बड़ी खबरः दुनिया की पहली खाने वाली वैक्सीन ‘राइजेनका’ बस आने ही वाली है

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 2 Years ago
बड़ी खबरः दुनिया की पहली खाने वाली वैक्सीन ‘राइजेनका’ बस आने ही वाली है
बड़ी खबरः दुनिया की पहली खाने वाली वैक्सीन ‘राइजेनका’ बस आने ही वाली है

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली
 
कोरोनावायरस के जब नए-नए रूप सामने आ रहे हैं, तो वैज्ञानिक भी उसे पटखनी देने केलिए नए-नए अविष्कार में जुटे हैं. माना जाता है कि कोरोना वेब को वैक्सीन से ही थामा जा सकता है. ऐसे में रूसी वैज्ञानिकों ने अब एक ऐसे कोरोना वैक्सीन का इजाद किया है, जो न केवल बोतलबंद होगा, चम्मच से दही की तरह खा भी सकेंगे. इसका स्वाद भी दही की ही तरह होगा.
 
उम्मीद की जा रही है कि इस साल के अंत तक कोरोना रोगी इसका लाभ ले सकेंगे. इस नए वैक्सीन का नाम है-राइजेनका . सैयद सोहराब सरताज के रिसर्च पेपर के अनुसार, इस तरह के वैक्सीन पर कई देशों में काम चल रहा है.
 
 
चिकित्सा वैज्ञानिकों का माना है कि इंजेक्शन वाला वैक्सीन न केवल अधिक खर्चीला है, इसे हर कोई लेना पसंद भी नहीं करता. देश-दुनियों में एक बड़ा तबका ऐसा भी है जिसे इंजेक्शन लेना कतई पसंद नहीं. विश्व स्वास्थ्य संगठन के निदेशक कहते हैं कि इस बार का कोरोना वेब बहुत ज्यादा तेज है. ऐसे में सिर पर मौत नाचने के बावजूद एक बड़ा तबका  कोरोना वैक्सीन लेने से बच रहा है.
 
ऐसे लोगों को यह खबर वास्तव में राहत देगी कि रूसी विशेषज्ञों ने दुनिया के पहले खाद्य कोरोना वैक्सीन के विकास का ऐलान किया है.
 
पाकिस्तानी न्यूूज चैनल ‘एआरवाई न्यूज’ ने एक विदेशी समाचार एजेंसी के हवाले से दावा किया है कि, जो लोग सर्जिकल सुइयों के डर से टीकाकरण नहीं करवाते, वे अब कोरोनावायरस वैक्सीन लेने में सक्षम होंगे. रूसी वैज्ञानिकों ने खाने वाले वैक्सीन का परीक्षण शुरू कर दिया है.
 
रिपोर्ट के अनुसार, रूसी शहर सेंट पीटर्सबर्ग के वैज्ञानिकों का एक दल कोरोना वायरस के खिलाफ एक oral वैक्सीन को अंतिम रूप देने में जुटा है. वैक्सीन विकसित होने के बाद परीक्षण शुरू हो गए हैं. रूसी प्रायोगिक चिकित्सा संस्थान दुनिया के पहले खाद्य कोरोना वायरस वैक्सीन के  ​​परीक्षणों का आयोजन कर रहा है.
 
यह टीका बोतलबंद होगा. इसे चम्मच से आसानी से खाया जा सकता है. विशेषज्ञों का मानना ​​है कि सीरिंज वाले इंजेक्शन को लगाने के लिए स्वास्थ्य विभाग को बहुत समय और श्रमशक्ति लगानी पड़ती है.
 
वैज्ञानिकों का मानना ​​है कि यह सूत्र (खाद्य कोरोना वैक्सीन) कोरोना वायरस के खिलाफ लाखों लोगों के टीकाकरण की प्रक्रिया को गति देगा.
 
रूसी विज्ञान अकादमी के एक वरिष्ठ अधिकारी का कहना है कि दही-स्वाद वाले भोजन के समान कोरोना वैक्सीन के लिए नैदानिक ​​परीक्षण चल रहे हैं, जो इस वर्ष के अंत में 220 मिलियन रूबल (9 2.9 मिलियन) की लागत से अंतिम रूप दिया जाएगा. वैक्सीन का स्वाद रूसी डेयरी पेय की तरह होगा जिसका नाम राइजेनका ((ryazhenka) है.हालाकि, राइजेनका रूसी भाषा में जरूरत से ज्यादा पके दूध को कहते हैं, जिसका वहां जबर्दस्त चलन है.