मंजीत ठाकुर/ नई दिल्ली
एकतरफ, पाकिस्तान अफगानिस्तान में मुहरें सजाने में व्यस्त है तो दूसरी तरफ उसकी अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मुश्किलें बढ़ती जा रही हैं. पाकिस्तान में बलोचिस्तान प्रांत के ग्वादर और तुर्बत के विभिन्न इलाकों के हजारों लोग पाकिस्तानी सरकार के खिलाफ प्रदर्शन करने सड़कों पर उतर आए हैं. इन प्रदर्शनकारियों की मांग बुनियादी सुविधाओं को लेकर है.
सोशल मीडिया पर ऐसा वीडियो दिख रहे हैं जिसमें हजारों प्रदर्शनकारी बिजली और पानी की मांग के नारे लगा रहे हैं. आइएएनएस की रिपोर्ट है कि बलोचिस्तान के ग्वादर और तुर्बत में हजारों प्रदर्शनकारियों ने बुनियादी सुविधाओं की अनुपलब्धता, पेयजल, स्वास्थ्य सुविधाओं, शिक्षा सुविधाओं की कमी और लगातार बढ़ती बेरोजगारी के खिलाफ विरोध प्रदर्शन किया.
This is Gwadar Balochistan, protest against none availability of drinking water and electricity. pic.twitter.com/iJCHFTpnUU
— Fazila Baloch🌺☀️ (@IFazilaBaloch) September 30, 2021
पाकिस्तानी दैनिक अखबार डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, ग्वादर और मकरान इलाकों के अन्य क्षेत्रों में बुनियादी सुविधाओं के अभाव में जी रहे लोगों और बेरोजगारों ने प्रदर्शन किया है.
ग्वादर में इस विरोध प्रदर्शन का नेतृत्व जमात-ए-इस्लामी के बलोचिस्तान चैप्टर के पदाधिकारी मौलाना हिदायत-उर-रहमान बलूच के हाथों में था जो, द डॉन के मुताबिक, शुहादा जवानी चौक पर एक बड़ी जनसभा में बदल गया. रिपोर्ट के अनुसार, इस अवसर पर बोलते हुए, मौलाना बलूच ने सरकार और प्रशासनिक अधिकारियों की कड़ी आलोचना की और कहा कि पिछले 70 वर्षों में लगातार सरकारें मकरान और ग्वादर के लोगों के बुनियादी मुद्दों को हल करने में विफल रही हैं.
उन्होंने कहा, “हम ग्वादर और तुर्बत के लोगों के बुनियादी अधिकारों की मांग कर रहे हैं, जिन्हें शासकों ने हड़प लिया है और लोग पीने के पानी, स्वास्थ्य और शिक्षा सुविधाओं से भी वंचित हैं. चूंकि सरकार ने मकरान तट पर बड़े ट्रॉलरों को मछली पकड़ने की अनुमति दी है, इसलिए अब स्थानीय मछुआरे भी अपनी आजीविका कमाने में सक्षम नहीं रह गए हैं.”
जमात नेता ने कहा कि पाकिस्तान की सरकार पिछले 70 साल से बलोच जनता की समस्याओं को सुलझाने में विफल रही है.
जमात नेता ने आगे कहा, “मैं ग्वादर और मकरान के लोगों के खिलाफ हो रहे अत्याचार और अन्याय के खिलाफ जिहाद की घोषणा करता हूं.”उन्होंने कहा कि ग्वादर बंदरगाह बनने के बाद भी क्षेत्र के लोग बेरोजगार हैं और सरकार ने उन्हें रोजगार देने के लिए कुछ नहीं किया है.
डॉन की रिपोर्ट के अनुसार, उन्होंने कहा कि ग्वादर और केच जिलों के दूर-दराज के इलाकों से हजारों लोग यहां आए हैं और वे अब सरकार की ओर से उनके रोजगार, पेयजल और शिक्षा के बुनियादी अधिकारों का प्रावधान सुनिश्चित कराने के लिए मजबूरन सड़कों पर उतर आए हैं.
गौरतलब है कि ग्वादर बंदरगाह बलोचिस्तान में ही है और इसे पाकिस्तान ने चीन को दे दिया है. यह श्रीलंका के हंबनटोटा बंदरगाह की तरह ही चीन के कब्जे में है और पाकिस्तानी नागरिकों को इस बंदरगाह परिसर में जाने के लिए अपना पासपोर्ट दिखाना होता है.
दूसरी तरफ, अंतरराष्ट्रीय स्तर पर पाकिस्तान की पोल खुल रही है. अमेरिका में 22 रिपब्लिकन सीनेटरों ने अफगानिस्तान में तालिबान की बढ़त और हिंसा के मामलों में पाकिस्तान की भूमिका की समीक्षा के लिए एक विधेयक पेश किया है. अगर, यह पारित हो गया तो पाकिस्तान के लिए मुश्किलें बढ़ सकती हैं. खासतौर पर, अंतरराष्ट्रीय आतंकवाद में उसका हाथ साबित होने पर उस पर आर्थिक प्रतिबंध आयद किए जा सकते हैं. पहले से ही एफटीएफए की धूसर सूची (ग्रे लिस्ट) में छटपटा रहा पाकिस्तान शायद आर्थिक प्रतिबंधों से बरबाद ही हो जाएगा.
दूसरी तरफ, अमेरिका के भूतपूर्व सुरक्षा सलाहकार ने चिंता जताई है कि पाकिस्तान के 150 से अधिक एटमी हथियार तालिबानियों और आतंकवादियों के हाथ लग सकते हैं.