अफगानिस्तानः तालिबान और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच हुई फायरिंग

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] | Date 08-08-2022
अफगानिस्तानः तालिबान और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच हुई फायरिंग
अफगानिस्तानः तालिबान और पाकिस्तानी सैनिकों के बीच हुई फायरिंग

 

काबुल. विवादित डूरंड लाइन पर सीमा संघर्ष की एक और घटना में, तालिबान के नेतृत्व वाली सेना और पाकिस्तानी सैनिकों ने अफगानिस्तान के कुनार प्रांत के दंगम जिले में आपस में गोलीबारी की. अफगानिस्तान के टोलो न्यूज ने बताया कि संघर्ष रविवार को हुआ और रात 10 बजे तक जारी रहा. दोनों पक्षों ने हल्के और भारी हथियारों का इस्तेमाल किया.

तालिबान के अधिकारी नजीबुल्लाह हनीफ ने कहा कि पाकिस्तानी सैनिकों द्वारा डूरंड रेखा के किनारे सैन्य सुविधाओं का निर्माण करने की कोशिश ने ही संघर्ष को जन्म दिया. झड़प के बाद पाकिस्तानी सेना ने दंगम इलाके में मोर्टार के गोले दागे. हनीफ ने कहा कि दोनों पक्ष अब इस मुद्दे को सुलझाने की कोशिश कर रहे हैं.

तालिबान के नेतृत्व वाले अफगानिस्तान और पाकिस्तान के बीच संबंध हाल के दिनों में ठंडे रहे हैं और हाल ही में सीमा पर तनाव से मामले बढ़ गए हैं. पिछले महीने, दोनों देशों के बलूचिस्तान और निमरोज प्रांतों में सीमा गतिरोध से कई वीडियो सामने आए. इससे पहले तालिबान द्वारा नियुक्त रक्षा मंत्री ने कहा कि अफगानिस्तान किसी अन्य देश को अपने हितों के खिलाफ आक्रामक तरीके से काम करने की इजाजत नहीं देगा.

तालिबान शासन द्वारा पाकिस्तान और अफगानिस्तान के बीच सीमा की स्थिति को स्वीकार करने से इनकार ने दोनों देशों के बीच संबंधों में दरार को स्पष्ट रूप से दिखाया है. पक्तिया प्रांत में डूरंड रेखा की अपनी यात्रा के दौरान, मवालवी मोहम्मद याकूब मुजाहिद ने कहा कि तालिबान सभी पड़ोसी देशों के साथ अच्छे संबंध चाहता है और उनसे भी यही उम्मीद करता है.

क्षेत्रीय विश्लेषकों का मानना है कि पाकिस्तान ने यह सोचकर एक रणनीतिक भूल की है कि तालिबान, जिसकी देश ने दो दशकों से अधिक समय तक अमेरिका समर्थित अफगानिस्तान से लड़ने में मदद की, इस्लामाबाद की इच्छाओं को पूरा करेगा. तालिबान ने अब तक इन इच्छाओं को स्वीकार करने का कोई संकेत नहीं दिखाया है. बल्कि, उन्होंने कई मौकों पर पाकिस्तान की मांगों को खारिज कर दिया है, जिसमें डूरंड रेखा को मान्यता देना भी शामिल है.

टोरंटो स्थित थिंक टैंक इंटरनेशनल फोरम फॉर राइट्स एंड सिक्योरिटी के अनुसार, सदियों से झरझरा रहे ‘बॉर्डर’ अचानक बंद हो गए हैं और परिवारों को विभाजित कर दिया है. आईएफएफआरएएस ने कहा, ‘‘पश्तून समुदाय को जो भारी नुकसान हुआ है, उसने डूरंड रेखा के दोनों ओर के पश्तूनों के मन में पाकिस्तानी राज्य के प्रति गहरा अविश्वास पैदा कर दिया है.’’