#AuratAzadiMarch2021के बहाने पाकिस्तान की आधी आबादी की दास्ताँ आई सड़कों पर

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 10-03-2021
#AuratAzadiMarch2021के बहाने पाकिस्तान की आधी आबादी की दास्ताँ आई सड़कों पर
#AuratAzadiMarch2021के बहाने पाकिस्तान की आधी आबादी की दास्ताँ आई सड़कों पर

 

मलिक असगर हाशमी  /नई दिल्ली

‘छह फुट की दूरी, हक के लिए आजाव उठाउंगी फिर भी पूरी.’
 
महिला दिवस पर पाकिस्तान भर में निकाले गए ‘औरत आजादी मार्च’ में यह नारा खूब गूंजा. दरअसल, मार्च पाकिस्तान में महिलओं के खिलाफ बढ़ते अपराध विरोध में निकाला गया था. इस दौरान कराची, लाहौर, मुलतान और इस्लामाबाद की महिलाएं सड़कों पर उतरीं और हाथों में तख्तियां लेकर तथा नारे लगाकर महिलाओं पर बढ़ते अत्याचार के प्रति विरोध जताया.
 
उल्लेखनीय है कि पिछले कुछ वर्षों में पड़ोसी देश में महिला उत्पीड़न की घटनाओं में भयंकर उछाल आया है. यहां तक कि इसे महिलाओं के मामले में दुनिया का तीसरा सबसे खतरनाक देश घोषित कर दिया गया है. इसके सिंध प्रांत में स्थिति अत्याधिक खराब और चिंताजनक है.
 
‘गल्फ न्यूज’ में ‘सस्टैंनेबल सोशल डेवलप्मेंट आर्गेनाइजेशन  के हवाले से छपी एक रिपोर्ट में कहा गया कि पाकिस्तान की इमरान खान सरकार में महिलाओं के प्रति अपराध में 200 प्रतिशत तक का उछाल आया है. खासकर एसिड अटैक में तेज वृद्धि दर्ज की गई है. विदेशी मीडिया ‘डीडब्ल्यू टाॅट काॅम’ के अनुसार, पाकिस्तान में 2010 से तेजाबी हमले का चलन बढ़ा है. तब ऐसे करीब 8,000 मामले दर्ज किए गए थे.
 
‘थाॅम्सन राइटर्स फाउंडेशन की रिपोर्ट कहती है कि औरतों के मामले में पाकिस्तान दुनिया का तीसरा सबसे खतरनाक मुल्क है। पाकिस्तान के ‘जिओ न्यूज’ के एक आंकड़े की मानें तो पिछले वर्ष औसतन हर रोज 11 महिलाओं से बलात्कार की घटनाएं दर्ज की गईं. गुजरे साल ही कुल रेप का आंकड़ा 22 हजार के पार था.
 
crime in sindh
पाकिस्तान के सिंध प्रांत में अल्पसंख्यक हिंदू सर्वाधिक संख्या में रहते हैं. इस प्रदेश में महिलाओं के प्रति अत्याचार की स्थिति अधिक गंभीर है. एक आंकड़े के अनुसार, इस प्रदेश में 2019 में आॅनर किलिंग के 108, बलात्कार के 95, कमउम्र शादी के 09 और महिलाओं की हत्या के 132 मामले दर्ज किए गए थे.
 
पाकिस्तान के नेशनल कमीशन आफ जस्टिस एंड पीस और द पीएचसी की एक रिपोर्ट के अनुसार, इस प्रांत में अल्पसंख्यक महिलाओं एवं लड़कियों के अगवा एवं धर्म परिवर्तन के औसन 1000 मामले प्रत्येक वर्ष दर्ज किए जाते हैं, जिनमें से अधिकांश रिकाॅर्ड पर नहीं आते.
 
पाकिस्तान में महिला अधिकार को भी कोई महत्व नहीं दिया जाता. महिलाओं की स्वास्थ्य सुविधाओं का भी भारी टोटा है. यहां तक कि अस्पतालों से कहीं अधिक औरतों की डिलिवरी घरों में दाईयों के माध्यम से कराई जाती है. ग्रामीण क्षेत्रों की दशा अधिक खराब है। देहाती इलाकों में औरतों को 14-14 घंटे काम करना पड़ता है.
 
तमाम फसलों की उगाही में वह आगे-आगे रहती हैं. एक रिपोर्ट के अनुसार, ‘जेंडर गैप’ के मामले में पाकिस्तान 153 देशों में 151 नंबर पर है.
 
पाकिस्तान में औरतों की निरंतर बदतर होती स्थिति को देखते हुए ही वहां के जागरूक महिलाओं, पुरूषों के एक वर्ग ने देश की सरकार को जगाने के लिए ‘औरत मार्च’ का कार्यक्रम शुरू किया है. इस वर्ष भी महिला दिवस पर औरत आजादी मार्च के नाम से इसे आयोजित किया. इसके लिए  जोरदार तैयारियां की गईं. औरत मार्च ट्विटर हैंडल द्वारा लोगों से प्लास्टिक के पोस्टर बनाने एवं उसे सोशल मीडिया पर डिस्प्ले करने की अपील की गई.
 
‘औरत मार्च को कामयाब बनाने और इसके प्रति लोगों को जागरूक करने लिए 8 मार्च को महिला दिवस पर देशभर में ‘औरत धरना’  कार्यक्रम भी आयोजित किया गया. लोगों में जागरूकता बढ़ाने के लिए सिंगर मारवाल जैसी कलाकार ने धरनास्थल स्थल पर अपनी प्रस्तुति दी. हालाकि, ऐसे कार्यक्रमों से पाकिस्तान के पुरूष प्रधान समाज का रवैया बदलता नहीं दिख रहा. ऐसा होता तो ‘औरत मार्च’ के आयोजनों के साथ महिला अपराधों में भी गिरावट दर्ज की जाती.