ब्रश से घाटी की महिलाओं का अनकहा कहती कश्मीर की युवा पेंटर सफिया शफी

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 07-04-2021
सफिया शफी ने अपने शौक को अपना पेशा बना लिया
सफिया शफी ने अपने शौक को अपना पेशा बना लिया

 

आवाज- द वॉयस/ श्रीनगर

कश्मीर का नाम लेते ही हाल तक हमारे मन में आतंकवाद और अलगाववाद और पत्थरबाजी करते युवाओं की तस्वीर उभरती थी. लेकिन अब परिस्थिति बदल गई है. कई ऐसे युवा हैं जिन्होंने अब हाथों में कलम और कूचियां पकड़ ली हैं. ऐसे ही युवाओं में से एक हैं सफिया शफी.

सफिया की कूची हर चीज में रंग भरती है, चाहे वह कैनवास हो, कागज हो या फिर मिट्टी का कोई बरतन. सफिया के रंगों से इनमें जान आ जाती है. कैनवास बोलता सा लगता है और मिट्टी के बरतन खिल उठते हैं.

सफिया फ्रीलांस आर्टिस्ट हैं और श्रीनगर में रहकर ही पेंटिंग किया करती हैं. वह कहती हैं, “मैंने साइकोलजी में मास्टर्स किया है लेकिन पेंटिंग मेरा जुनून है. मैंने खुद से पेंटिंग बनानी सीखी है और इसका कहीं से कोई कोर्स नहीं किया.”

जाहिर है, सफिया की कला उनके लिए कुदरत की देन की तरह है. उन्होंने अब कला को ही अपना पेशा बना लिया है. वह कहती हैं, “मैंने आर्ट को ही प्रोफेशन बना लिया है. मैं म्यूरल्स यानी वॉल आर्ट करती हूं.”

सफिया को पूरे श्रीनगर ही नहीं, सूबे के बाहर के शहरों से भी वॉल आर्ट के ऑर्डर्स आते हैं. वह मुस्कुराती हुई कहती है, “मैंने अब कैलीग्राफीऔर पेपरमाशी भी स्टार्ट की है. इसके अलावा मैं एब्सट्रैक्ट भी करती हूं और कॉन्सेप्चुअल काम और इलस्ट्रेशन भी करती हूं.”

उनके घर की दीवारों पर जिधर नजर जाती है वहां उनकी पेटिंग ही दिखती है. और अधिकतर पेटिंग का विषय जंजीरों से बाहर निकलती महिलाएं हैं. अब उनकी महत्वाकांक्षा परवान चढ़ रही है. वह कहती हैं, “मेरा लक्ष्य है कि मेरी खुद की एक आर्ट गैलरी हो, जहां पर मैं अपना काम शोकेस करूं. जहां पर दुनिया के हर कोने से लोग आएं. और वो आकर मेरा काम देखें.”

क्या आर्ट के क्षेत्र को पूर्णकालिक रोजगार की तरह देखा जा सकता है? इस सवाल पर वह कहती हैं, “कश्मीर में इतना काम भरा पड़ा है. यह एक ऐसा काम है जिससे आपको और आपकी आत्मा को एक संतुष्टि भी मिलती है.”
वह बताती हैं, कि आर्ट के क्षेत्र में रोजगार के मौके भी निकल सकते हैं. उनका खुद का काम छोटे स्तर के कारोबार के रूप में जड़े जमाने लगा है. वह मानती हैं कि “लोग अगर इस फील्ड में आएँ तो रोजगार के काफी मौके हैं.”

वह आत्मसंतुष्टि को सबसे अहम चीज मानती हैं. वह कहती हैं, “इस काम से यह भी लगेगा कि हम अपना कुछ कर रहे हैं. मुझे नहीं लगता कि इससे बड़ी कोई बात कुछ और हो सकती है.”बरतनों को रंगती हुई सफिया कहती हैं, “कोई फील्ड ऐसा है जिसमें आपको लगता है कि आप आगे बढ़ सकते हैं तो उसको स्टडीज की वजह से मत छोड़िए. आप वैसी चीजों पर ध्यान केंद्रित करें जिससे आपकी आत्मा को भी खुशी मिले. दुनिया में एक खुश इंसान से बड़ा कुछ और नहीं होता.”

कश्मीर की वादी में खुश हो रहा युवा वर्ग पूरे देश के लिए भी खुशी का सबब है.