गूगल के डूडल में आज मौजूद फ़ातिमा शेख़ कौन हैं

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 09-01-2022
गूगल के डूडल में मौजूद हैं फातिमा शेख
गूगल के डूडल में मौजूद हैं फातिमा शेख

 

अंदलीब अख़्तर

आज गूगल (Google) ने (9 जनवरी, 2022) को जब फ़ातिमा शेख़ को उनकी 191वीं जयंती पर डूडल बनाकर सम्मानित किया है तो हर कोई जानना चाहता है कि वह कौन थीं. अचानक से उन पर बात करने वालों की बाढ़-सी आ गई है. 

यक़ीनन नारीवादी शिक्षिका और समाज सुधारक फातिमा शेख को उनकी 191वीं जयंती पर अपने होमपेज पर डूडल बनाकर सम्मानित करके गूगल ने फ़ातिमा के कार्यों पर एक नई बहस का आग़ाज़ किया है.

गूगल के एक बयान के अनुसार, फातिमा, "भारत की पहली मुस्लिम महिला शिक्षक" मानी जाती हैं,और उन्होंने 1848 में ज्योतिबा फुले और सावित्रीबाई फुले के साथ स्वदेशी पुस्तकालय की स्थापना में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई.

पुणे में, फातिमा शेख ने अपने भाई उस्मान के साथ फुले को अपना घर देने की पेशकश की थी. फुले को कथित निचली जातियों के लोगों को शिक्षित करने के प्रयास करने पर घर से बेदखल कर दिया गया था. शेख का घर उस स्थान के रूप में कार्य करता था जहां स्वदेशी पुस्तकालय-भारत में लड़कियों के लिए पहले स्कूल में से एक का जन्म हुआ था.

गूगल ने कहा, "यहां, सावित्रीबाई फुले और फातिमा शेख ने हाशिए के दलित और मुस्लिम महिलाओं और बच्चों के समुदायों को पढ़ाया, जिन्हें वर्ग, धर्म या लिंग के आधार पर शिक्षा से वंचित किया गया था."

शेख ने फुले के सत्यशोधक समाज आंदोलन में सक्रिय भूमिका निभाई. उन्होंने घर-घर जाकर अपने समुदाय के दलितों को स्वदेशी पुस्तकालय में सीखने और भारतीय जाति व्यवस्था की कठोरता से बचने के लिए प्रेरित किया. गूगल ने फातिमा शेख का नाम एक ऐसी महिला के रूप में लिया है जो कथित दबंग जाति के सदस्यों के बड़े प्रतिरोध और अपमान का सामना करने के बावजूद,डटी रहीं.

बेशक उन्हें प्रभुत्वशाली वर्गों के भारी प्रतिरोध का सामना करना पड़ा जिन्होंने सत्यशोधक आंदोलन में शामिल लोगों को अपमानित करने का प्रयास किया, लेकिन शेख और उनके सहयोगी डटे रहे.

शेख की कहानी को "ऐतिहासिक रूप से अनदेखा" बताते हुए,गूगल ने कहा कि भारत सरकार ने 2014 में उनकी उपलब्धि को उजागर करने के प्रयास किए, "उर्दू पाठ्यपुस्तकों में उनकी प्रोफ़ाइल को अन्य अग्रणी भारतीय शिक्षकों के साथ पेश किया."