अफगानिस्तानः तीन राज्यों के स्कूलों में आने लगी लड़कियां

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 10-10-2021
अफगानिस्तानः तीन राज्यों के स्कूलों में आने लगी लड़कियां
अफगानिस्तानः तीन राज्यों के स्कूलों में आने लगी लड़कियां

 

काबुल. तालिबान के अफगानिस्तान पर कब्जा करने के बाद पहली बार कुंदुज, बल्ख और सर-ए-पुल प्रांतों के स्कूलों में छात्राओं की वापसी होने लगी है. टोलो न्यूज ने बताया कि बल्ख के प्रांतीय शिक्षा विभाग के प्रमुख जलील सैयद खिली ने कहा कि सभी बालिका विद्यालय खुल गए हैं.

उन्होंने कहा, “हमने लड़कियों और लड़कों को अलग- अलग कर दिया है.”

बल्ख की राजधानी मजार-ए-शरीफ में एक महिला छात्रा सुल्तान रजिया (जिस स्कूल में 4,600 से अधिक छात्र और 162 शिक्षक हैं) ने कहा, “शुरूआत में, कुछ छात्र स्कूल आ रहे थे, लेकिन अब उनकी संख्या बढ़ती जा रही है.”

स्कूल के एक अन्य छात्र, तबस्सुम ने कहा, “शिक्षा हमारा अधिकार है. हम अपने देश को बेहतर बनाना चाहते हैं और कोई भी हमसे शिक्षा का अधिकार नहीं ले सकता या किसी को अधिकार नहीं लेना चाहिए.”

बल्ख शिक्षा विभाग के आंकड़ों के अनुसार, प्रांत में लगभग 50,000 छात्रों के साथ 600 से अधिक स्कूल खुल गये हैं.

पिछले महीने, तालिबान द्वारा नियुक्त शिक्षा मंत्रालय ने घोषणा की थी कि केवल लड़कों के स्कूल फिर से खुलेंगे और केवल पुरुष शिक्षक ही अपनी नौकरी फिर से शुरू कर सकते हैं.

हालांकि, मंत्रालय ने महिला शिक्षकों या लड़कियों के स्कूल लौटने के बारे में कुछ नहीं कहा है.

शिक्षा मंत्रालय की संख्या के आधार पर, वर्तमान में अफगानिस्तान में 14,098 स्कूल संचालित होते हैं, जिनमें से 4,932 स्कूल 10-12 ग्रेड के छात्र हैं, 3,781 ग्रेड 7-9 से और 5,385 ग्रेड 1-6 तक के हैं.

आंकड़ों के मुताबिक, कुल स्कूलों में से कक्षा 10-12 के 28 प्रतिशत, 7-9 के 15.5 प्रतिशत और कक्षा 1-6 के 13.5 प्रतिशत बालिका विद्यालय हैं.

संस्कृति और सूचना मंत्रालय के सांस्कृतिक आयोग के सदस्य सईद खोस्ती ने कहा, “तकनीकी समस्याएं हैं. ऐसी समस्याएं हैं, जिन्हें मौलिक रूप से हल किया जाना चाहिए और नीति और ढांचा बनाने की आवश्यकता है. ढांचे में इस बात का सामाधान होना चाहिए कि हमारी लड़कियों को अपनी पढ़ाई कैसे जारी रखनी चाहिए. जब इन समस्याओं का समाधान हो जाएगा, तो सभी लड़कियां स्कूल जा सकती हैं.”

बरहाल, छात्राओं ने कहा कि तालिबान द्वारा हाल ही में लिया गया फैसला निराशाजनक है और लड़कियों और महिलाओं को अधिकारों को खोने का डर है.