सर गंगा राम: जिनके बिना लाहौर लाहौर नहीं

Story by  एटीवी | Published by  [email protected] | Date 10-07-2021
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सैयद सफदर गरदेजी / इस्लामाबाद

‘जब मुझे पता लगा कि लाहौर के लोग मेरे परदादा के लिए रोज दुआएं मांगते हैं, तब मुझे हिंदुस्तान-पाकिस्तान में सार्वजनिक स्वास्थ्य और महिलाओं की शिक्षा के लिए उनकी सेवाओं के बारे में पता नहीं था. मुझे मेरी विरासत के बारे में जानने में मदद मिली. उन सभी को धन्यवाद ताकि मैं इसे जारी रख सकूं.

लाहौर में अमेरिकी महावाणिज्य दूतावास के एक ट्वीट के जवाब में जनवरी 2021में वर्मोंट से अमेरिकी सीनेट की सदस्य बनी केशा राम के ये शब्द हैं.केशा राम और उनके परदादा सर गंगा राम की तस्वीरों के साथ अमेरिकी महावाणिज्यदूत के ट्विटर अकाउंट से खबर आई.

आधुनिक लाहौर के संस्थापक सर गंगा राम की परपोती को वरमोंट से सीनेट का सदस्य चुना गया है. उन्होंने 6जनवरी को सलवार कमीज में शपथ ली थी. उनके शपथ लेने से भारत और पाकिस्तान, दोनों ही जगह के लोग खुद को गौर्वान्वित महसूस कर रहे थे.

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इटली है या लाहौर ?

बहरहाल, नव निर्वाचित अमेरिकी सीनेटर को अपने परदादा की विरासत पर गर्व है, जिसे अमेरिकी वाणिज्य दूतावास ने आधुनिक लाहौर के संस्थापक के रूप में वर्णित किया. हमारे इतिहास और सामूहिक स्मृति में, उनका नाम और कार्य कभी भी ध्यान और प्रशंसा के योग्य नहीं रहे हैं.
 
सर गंगा राम अपने कर्मों और सांसारिक अच्छाई के असाधारण कार्यों के कारण एक महान चरित्र प्रतीत होते हैं. आज के जमाने में लाहौर जैसा आधुनिक शहर बनाने वाले व्यक्ति का विचार हैरान करने वाला है.
 
इंजीनियरिंग कौशल के साथ हजारों एकड़ बंजर भूमि को हरी-भरी भूमि में बदल दिया था. उसे न केवल इमारतें खड़ी करनी चाहिए बल्कि सभ्यता की सिंचाई के लिए लाहौर में नए शिक्षण संस्थान भी स्थापित करने चाहिए.

एक विशेष साक्षात्कार में, सर गंगा राम का जिक्र करते हुए, सीनेटर केशा राम ने कहा कि गंगा राम के परिवार से होना उनके लिए अवर्णनीय गौरव का स्रोत है.उन्होंने कहा,‘‘मैंने सार्वजनिक स्वास्थ्य और स्थानीय लोगों को सशक्त बनाने के लिए, लिंग, धर्म, नस्ल या रंग की परवाह किए बिना लाहौर के लोगों के लिए उनके प्रयासों और सोच का अध्ययन किया है.‘‘

उन्होंने कहा, ‘‘मेरे लिए, संयुक्त राज्य अमेरिका में सार्वजनिक सेवा में मेरी दिलचस्पी इसलिए है, क्योंकि गंगा राम का खून मेरी रगों में है.‘‘ केशा राम कहती हैं कि संयुक्त राज्य अमेरिका सहित सभी राष्ट्र उनसे निस्वार्थ उदारता और कर्तव्य जैसे गुणों को सीख सकते हैं.

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उन्होंने कहा,‘‘जब मैंने यहां संयुक्त राज्य अमेरिका में लोगों को एक सदी पहले सर गंगा राम के कार्यों और उनके द्वारा छोड़ी गई विरासत के बारे में बताया, तो वे चकित रह गए.‘‘ 13 अप्रैल, 1851को पंजाब में बैसाखी मनाई गई. लाहौर से चालीस मील दूर मांगता नवाला गांव में एक पुलिस इंस्पेक्टर दौलत राम के घर नवजात गंगा राम का जन्मोत्सव आयोजित हो रहा था.

