Awaz-The voice का खुलासाः बैसाखी पर भारतीय सिखों के खिलाफ साजिश रच रहा पाकिस्तान

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 09-04-2021
गुरूद्वारा पंजा साहब
गुरूद्वारा पंजा साहब

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

पाकिस्तान की इमरान खान सरकार भारत के सिखों के खिलाफ साजिश रच रही है. एक चिट्टी से इसका खुलासा हुआ है. चिट्ठी पढ़ कर समझते देर नहीं लगेगी कि कैसे पाकिस्तान ने भारतीय सिखों की जान से खिलवाड़ के लिए जाल बुना है. उसकी इस कथित साजिश में पाकिस्तान सिख गुद्वारा प्रबंधक कमेटी भी बराबर की शरीक है.
 
अभी पूरा विश्व कोरोना महामारी की दूसरी और तीसरी लहर की चपेट में है. भारत सहित पूरी दुनिया में स्थिति दोबारा बेहद चिंतनीय स्तर पर पहुंच गई है. पाकिस्तान में कोरोना को लेकर कुछ ज्यादा ही हालात खराब हैं. 
 
पड़ोसी देश के एक प्रतिष्ठित अखबार ‘डान’ के अनुसार, 20 करोड़ की आबादी वाले इस देश में मौजूदा कोरोना पाजेटिव रेट 10.7 प्रतिशत है. रोजाना करीब छह हजार नए मरीज दर्ज किए जा रहे हैं. मौजूदा समय में पाकिस्तान में कुल 705,517 कोरोना पाजेटिव मरीजों की संख्या है. इसी तरह वहां इस महारोग से मृत्यु दर 18 प्रतिशत तक पहुंच गई है.
 
ऐसी भयावह परिस्थिति में पाकिस्तान ने भारत के सिखों की जान से खिलवाड़ का ताना-बाना बुना है. 13 अप्रैल को सिखों का बड़ा पर्व बैसाखी है. इस दिन पाकिस्तान के पंजाब प्रांत के हसन अब्दाली स्थित गुरूद्वारा श्री पंजा साहब में ‘बैसाखी मेले’ का भव्य आयोजन किया जाता है. पाकिस्तान, हिंदुस्तान के अलावा विश्वभर से वहां सिख बिरादरी बड़ी संख्या में जुटती है. अरदास होती है और खुशियां मनाई जाती है. 
 
पाकिस्तान गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी की एक चिट्टी से खुलासा हुआ कि गुरूद्वारा पंजा साहब में इस महामारी के दौर में भी ‘बैसाखी मेला’ का कार्यक्रम है, पर उसमें केवल भारतीय दर्शनार्थियों को शामिल होने की इजाजत होगी. पाकिस्तानी सिखों के लिए कहा गया है-‘हम सब की कीमती जानों की हिफाजत के पेश ए नजर फैसला किया गया है कि इस साल पाकिस्तानी संगतों को मेला बैसाखी के मौके पर गुरूद्वारा श्री पंजा साहब में आने की इजाजत नहीं होगी.’ 
 
 
यानी अन्य देशों, विशेषकर भारत से आने वाले सिखों पर यह बंदशि नहीं लगाई गई है. इस चिट्ठी से कतई नहीं लगता कि पाकिस्तान को भारतीय सिखों की जान की चिंता है. पाकिस्तान गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी द्वारा 4 अप्रैल को जारी पत्र पढ़ कर आप बहुत कुछ अंदाजा लगा सकते हैं.
 
गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी का यह पत्र उर्दू में है और पाकिस्तानी सिखों को संबोधित करते हुए लिखा गया है.

चिट्ठी का मजमून कुछ यूं है.....

पाकिस्तान में बसने वाले तमाम सिख बिरादरी और नानक लेवा संगत को सत श्री अकाल

आप तमाम लोगों से निहायत अदब के साथ हाथ जोड़कर विनती
 की जाती है, जैसा कि आप तमाम लोग जानते हैं कि कोरोना वायरस की तीसरी शदीदतरीन लहर पाकिस्तान में हर गुजरते दिन के साथ ज्यादा होती जा रही है. इस लिए हुकमत ए पाकिस्तान ने हम सब की कीमती जानों की हिफाजत के पेशनजर फैसला किया है कि इस साल पाकिस्तानी संगतों को मेला बैसाखी के मौके पर गुरूद्वारा श्री पंजा साहब, हसन अब्दाली में आने की इजाजत नहीं होगी. सिर्फ पाकिस्तान गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के मौजूदा व साबिक मेंमबरान और भारतीय यात्री ही इस साल गुरूद्वारा साहब के अंदर गुरू पर्व मना सकेंगे. इस लिए तमाम सिखों से हाथ जोड़कर विनती की जाती है कि आप लोग अपना और अपने प्यारों का ज्यादा से ज्यादा ख्याल रखते हुए अपने घरों में ही रह कर सच्चे पादशाह जी से जितनी हो सके अरदास करें कि सच्चे पादशाह जल्द से जल्द इस बीमारी को दुनिया से खत्म कर दें और हम सब मिलकर दोबारा अपने धार्मिक स्थानों के दर्शन कर सकें.

