IS में शामिल केरल की 4 महिलाओं की भारत वापसी मुमकिन नहीं

Story by  मलिक असगर हाशमी | Published by  [email protected] | Date 12-06-2021
IS में शामिल केरल की 4 महिलाओं की भारत वापसी मुमकिन नहीं
IS में शामिल केरल की 4 महिलाओं की भारत वापसी मुमकिन नहीं

 

मलिक असगर हाशमी / नई दिल्ली

अफगानिस्तान की जेल में बंद चार भारतीय महिलाएं, जो अपने पति के साथ खुरासान प्रांत (आईएसकेपी) में इस्लामिक स्टेट में शामिल हुई थीं, उनके स्वदेश लौटने की संभावना बेहद कम है.केरल की चारों महिलाओं ने वर्ष 2016-18 में अफगानिस्तान के नंगरहार की यात्रा की थी.
 
उस दौरान उनके पति अफगानिस्तान में अलग-अलग हमलों में मारे गए थे. इनके बारे में कहा जाता है कि ये इस्लामिक स्टेट के उन हजारों लड़ाकों और सहयोगियों में थीं, जिन्होंने नवंबर और दिसंबर 2019 के महीनों में अफगान अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया था.
 
27 अप्रैल को, राष्ट्रीय सुरक्षा निदेशालय के प्रमुख अहमद जिया सरज ने काबुल में संवाददाताओं से कहा कि 13 देशों के इस्लामिक स्टेट के 408 सदस्य अफगानिस्तान के विभिन्न जेलों में बंद हैं. इसमें चार भारतीय, 16 चीनी, 299 पाकिस्तानी, दो बांग्लादेशी, मालदीव के दो और अन्य शामिल हैं.
 
सराज ने कहा कि अफगानिस्तान सरकार ने कैदियों को निर्वासित करने के लिए 13 देशों के साथ बातचीत शुरू कर दी है. जबकि दिल्ली में अफगान अधिकारियों से टिप्पणी करने से इनकार कर दिया. काबुल में वरिष्ठ अधिकारियों ने संकेत दिया कि उन्हें भारत से इस बात का इंतजार है कि वह क्या करने का प्रस्ताव रखते हैं.
 
हालांकि, सूत्रों का कहना है कि चार महिलाओं की वापसी पर विभिन्न सरकारी एजेंसियों के बीच कोई सहमति नहीं बनी है. अंग्रेजी अखबार ‘ द हिंदू’ की समाचार वेबसाइट की एक खबर के अनुसार, चारों केरल की महिलाओं के बारे में यह संभावना नहीं के बराबर है कि उन्हें भारत वापस आने की अनुमति दी जाए. 
 
रिपोर्ट के अनुसार, महिलाओं, उनके बच्चों के साथ, उनके आत्मसमर्पण के एक महीने बाद दिसंबर 2019 में काबुल में भारतीय सुरक्षा एजेंसियों द्वारा उनसे पूछताछ की गई थी.
 
मार्च 2020 में, राजनीतिक मामलों की वेबसाइट ‘स्टेंटन्यूजग्लोबल. काॅम’ ने तीनों महिलाओं से पूछताछ का एक वीडियो जारी किया था, जिसमें दिखने वाली चार महिलाओं की पहचान सोनिया सेबेस्टियन उर्फ आयशा, रफीला, मेरिन जैकब उर्फ मरियम और निमिशा उर्फ फातिमा ईसा के रूप में की गई थी.
 
एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि दो अन्य भारतीय महिलाएं और एक पुरुष भी थे उन्होंने अधिकारियों के सामने आत्मसमर्पण किया था. बाद में वे एक मामले में गवाह बन गए थे. हालांकि, उनसे बातचीत से पता चला कि वे अत्यधिक कट्टरपंथी हैं.
 
अधिकारियों का कहना है कि इस मामले में फ्रांस मॉडल का पालन किया जा सकता है. अफगान अधिकारियों से अनुरोध किया जाएगा कि वे उन पर वहां के कानून के हिसाब से मुकदमा चलाएं. भारत के अनुरोध पर इंटरपोल ने महिलाओं के खिलाफ रेड नोटिस जारी किया है.
 
