आवाज द वाॅयस / अबू धाबी
संयुक्त अरब अमीरात (यूएई) में एक भारतीय महिला आयशा खान देश में ब्लू-कॉलर श्रमिकों को केवल 3दिरहम (यानी मात्र 60रुपये) में भरपेट भोजन करती हैं.एक 45 वर्षीय इंजीनियर, श्रीमती खान संयुक्त अरब अमीरात में सस्ते फूड के एटीएम की संस्थापक हैं.
खान दुबई, शारजाह और अजमान में प्रतिदिन 2,600ब्लू-कॉलर श्रमिकों को तीन-टाइम का भोजन उपलब्ध कराती हैं. आयशा खान का कहना है कि उन्हें सिर्फ 9दिरहम (181रुपये) में एक दिन का खाना मिल सकता है. उनकी टीम में 17कर्मचारी हैं.
फूड-एटीएम मार्च 2019में लॉन्च किया था. आमतौर पर, एक कर्मचारी संयुक्त अरब अमीरात में मोटी ‘रोटी‘ (भारतीय रोटी), ‘दाल‘ या चिकन के लिए 5दिरहम का भुगतान करता है. आयशा के पैक्ड भोजन में एक बिरयानी का डिब्बा, एक कप दही, कुछ अचार और मिठाई शामिल है. यह सब सिर्फ 3दिरहम में मिलता है.
भारतीय, नेपाली और अन्य दक्षिण एशियाई श्रमिकों के स्वाद के अनुरूप हर दिन आठ अलग-अलग मेनू तैयार किए जाते हैं. वह अपने उद्यम को किसी एक राष्ट्रीयता तक सीमित नहीं रखना चाहती हैं. भोजन का आनंद सुबह 2 या 3 बजे भी लिया जा सकता है.
खान के मेनू में सात दिनों के लिए सात मिठाइयां भी शामिल हैं - कस्टर्ड, चावल का हलवा, मीठी सूजी, गेहूं का हलवा, नारियल के दूध में पका हुआ नूडल्स और बहुत कुछ.आयशा ने इससे पहले दुबई और अजमान में एक सरकारी संस्था के लिए काम किया था. उसके बाद उन्होंने काम छोड़ कर अपना काम शुरू किया.
वह बताती हैं कि एक पेशेवर के रूप में अपने करियर के दौरान, उन्होंने अपने कार्यालय में कुछ श्रमिकों के साथ अपना भोजन साझा किया.“ फिर यह सिलसिला चल पड़ा. वह कहती हैं, एक दिन, एक कर्मचारी उनके पास आया.
उसने अपने बच्चे की स्कूल जाने की तस्वीर दिखाई. उसने बताया कि उसके यहां खाना खाकर अब वह पैसे बचाने और अपने बच्चे की शिक्षा के लिए घर भेजने में सक्षम है. यह सुनकर मैं बहुत भावुक हुई. इसने मुझे सोचने पर मजबूर कर दिया कि कभी-कभी हमारा जीवन कितना उथला होता है.
हम केवल भौतिक शर्तों के साथ सोचते हैं. अपने लिए काम करते हैं, लेकिन हम में से कितने लोग दूसरों के लिए कुछ करने को अतिरिक्त प्रयास करते हैं ?, उन्होंने बताया कि शुरू में व्यवसाय स्थापित करने के लिए प्रारंभिक निवेश, वाणिज्यिक लाइसेंस प्राप्त करने, सुविधाओं की व्यवस्था करने, कर्मचारियों को वेतन देना बड़ा मुश्किल था. इसलिए आयशा खान ने व्यवसाय के लिए भारत में अपना घर बेच दिया. फिर कभी पीछे मुड़कर नहीं देखा.