कभी सायरा बानो खाने को तरसती थीं अब सैकड़ों ‘भूखों’ का बनी हुई हैं सहारा

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] • 2 Years ago
सायरा बानो
सायरा बानो

 

मोहम्मद अकरम/ हैदराबाद

‘‘मैं हाजी घराने से हूं. अच्छे घराने से मेरा रिश्ता रहा है, पर वक्त और हालात ने मुझे बहुत परेशान किया. अब हालात बदल गए हैं. सब कुछ अच्छा हो रहा है,‘‘ यह कहना है एक ऐसी महिला का जिस ने शादी के बाद परेशानियों और मुसीबतों का लंबा दौर देखा है.

स्थिति इतनी बिगड़ी कि अपने पांच बच्चों के साथ ससुराल छोड़ कर घर से हैदराबाद के लिए निकल पड़ी. गांव से निकलते समय कुछ कपड़ों के सिवाए कुछ नहीं था. आज सब कुछ बदल चुका है. वह

हैदराबाद की महिलाओं के लिए मिसाल बन चुकी हैं.हैदराबाद शहर के चार मिनार इलाका के सईदआबाद के मालपुरा में अपने बच्चों के साथ रहने वाली सायरा बानो अब 500से 1000लोगों के लिए खाना तैयार करने का कारोबार करने लगी हैं.

सायरा बानो बताती हैं कि ‘‘मैं 2008में कर्नाटक के बीजापुर से पांच बच्चों के साथ हैदराबाद आई थी. तब मेरे साथ पांच बच्चों और अल्लाह के सहारा के सिवा कुछ नहीं था. अब अल्लाह का दिया सब कुछ है़

हैदराबाद पहुंचने के बाद कुछ दिनों तक समझ ही नहीं पाई कि क्या करूं ? हालात इतने खराब थे कि एक दिन दिल में आया कि जहर खा कर बच्चों के साथ जान दे दूं. फिर मैंने हौसले से काम लिया.

जब वह हैदराबाद आई थीं तब उन्हें तीन महीने, ढाई साल, सात साल, दस साल और बारह साल के पांच बच्चे-बच्चियां थे. यह 2008की बात है. अब सारे बच्चे बड़े हो चुके हैं. इनमें से दो बेटे और बेटियां मां के कारोबार को बढ़ाने में लगे हैं.

saira bano

सायरा बानो बताती हैं कि एक दिन जब एक दरगाह के बाहर बैठी थी तब उन्हें खाना बनाकर सप्लाई करने का ख्याल आया. इसके लिए सोने की बाली बेच कर खाना बनाने के समान, गल्ला खरीदा और किराए का एक ठीक-ठाक घर लिया.

फिर 50 लोगों के खाना बना कर सप्लाई करने का काम शुरू किया. सायरा बानो खाना बनाती और बच्चे उसे घरों एवं ऑफिस में पहुंचे. हैदराबाद में ऐसे लोग बड़ी संख्या में रहते हैं जो काम या पढ़ाई के सिलसिले में वहां आ कर रह रहे हैं. सायरा ऐसे बैचलरों के लिए भी खाना बनाकर दोपहर और रात में सप्लाई करती हैं. घर का बना भोजन होने के कारण लोग इसे पसंद करते हैं.

काम बढ़ा तो दो से पांच सौ लोगों के लिए खाना बनाने का काम शुरू कर दिया. अब हजार लोगों के लिए खाना बनाने-खिलाने का काम कर रही है. वह बताती हैं कि अब खाने का ऑर्डर कई सप्ताह पहले से आने लगता है.

इसके अलावा वह शादी-ब्याह और पार्टियों में भी चिकन, मटन और वेज बिरयानी सप्लाई करने लगे हैं. खाना बनाने के लिए उन्होंने कई लोगों को काम पर रख लिया है. इसके अलावा चार बच्चे-बच्चियां भी मां का हाथ बटाते हैं.

सायरा बानो अपनी जैसी हालात से मारी महिलाओं को हौसला देते हुए सुझा देती हैं,‘‘  हमें हमेशा याद रखना चाहिए कि हालात जैसे भी हा, हार कभी नहीं माननी चाहिए. इसके बीच से ही समस्याओं का हल निकलता है. समय और ऊपर वाले पर भरोसा रखते हुए हर हाल में प्रयास जारी रखना चाहिए.