परिवार उत्तर प्रदेश के मुजफ्फरनगर से पंजाब आ गया था. मलिक राम के परिवार के लिए मांगता नवाला में रहना लुटेरों के एक गिरोह की गिरफ्तारी में भूमिका निभाने के लिए अपनी जान गंवाने के समान था. वह और उसका परिवार अमृतसर के लिए रवाना हो गए. जब उन्होंने पुलिस में अपनी नौकरी खो दी, तो उन्होंने अपनी आजीविका के लिए सुलेख का पेशा अपनाया.

गंगा राम को शिक्षा के लिए एक निजी स्कूल में भेजा गया.असाधारण लगन और समर्पण के बावजूद, वह मैट्रिक में फेल हो गए. अगले वर्ष उन्हें मानद अंकों के लिए छात्रवृत्ति से सम्मानित किया गया.

लाहौर के साथ उनका रोमांस गवर्नमेंट कॉलेज में प्रवेश के साथ शुरू हुआ. प्रारंभिक वर्षों में, सिख साम्राज्य के डोगरा प्रधानमंत्री देहान सिंह की हवेली में सरकारी कॉलेज की स्थापना की गई थी. मिंट गेट के अंदर गवर्नमेंट स्कूल से गवर्नमेंट कॉलेज तक की यात्रा सर लाइटनर के प्रयासों से संभव हुई.

पंजाब के कुलीन वर्ग के बच्चों को परिवार की बुनियादी सुख-सुविधाओं का आनंद नहीं मिलता था. भारतीय शोधकर्ता और इतिहासकार डॉ. एफएम भट्टी की पुस्तक ‘सर गंगा राम, ए मैन ऑफ ऑल सीजन्स‘ के अनुसार, आर्थिक तंगी के कारण उन्हें कॉलेज के छात्रावास के बजाय सूत मंडी में निवास करना पड़ा. इसके तुरंत बाद गंगा राम अस्पताल बनाया गया.

अपने अभिनव स्वभाव के कारण, उन्होंने 1871में थॉमसन इंजीनियरिंग कॉलेज रोड में प्रवेश लिया. ब्रिटिश भारत में, इस संस्थान को उन्नत इंजीनियरिंग कौशल का स्रोत माना जाता था.अपनी शिक्षा पूरी करने के बाद, उन्हें लाहौर में सहायक अभियंता के रूप में तैनात किया गया था. कुछ ही समय बाद, उन्हें डेरा गाजी खान में सरकारी भवनों के निर्माण का काम सौंपा गया.

कर्नल फोर्ट सैंडमैन उन दिनों डीजी खान के डिप्टी कमिश्नर थे. बलूचिस्तान के झोब जिले को उनके बाद फोर्ट सैंडमैन कहा जाने लगा. गंगा राम ने ब्रैडफोर्ड से इंजीनियरिंग की डिग्री हासिल करने में सफल हुए. उच्च सम्मान के साथ, वे उभरते हुए नवीन नगर नियोजन विचारों और तकनीकी कौशल के साथ स्वदेश लौटे. उनकी तैनाती का स्थान एक बार फिर लाहौर था.

उस समय के भीतरी शहर में कोई एकीकृत जल निकासी और सीवरेज प्रणाली नहीं थी. अंदर की संकरी गलियों में, किसान समाज, मवेशियों और पालतू जानवरों की भरमार थी.

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नागरिकों के लिए महामारी का जोखिम एक प्रमुख सार्वजनिक स्वास्थ्य समस्या थी. गंगा राम ने शहर के भीतरी जल निकासी व्यवस्था को फिर से स्थापित किया. उसके बाद उनकी नजर शहर के बाहर नवनिर्मित माल रोड पर गई.

लाहौर के टॉलटन मार्केट से मियां मीर छावनी तक माल रोड पर, कर्नल नेपियर की देख-रेख में 1851में कुछ इमारतें खड़ी की गई थीं.इसके चारों ओर लॉरेंस गार्डन, मोंटगोमरी हॉल आदि है.