अगर कोई मोकामी पाकिस्तानी यात्री खुद या फैमली के साथ आता है तो उसको अंदर जाने की इजाजत नहीं होगी और उसको परेशानी का सामना करना पड़ सकता है. इस लिए परेशानी से बचने के लिए मेला बैसाखी 2021 पर गुरूद्वारा पंजा, हसन अब्दाली आने से परहेज करें.

latter
भातीय सिखों के खिलाफ साजिश की बू

पाकिस्तान सिख गुरूद्वारा प्रबंधक कमेटी के अध्यक्ष सरदार सतवंत सिंह के नाम से जारी इस पत्र से भारतीय सिखों के खिलाफ साजिश की बू आती है. इस लिए कि पाकिस्तानी सरकार को अपने देश के सिखों की जान की ऐसे दौर में बेहद परवाह है, जब वहां कोरोना ने भयानक रूप ले लिया है.
 
मगर उसे भारत के सिखों की कतई कोई परवाह नहीं. भारतीय सिखों को गुरूद्वारा पंजा साहब में आयोजित बैसाखी मेले में आने की इजाजत है. जबकि होना यह चाहिए था कि अपने देश की बिगड़ी हालत को देखते हुए बाहर से आने वालों पर पूर्ण बंदिश लगा देनी चाहिए थी ताकि स्थिति और न बिगड़े. ऐसे में दूसरे देश से पाकिस्तान में आने वाले भी खतरे में पड़ सकते हैं.
 
चूंकि भारत और इसके पंजाब प्रांत में भी कोरोना की स्थिति कुछ अधिक ठीक नहीं, इस लिए भी पाकिस्तान को भारत से आने वाले सिखों पर भी बंदिश लगानी चाहिए थी. मगर उसने ऐसा नहीं किया. जाहिर है उसकी नीयत में खोट है.
 
सिख धर्म और गुरूद्वारा पंज साहब के बारे में कुछ बातें....

सिख धर्म का इतिहास प्रथम सिख गुरु, गुरु नानक के द्वारा पन्द्रहवीं सदी में भारत के पंजाब क्षेत्र में आगाज हुआ. इसकी धार्मिक परम्पराओं को गुरु गोबिन्द सिंह ने 30 मार्च 1699 के दिन अंतिम रूप दिया. विभिन्न जातियों के लोग ने सिख गुरुओं से दीक्षा ग्रहणकर खालसा पन्थ को सजाया. पाँच प्यारों ने फिर गुरु गोबिन्द सिंह को अमृत देकर खालसे में शामिल कर लिया. इस ऐतिहासिक घटना ने सिख धर्म के तकरीबन 300 साल इतिहास को तरतीब किया.
 
सिख धर्म का इतिहास, पंजाब का इतिहास और दक्षिण एशिया (मौजूदा पाकिस्तान और भारत) के 16वीं सदी के सामाजिक-राजनैतिक महौल से बहुत मिलता-जुलता है. दक्षिण एशिया पर मुगलिया सल्तनत के दौरान (1556-1707), लोगों के मानवाधिकार की हिफाजात हेतु सिखों के संघर्ष उस समय की हकूमत से थी,
 
इस कारण से सिख गुरुओं ने मुस्लिम मुगलों के हाथों बलिदान दिया. इस क्रम में, मुगलों के मुखालिफ सिखों का फौजीकरण हुआ. सिख मिसलों के अधीन ‘सिख राज‘ स्थापित हुआ और महाराजा रणजीत सिंह के हकूमत के अधीन सिख साम्राज्य, जो एक ताकतवर साम्राज्य होने के बावजूद इसाइयों, मुसलमानों और हिंदुओं के लिए धार्मिक तौर पर सहनशील और धर्म निरपेक्ष था.
 
आम तौर पर सिख साम्राज्य की स्थापना सिख धर्म के राजनैतिक तल का शिखर माना जाता है. इस समय पर ही सिख साम्राज्य में कश्मीर, लद्दाख और पेशावर शामिल हुए थे. हरी सिंह नलवा, खालसा फौज का मुख्य जनरल था जिसने खालसा पन्थ का नेतृत्व करते हुए खैबर पख्तूनख्वा से पार दर्र-ए-खैबर पर फतह हासिल करके सिख साम्राज्य की सरहद का विस्तार किया.
 
धर्म निरपेक्ष सिख साम्राज्य के प्रबन्ध के दौरान फौजी, आर्थिक और सरकारी सुधार हुए थे.
 
1947 में पंजाब का बँटवारा की तरफ बढ़ रहे महीनों के दौरान, पंजाब में सिखों और मुसलमानों के दरम्यान तनाव वाला माहौल था, जिसने पश्चिम पंजाब के सिखों और हिन्दुओं और दूसरी ओर पूर्व पंजाब के मुसलमानों का प्रवास संघर्षमय बनाया. गुरूद्वारा पंजा साहब से प्रथम गुरू नानक साहब से गहरा संबंध था.
 
(स्रोतः विकिपिडिया)