काबुल. अफगानिस्तान में सब कुछ खराब हालत में है, आर्थिक स्थिति खराब है, बर्फबारी के बाद भोजन की समस्या है और तालिबान सरकार पर जबरदस्त आंतरिक और बाह्य दबाव है. लेकिन इन परिस्थितियों में भी तालिबान का रवैया नहीं बदला है. अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन (यूएनएएमए) का कहना है कि तालिबान को अफगानों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए और निजी टेलीविजन स्टेशन एरियाना न्यूज पर दो ‘गिरफ्तार’ पत्रकारों के बारे में जनता को बताना चाहिए कि उनको हिरासत में क्यों लिया गया है?
यूएनएएमए ने एक ट्विटर संदेश में कहा, ‘अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता और मीडिया के बारे में चिंताएं बढ़ रही हैं. तालिबान को एरियाना न्यूज के पत्रकारों की गिरफ्तारी को सार्वजनिक रूप से बताना चाहिए और अफगानों के अधिकारों का सम्मान करना चाहिए. हम लापता महिला कार्यकर्ताओं की पहचान करने के लिए तालिबान से अपने आह्वान को भी दोहराते हैं.’
Mounting concern about restrictions on media & free expression. UN urges Taliban to make public why they detained these @ArianaNews_ reporters & to respect Afghan's rights. We continue call on Taliban to make clear the whereabouts of women activists who went missing two weeks ago https://t.co/hk79tKp4FT
— UNAMA News (@UNAMAnews) February 1, 2022
इससे पहले एरियाना न्यूज नेटवर्क के प्रमुख शरीफ हसन यार ने दावा किया था कि तालिबान ने उनके दो पत्रकारों असलम हिजाब और वारिस हसरत को गिरफ्तार किया है. शरीफ हसन यार ने कहा, ‘गिरफ्तार पत्रकारों के परिवार उनकी सुरक्षा को लेकर चिंतित हैं. वारिस हसरत के ट्विटर अकाउंट पर उन्होंने अपने परिचय में लिखा कि वह एक अफगान पत्रकार थे और कई सालों से युद्ध के बारे में लिख रहे थे. वह एरियाना में राजनीतिक मामलों को कवर करते थे.’
पाकिस्तान में अफगानिस्तान मामलों के विशेषज्ञ और एक वरिष्ठ पत्रकार ताहिर खान ने कहा कि दोनों पत्रकारों को सोमवार को हिरासत में लिया गया और उनके बारे में कोई जानकारी उपलब्ध नहीं है.
एमनेस्टी इंटरनेशनल ने भी तालिबान से पत्रकारों को तत्काल और बिना शर्त रिहा करने का आह्वान किया है. एमनेस्टी इंटरनेशनल की साउथ एशिया सर्विस ने एक ट्विटर संदेश में कहा, ‘तालिबान द्वारा एरियाना न्यूज के दो पत्रकारों की गिरफ्तारी का कोई औचित्य नहीं है.’
मीडिया पर इस तरह के भड़काऊ हमले अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता के लिए एक गंभीर खतरा पैदा करते हैं. तालिबान को उन्हें तुरंत और बिना शर्त रिहा कर देना चाहिए. तालिबान ने अभी तक इस मामले पर कोई टिप्पणी नहीं की है, लेकिन बार-बार कहा है कि पत्रकारों को मीडिया कानून के दायरे में ‘वास्तविक और स्वस्थ तरीके से’ काम करना चाहिए.
फेडरेशन ऑफ अफगान जर्नलिस्ट्स (एफएजे) ने कल दावा किया कि उसने अफगानिस्तान में मीडिया और पत्रकारों की स्थिति, सूचना तक पहुंच और पत्रकारों के खिलाफ बढ़ती हिंसा पर 5जनवरी को एक प्रेस कॉन्फ्रेंस बुलाई थी. तालिबान ने उन्हें ‘परेशान’ किया, उन्हें धमकाया और महासंघ के अधिकारियों पर दबाव डाला.
तालिबान के प्रवक्ता जबीहुल्ला मुजाहिद ने सीधे तौर पर एक ट्विटर संदेश में आरोपों का जिक्र नहीं किया, लेकिन कहा कि मीडिया आउटलेट जो ‘सामान्य रूप से’ संचालित रहना चाहते हैं, उन्हें अपने समाप्त लाइसेंस को नवीनीकृत करवाना चाहिए. अफगानिस्तान में तालिबान के सत्ता में आने के बाद से देश में मीडिया की आजादी को लेकर चिंताएं बढ़ गई हैं. बड़ी संख्या में अफगान पत्रकार देश छोड़कर जा चुके हैं.