रिपोर्ट के अनुसार,  राष्ट्रीय जांच एजेंसी (एनआईए) ने 2017 में आरोप पत्र दायर किया था, जब सेबेस्टियन सहित केरल के 21 पुरुषों और महिलाओं के एक समूह ने 2016 में अफगानिस्तान में आईएसकेपी में शामिल होने के लिए भारत छोड़ा था. वे ईरान से पैदल अफगानिस्तान पहुंचे थे.
 
एनआईए ने कहा कि केरल के कासरगोड की सेबेस्टियन 31 मई, 2016 को अपने पति अब्दुल राशिद अब्दुल्ला के साथ मुंबई हवाई अड्डे से भारत से रवाना हुई थी. एजेंसी ने कहा, ‘‘दंपति ने आईएस और जिहाद के समर्थन में गुप्त कक्षाएं आयोजित की थीं. ये कक्षाएं जुलाई 2015 में पडन्ना और कासरगोड में रमजान के आखिरी दिनों में लगाई गईं. सेबेस्टियन इंजीनियरिंग ग्रेजुएट है.
 
मेरिन जैकब उर्फ मरियम की शादी पलक्कड़ निवासी बेस्टिन विंसेंट से हुई थी. दोनों 2016 में आईएस के नियंत्रण वाले इलाके में रहने के लिए अफगानिस्तान भाग गए थे. इस जोड़े ने शादी के बाद इस्लाम धर्म कबूल लिया था. विंसेंट याह्या कहलाने लगा था. विन्सेंट बाद में अफगानिस्तान में मुठभेड़ में मारा गया.
 
विन्सेंट का भाई बेक्सन और उसकी पत्नी निमिशा उर्फ फातिमा ने भी इस्लाम कबूल लिया था. वे भी उनके साथ अफगानिस्तान भाग गए थे.रेफीला की शादी 37 वर्षीय, कासरगोड के एक चिकित्सक, इजस कल्लुकेतिया पुराइल से हुई थी, जो संभवतः आईएस के आतंकवादियों में से एक था.
 
वह अगस्त 2020 में पूर्वी अफगानिस्तान के जलालाबाद की एक जेल में धावा बोलने वाले उन लोगों में शामिल था जिन्हांेने 30 लोगांे को मौत के घाट उतार दिया था.1 जून को संयुक्त राष्ट्र सुरक्षा परिषद की रिपोर्ट में दावा किया गया था कि 2018 की गर्मियों में आईएसकेपी के जोज्जान में शुरू हुए सफल सैन्य आॅपरेशन के बाद आतंकवारियों की कमर तोड़ दी गई. जबकि जून 2020 के बाद से, इसमें तेजी आई है.
 
एक महत्वाकांक्षी नया नेता साहब अल-मुहाजिर तेजी से उभरा है. उसके बारे में कहा जाता है कि वह बेहद सक्रिय और खतरनाक है. उसने अफगानिस्तान में अपने प्रभाव वाले इलाके में नई भर्ती और फंडिंग का काम तेज कर दिया है. बताते हैं कि उसके प्रयासों से कुनार और नंगरहार प्रांतों के छोटे से क्षेत्रों में लगभग 1,500 से 2,200 आतंकवादियों को फौज इकट्ठी कर ली है.
 
अफगानिस्तान में संयुक्त राष्ट्र सहायता मिशन ने 2021 के पहले चार महीनों में आईएसकेपी में 77 हमले दर्ज किए जाने का दावा किया है. कहा जा रहा है कि अफगानिस्तान में तहरीक-ए-तालिबान (टीटीपी) के दलबदलू इस्लामिक स्टेट में शामिल हो रहे हैं. वरिष्ठ सरकारी अधिकारियों का कहना है कि आईएसकेपी में सक्रिय आतंकवादियों को पाकिस्तान की इंटर स्टेट इंटेलिजेंस संचालित करती है.