महिला विरुद्ध अपराधों की गंभीर समीक्षा की जरूरत

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 1 Years ago
 महिला विरुद्ध अपराधों की गंभीर समीक्षा की जरूरत
महिला विरुद्ध अपराधों की गंभीर समीक्षा की जरूरत

 

'नारी विरुद्ध अपराध' दिवस पर विशेष 

राकेश चौरासिया / नई दिल्ली

सनातन वैदिक हिंदू धर्म और उसके सहोदर धर्मों के मुताबिक, स्त्री चाहे जितनी कम या ज्यादा उम्र की हो, उसे देवी और माता स्वरूपा माना गया है. यहां तक कि, ‘जहां नारी की पूजा होती है, वहीं देवताओं का वास होता है.’ इस्लाम में भी औरतों को बड़े इख्तयारात दिए गए. खुद पैगंबर हजरत मोहम्मद ने अपनी जिंदगी में हजरत खदीजा को आला मुकाम बख्शा.

इसके बावजूद हिंदुस्तान में औरतों के खिलाफ जरायम के बढ़ती फेहरिस्त चौंकाने वाली है. नेशनल क्राइम रिकॉर्ड ब्यूरो (एनसीआरबी) की रिपोर्ट के हौलनाक आंकड़े हमें बड़े जोर से मजबूर करते हैं कि हम फिर अपने मूल की ओर लौटें, मंथन करें और अमल करें. यानी दीनी तालीम के मुताबिक अमल करके औरतों के एहतराम के साथ उन्हें भी बराबरी का दर्जा बख्शें.

2021 की एनसीआरबी रिपोर्ट में दर्ज अपराध के आंकड़े बताते हैं कि भारत में महिलाओं के खिलाफ अब तक की सबसे अधिक 15.3 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई है.

महिला वर्ग के खिलाफ अपराधों में बलात्कार, हत्या के साथ बलात्कार, दहेज, एसिड अटैक, आत्महत्या के लिए उकसाना, अपहरण, जबरन शादी, मानव तस्करी, ऑनलाइन उत्पीड़न जैसे अपराध शामिल हैं.

इन आंकड़ों के मुताबिक महिलाओं पर किसी बाहरी व्यक्ति की तुलना में उनके पतियों, भागीदारों या परिवार के सदस्यों द्वारा हमला किए जाने की संभावना अधिक है.

तेजी से शहरीकरण और कार्यबल में महिलाओं की संख्या में वृद्धि के बावजूद, पितृसत्ता व्यवहार भी इन अपराधों का एक बड़ा कारण है. हाल में दिल्ली की एक युवती की उसके परिजनों ने ही ‘ऑनर किलिंग’ कर दी.

एक युवती के लिवइन पार्टनर द्वारा 35 टुकड़े कर दिए गए. 2012 में आत्मा को झकझोर देने वाले निर्भया सामूहिक बलात्कार ने राष्ट्र को नींद से जगाते देखा और महिलाओं की सुरक्षा के लिए मजबूत कानूनों की मांग सामने आई. जिस खतरनाक दर से महिलाओं के खिलाफ हिंसा जारी है, उससे लगता है कि इस देश और समाज को इस संदर्भ में गंभीर समीक्षा की आवश्यकता है.

देश में अपराधों पर नवीनतम सरकारी रिपोर्ट के अनुसार, भारत में 2021 में बलात्कार के 31,677 मामले दर्ज किए गए, औसतन 86 बलात्कार प्रतिदिन. 2020 में बलात्कार के मामलों की संख्या 28,046 थी, जबकि 2019 में यह 32,033 थी. राज्यवार, राजस्थान (6,337), मध्य प्रदेश (2,947), महाराष्ट्र (2,496) और उत्तर प्रदेश (2,845) मामले हुए, जबकि दिल्ली में 2021 में 1,250 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए. बलात्कार के लिए अपराध की दर (प्रति लाख जनसंख्या) राजस्थान (16.4) में उच्चतम थी, इसके बाद चंडीगढ़ (13.3), दिल्ली (12.9), हरियाणा (12.3) और अरुणाचल प्रदेश (11.1) का स्थान था. एनसीआरबी के अनुसार अखिल भारतीय औसत दर 4.8 थी.

