बदसलूकीः सेना के जवानों ने मुस्लिमों को घुटनों के बल चलाया, जांच के आदेश

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 21-06-2021
मुस्लिम घुटनों के बल
मुस्लिम घुटनों के बल

 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

आईएसआईएस और अल कायदा जैसे संगठनों ने आतंकी गतिवधियों से समाज को जो नुकसान पहुंचाया है, उसका खामियाजा आम मुसलमानों को भुगतना पड़ रहा है, जबकि आम मुसलमान ईमानदार और मेहनती है. तमाम कोशिशों के बावजूद इस्लामोफोबिया थमने का नाम नहीं ले रहा है. ताजा वाकया श्रीलंका में पेश आया है, जहां मिलिट्री के जवानों ने सात-आठ लोगों को घुटने के बल चलने को मजबूर किया. इसके फोटो वायरल होने पर श्रीलंका में हड़कंप मच गया है. सेना ने घटना की जांच के आदेश दिए हैं.

मीडिया रिपोर्टों के अनुसार श्रीलंका में कोरोना वायरस की तीसरी लहर के कारण लॉकडाउन चल रहा है.

स्वास्थ्य कर्मियों ने अस्पतालों में, तो सैनिकों ने लॉकडाउन को प्रभावी बनाने के लिए मोर्चा संभाला हुआ है. उनकी विभिन्न शहरों में तैनाती की गई है.

यह घटना श्रीलंका के पूर्वी बट्टिकलोआ जिले के मुस्लिम बहुल शहर इरावुर की बताई जा ही है.

इरावुर में लॉकडाउन के दौरान कुछ मुस्लिम लोग जरूरी कामों से निकले हुए थे. सड़कों पर निकले इन मुस्लिमों को सेना के जवानों ने पकड़ लिया.

सैनिकों ने उन्हें सड़क के किनारे लाइन से घुटनों पर बिठा दिया और फिर सड़क पर घुटनों के बल चलने को मजबूर किया.

घुटनों के बल चलने को भारतीय उप महाद्वीप में बहुत अपमानजनक माना जाता है. उपनिवेशवाद के दौरान अंग्रेज सैनिक अपनी कॉलोनियों के देसज लोगों के साथ ऐसी बदसलूकी करते थे.

हिंदुस्तान की एक रिपोर्ट के अनुसार इन मुस्लिमों में कुछ लोग खाना खरीदने के लिए रेस्तरां जा रहे थे, तो सैनिकों ने उन्हें पकड़ लिया और उन्हें घुटनों के बल चलाया. शुरुआती जांच के दौरान इस घटना के वक्त ऑफिसर इंचार्ज को हटा दिया गया है और जो अन्य सैनिक इसमें शामिल थे उन्हें शहर छोड़ने के लिए कहा गया है.

द हिंदू की एक रिपोर्ट के अनुसार इरावूर के चालीस वर्षीय दैनिक वेतन भोगी मोहम्मद इस्माइल मरजूक लॉकडाउन के कारण पहले से ही एक कठिन दौर से गुजर रहे थे, उनकी आय महामारी के दौरान बहुत कम हो गई थी. उन्होंने द हिंदू को बताया, “मैं अपनी स्थानीय फार्मेसी में अपनी मधुमेह की दवाएं और थोड़ा सा चावल खरीदने के लिए साइकिल पर गया था. मैंने अपनी गोलियों का खाली डिब्बा भी दिखाया, लेकिन सैनिकों ने मुझे अपने हाथों को ऊपर उठाकर कुछ अन्य लोगों के साथ वहीं घुटने टेकने के लिए मजबूर कर दिया. मैंने सिंहली में उन्हें समझाया कि मैं एक मरीज हूं और मैं केवल दवाएं खरीदने के लिए बाहर निकला, जिसकी अनुमति है. लेकिन वे नहीं माने, और मवेशियों की तरह मुझे पीटते रहे.”

इस घटना के फोटो सोशल मीडिया में वायरल हो गए, तो श्रीलंका में हड़कंप मच गया.

तब मीडिया को एक बयान जारी करते हुए सेना ने कहा कि पूर्वी बट्टिकलोआ जिले के मुस्लिम बहुल शहर इरावुर में ‘कुछ सैन्य कर्मियों के कथित अनुचित आचरण के बाद’ कर्मियों को उनके कर्तव्यों से ‘तुरंत हटा दिया गया’. प्रारंभिक जांच शुरू हो गई है. सेना ने ‘कड़ी कार्रवाई’ का वादा किया है.