मुस्लिम महिलाओं को अदालत से बाहर ‘खुला’ तलाक देने का है अधिकार: हाईकोर्ट

Story by  मुकुंद मिश्रा | Published by  [email protected] | Date 15-04-2021
मुस्लिम महिलाएं
मुस्लिम महिलाएं

 

कोच्चि. केरल हाईकोर्ट ने 50 साल पुराने फैसले को पलटते हुए अपने ताजे फैसले में मुस्लिम महिलाओं को बड़ी राहत प्रदान की है. मुस्लिम महिलाओं द्वारा भी अपने पति को अदालत से बाहर तलाक दिया जा सकता है. अदालत ने ऐसे तलाक को वैध करार दिया है. ऐसे तलाक को खुला तलाक भी कहते हैं. अब से पहले मुस्लिम महिलाओं को अदालत से बाहर तलाक देने पाबंदी लगी हुई थी. 

केरल हाईकोर्ट के जस्टिस ए. मुहम्मद मुस्ताक और जस्टिस सीएस डायस की खंड पीठ ने कई याचिकाओं पर सुनवाई करते हुए अपने आदेश में कहा कि कोई मुस्लिम महिला खुला तलाक के अधिकार का इस्तेमाल करती है, तो वह मुस्लिम पुरुषों द्वारा दिए जाने वाले तलाक की तरह ही होगा.

मुस्लिम महिलाओं ने खुला तलाक के लिए परिवार अदालतों में कई याचिकाएं दायर की हुई थीं. 

इस तरह केरल हाईकोर्ट ने अपने वर्ष 1972 के एक फैसले को उलट दिया है. तब हाईकोर्ट कीएक एकल पीठ ने फैसला सुनाया था कि कोई मुस्लिम महिला अदालत के बाहर अपने पति को तलाक देने की हकदार नहीं है. तब कोर्ट का मानना था कि मुस्लिम महिलाओं को अपने पति को तलाक के लिए डिसॉल्यूशन ऑफ मुस्लिम मैरिजेज एक्ट 1939 के तहत अदालत में याचिका दायर करनी होगी. 

अब दो जजों की खंठपीठ ने कहा कि मुस्लिम महिलाएं अदालती तलाक के अलावा अदालत से बाहर अन्य इस्लामिक अधिकारों के तल्ख-ए-तफविज, खुला, और मुबारत आदि व्यवस्थाओं के तहत तलाक ले सकती हैं. इन व्यवस्थाओं का शरीयत अधिनियम की धारा 2 में उल्लेख किया गया है.

पीठ ने पवित्र कुरान की व्यवस्थाओं का हवाला देते हुए कहा कि कुरान में पुरुषों और महिलाओं को तलाक देने का समान अधिकार है.