2021 में देश भर में ‘महिलाओं के खिलाफ अपराध’ के कुल 4,28,278 मामले दर्ज किए गए, जिसमें अपराध की दर (प्रति एक लाख जनसंख्या) 64.5 थी. आधिकारिक आंकड़ों से पता चलता है कि ऐसे अपराधों में आरोप-पत्र की दर 77.1 थी. 2020 में महिलाओं के खिलाफ अपराधों के मामलों की संख्या 3,71,503 और 2019 में 4,05,326 थी. 2021 में, महिलाओं के खिलाफ अपराधों के अधिकतम मामले उत्तर प्रदेश (56,083) में दर्ज किए गए, इसके बाद राजस्थान (40,738), महाराष्ट्र (39,526), पश्चिम बंगाल (35,884) और ओडिशा में 31,352 मामले हैं. हालांकि, महिलाओं के खिलाफ अपराध की दर के हिसाब से, 2021 की सूची में असम (168.3) शीर्ष पर है. इसके बाद दिल्ली (147), ओडिशा (137), हरियाणा (119.7) और तेलंगाना (111.2) का स्थान है.

एनसीआरबी के आंकड़ों के मुताबिक, 2019 की तुलना में 2021 में उत्तर प्रदेश में महिलाओं और बच्चों के खिलाफ अपराध में क्रमशः 6.2 फीसदी और 11.11 फीसदी की कमी आई है.

राज्य में वर्ष 2019 में महिलाओं के खिलाफ अपराध के 59,853 मामले दर्ज किए गए, जो 2021 में घटकर 56,083 रह गए. उत्तर प्रदेश में 2021 में बलात्कार और हत्या जैसे गंभीर अपराध हुए.

बिहार को दहेज संबंधी मामलों में, 3,367 मामलों के साथ दूसरे स्थान पर रखा गया है, जो यूपी के बाद दूसरे स्थान पर है. यूपी में 2,222 के मुकाबले बिहार में दहेज के लिए कुल मिलाकर 1,000 महिलाओं की हत्या की गई. महिलाओं के खिलाफ अपराध में, बिहार (3,400 मामले) केवल यूपी (4,642 मामले) के बाद दूसरे स्थान पर है.

बलात्कार के मामलों में, हालांकि, बिहार (786) को 13वें स्थान पर रखा गया था, जबकि राजस्थान सूची में सबसे ऊपर है. महिलाओं की लज्जा भंग करने के इरादे से उन पर हमले के मामलों में राज्य 21वें स्थान पर है. आंकड़ों के अनुसार, बिहार में फिरौती के लिए महिलाओं के अपहरण या शादी के लिए मजबूर करने के 6,589 मामले दर्ज किए गए, जबकि 8,599 मामलों के साथ यूपी शीर्ष पर रहा.

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राजस्थान में 2021 में सबसे ज्यादा बलात्कार की रिपोर्ट हुईं और यह महिलाओं के खिलाफ समग्र अपराधों की दूसरी सबसे बड़ी संख्या है. 2021 में महिलाओं के खिलाफ समग्र अपराधों में राजस्थान, उत्तर प्रदेश के बाद दूसरे स्थान पर रहा और देश में सबसे अधिक 6,337 बलात्कार के मामले दर्ज किए गए.

इसने 19.34 प्रतिशत की वार्षिक वृद्धि को चिह्नित किया, क्योंकि 2020 में 5,310 मामले सामने आए थे. 2021 में अकेले राजस्थान में 6,337 बलात्कार के मामले दर्ज करना शर्मनाक है. आंकड़े न केवल शर्मनाक हैं, बल्कि राजस्थान को बुरी रोशनी देते हैं.

महिला विरुद्ध अपराधों की यह तस्वीर बताती है कि बढ़ते अपराधों के कारण महिलाएं सुरक्षित नहीं हैं. महिलाएं क्या पहनें, कहा जाएं और क्या करें, पुरातन सोच इसकी भी निगरानी करती है.

कई बार छोटी-छोटी बातें भी उनके खिलाफ हिंसा का कारण बन जाती हैं मसलन पत्नी की बनाई सब्जी पति को पसंद नहीं आई, तो उसकी हत्या कर दी. पूरे घर की सफाई व देखभाल, खाना बनाना, बच्चों की परवरिश आदि गृहकार्यों में दिन भर व्यस्त रहने वाली महिला को जरा सी चूक होने पर माफी की कोई गुंजाइश नहीं दिखती.

इसके अलावा घर से भी बाहर महिलाएं लोगों की बुरी सोच की शिकार हो जाती हैं. जब भी स्त्री विरुद्ध अपराधों की बात आती है, तो सख्त कानूनों की मांग की जाती है.

कानूनों में सुधार की जरूरत के साथ लोगों को समाज को भी अपनी जिम्मेदारी के लिए आगे आना चाहिए. दूसरों की बहन-बेटियों को अपनी बहन-बेटी मानने का प्राचीन नजरिया अब कहीं खोता दिख रहा है. समाज की चेतना जगाने की आवश्यकता है कि स्त्री कोई ‘अवसर’ नहीं, बल्कि आपका ‘दायित्व’ है. फिर वो चाहे किसी की भी बहन-बेटी क्यों न हो.