सीहोर की बेटी बुशरा खान ने नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में अंडर 18 में जीता सोना

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] • 3 Years ago
सीहोर की उड़नपरी बुशरा खान
सीहोर की उड़नपरी बुशरा खान

 

सुरैह नियाज़ी/ भोपाल   

भोपाल से लगे सीहोर जिले की बुशरा गौरी खान ने 10 फरवरी को गुवाहाटी (असम) में आयोजित 36वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप 2021 में अंडर 18 बालिका वर्ग में 1500 मीटर दौड़ मात्र 4 मिनट 53 सेकेंड में पूरी कर स्वर्ण पदक जीता है.

सीहोर की रहने वाली बुशरा को शहर के लोग 'उड़नपरी' के नाम से जानते है. बुशरा ने पिछले साल 35वीं नेशनल जूनियर एथलेटिक्स चैम्पियनशिप में 2000 मीटर की दौड़ मात्र 6 मिनट 24 सेकंड में पूरी की थी. ऐसा करके बुशरा खान ने पांच साल पुराना रिकार्ड तोड़ था. उन्होंने उस वक्त भी प्रदेश के लिए गोल्ड मेडल जीता था.

इससे पहले साल 2017 में यह रिकॉर्ड उत्तर प्रदेश की अमृता के नाम पर था. अमृता ने 6 मिनट 25 सेकंड में यह दौड़ पूरी की थी. लेकिन बुशरा ने अमृता के रिकार्ड को तोड़ कर यह दौड़ पूरी की थी.16 साल की बुशरा तीन बहनों में सबसे बड़ी हैं. उनकी दूसरी छोटी बहन भी अपना करियर एथलेटिक्स में ही बनाना चाहती है जबकि तीसरे नंबर की बहन को जिमनास्टिक पसंद है.

गफ्फार खान और शहनाज़ गौरी की बेटी बुशरा 11 वीं क्लास की छात्रा है और शहर के द ऑक्सफोर्ड हायर सेंकडरी स्कूल में पढ़ती है. उनका स्कूल भी उनका सम्मान करने जा रहा है. पिछली बार जब उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर स्वर्ण पदक जीता था तो उनके स्कूल ने उन्हें स्कूटी भेट की थी.

बुशरा ने बताया, “मैं आगे चलकर राष्ट्रीय स्तर पर देश के लिये खेलना चाहती हूं.”उन्होंने कहा कि वो ओलंपिक और एशियाड भी देश का प्रतिनिधित्व करना चाहेंगी.इस वक़्त उन्हें मध्य प्रदेश सरकार के खेल विभाग से ट्रेनिंग दी जा रही है. इसके लिये वह भोपाल में ही रहती है और स्टेडियम में सरकार की तरफ से उन्हें हर तरह की व्यवस्था की गई है.

उनके पिता गफ्फार खान एक मील में मज़दूर के तौर पर काम करके अपने परिवार का गुज़र बसर करते है. कम आमदनी के बावजूद गफ्फार खान ने अपनी बेटी को वह तमाम संसाधन दिये जिसकी जरूरत एक खिलाड़ी को होती है.

उनसे जब पूछा गया कि बेटियों के खेल में उतरने पर उन्हें आपत्ति तो नही है तो उन्होंने कहा, “लड़कियों को पूरा परिवार हर तरह से आगे बढ़ने का प्रोत्साहन दे रहा है."उन्होंने यह भी कहा कि समाज की तरफ से भी किसी तरह का दबाव उन्होंने महसूस नहीं किया. हालांकि, उन्होंने यह भी बताया कि बुशरा पढ़ाई में भी अच्छी है और पिछले साल उसने 75.5 प्रतिशत अंक प्राप्त किये थे.

बुशरा 2017-18 से भोपाल में प्रशिक्षण ले रही है और उसका सारा ख़र्च सरकार उठा रही है. वही बुशरा की छोटी बहन दरख़शा भी राज्यस्तर पर खेल चुकी है.गफ्फार खान की ख़ानदान में बुशरा पहली बच्ची है जिसनें एथलेटिक्स को अपना करियर चुना.

जब बुशरा से पूछा गया कि एक मुसलमान लड़की को ट्रैक पर दौड़ते हुये किसी तरह की दिक्क़त पेश आती है तो उसने कहा कि उसे समाज या परिवार के हर लोगों का साथ मिला. किसी ने भी उसे यह करने से मना नहीं किया.

बुशरा के माता पिता प्रदेश के मुरैना जिले से ताअल्लुक रखते है लेकिन 2001 में वे लोग काम के सिलसिले में सीहोर आ गये थे. तभी से यह परिवार यहां बस गया है. बुशरा पहले सीहोर के ही ग्राउंड में जाकर प्रक्टिस करती थी उसके बाद उसका सेलेक्शन भोपाल के लिये हो गया और अब वह साल में 2-3 महीने भोपाल में रह कर प्रशिक्षण प्राप्त करती है.