खुशहाल जिंदगी के लिए ’योग’ को लेकर जागरूक कर रहीं शाइस्ता अख्तर

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 20-06-2021
योग भगाए रोग
योग भगाए रोग

 

लखनऊ / मुकुंद मिश्र

कोरोना काल के दौरान योग में जब्त खुशहाल और सेहतमंद जिंदगी के फलसफे को लोगों ने बखूबी महसूस किया. लोगों ने योग आसनों के जरिये खुद को चुस्त-दुरुस्त रखा, तो इसके जरिए इस महामारी की गिरफ्त से कईयों ने अपने को दूर भी किया. योग की इस अहमियत से लखनऊ की शाइस्ता अख्तर सेहतमंद जिंदगी के लिए लोगों को जागरूक कर रही हैं. सिर्फ वे ही नहीं, उनके शौहर भी कंधे से कंधा मिला योग के फायदों से लोगों को रूबरू कराते आ रहे हैं.

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शाइस्ता अख्तर   


इंदिरानगर में रहने वाली शाइस्ता अख्तर और उनके शौहर अख्तर के मन में लोगों की मदद का जज्बा शुरू से रहा है. शिक्षा और जागरूकता के साथ लोगों की जिंदगी बेहतर बनाने के लिए उन्होंने बाकायदा मोहम्मद सैय्यद वेलफेयर सोसाइटी का गठन किया.

इस एनजीओ की सचिव शाइस्ता अख्तर बताती हैं कि वह और उनके वालंटियरों ने लखनऊ से शुरूआत की और आज पूरे प्रदेश में लोगों को जागरूक करने के मिशन को अंजाम दे रहे हैं. उनके इस नेक नियति और काम के जुनून को देखते हुए केंद्रीय आयुष मंत्रालय ने पिछले साल अंतर्राष्ट्रीय योग दिवस पर योग के प्रति लोगों को जागरूक करने के अभियान को कामयाब बनाने की जिम्मेदारी भी सौंपी.

शाइस्ता बताती हैं कि एक तो कोरोना काल और दूसरा रमजान का महीना. ऐसे में योग के लिए लोगों को आयोजित योग कैंप में जुटाना मुश्किल काम था. लेकिन, उन्होंने और उनके वालंटियर्स ने उन मुश्किल हालात में भारी संख्या में लोगों को योग दिवस पर जुटाने का काम किया.

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आसन करते हुए बच्चे

वे बताती हैं कि पूरे प्रदेश में उनका एनजीओ योग के प्रति लोगों को जागरूक करता आ रहा है.

शाइस्ता के अनुसार उस समय वाकई में बेहद मुश्किल था, हमारे लिए योग दिवस पर लोगों को जुटा पाना. योग को लेकर एक ओर विरोध के सुर थे और उस पर रमजान. बलरामपुर में योग शिविर तक लोगों को लाने में मैं और हमारे वालंटियर कामयाब हुए.

शाइस्ता खुद भी योग को लेकर शुरू से दिलचस्पी लेती रही हैं. पिछले 11 वर्षों से वे और उनके शौहर योग करते आ रहे हैं. 

हालांकि योग की शुरूआत महज शौक के रूप में की, लेकिन इसके फायदे महसूस कर अपनी जिंदगी में शामिल कर लिया. केरल के कोच्चि से योग का प्रशिक्षण भी लिया. शाइस्ता ने बताती हैं कि इस समय उनके पास 50 मुस्लिम व्यक्ति योग सीख रहे हैं और कई मुस्लिम युवक व युवती उनके एनजीओ में योग शिक्षक के रूप में लोगों को योग शिविर चला रहे हैं.

शाइस्ता योग को लेकर होने वाले विरोध पर कहती हैं कि हम लोगों से कह रहे हैं कि अगर उन्हें योग के दौरान मंत्रोच्चार करने से परेशानी है, तो वे अल्लाह के नाम या कुरान शरीफ की आयत का उच्चारण कर सकते हैं. वैसे भी हम दिन भर में आम व्यवहार या संस्कार के रूप में जो करते हैं, वह सब योग की विभिन्न मुद्राएं ही हैं. चाहे वह किसी को नमस्ते करना ही क्यों न हो? शाइस्ता कहती हैं कि योग महज कसरत नहीं, बल्कि यह शरीर के साथ ही दिमागी तौर पर भी हमें मजबूत बनाता है.