने के लिए प्रयास कर रही है. गरीबों को नकद राशि प्रदान करने की योजना पहले से अमल में आ चुकी है, इसके अलावा भी कई योजनाओं पर काम चल रहा है.