हिजाब विवाद के बीच मिसाल बनीं हैदराबाद की छात्राएं

Story by  मोहम्मद अकरम | Published by  [email protected] • 2 Years ago
हिजाब विवाद के बीच मिसाल पेश कर रही हैं हैदराबाद की छात्राएं
हिजाब विवाद के बीच मिसाल पेश कर रही हैं हैदराबाद की छात्राएं

 

मोहम्मद अकरम/ हैदराबाद
 
कर्नाटक में अभी हिजाब विवाद चरम पर है. मगर इसी विवाद के बीच हिजाब पहनने वाली हैदराबाद की कुछ छात्राओं ने अपनी जैसी महिलाओं एवं लड़कियों के लिए एक ऐसी जगह विकसित की है जहां पार्टी से लेकर जिम तक कर सकें.

यहां तक कि इस जगह ड्राइविंग सीखनी से लेकर वर्क स्टेशन पर काम करने तक की सुविधा है. बुर्कानशीं और हिजाब पहनने वाली महिलाएं यहां वह सब कुछ कर सकती हैं जो एक ही छत के नीचे करना चाहती हैं. इस जगह को नाम दिया गया है पर्ल्स स्क्वायर.
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दरअसल, पल्र्स स्क्वायर एक रेस्टोरेंट है, जहां हिजाब में रहने वाली महिलाओं के लिए खास व्यवस्था है.हैदराबाद में मुस्लिम आबाद अच्छी खासी है. मगर हिजाब पहनने वाली लड़कियों की आम शिकायत है कि शहर में ऐसी कोई जगह नहीं जहां वह खुद को कम्फर्टेबल होकर कुछ समय बिता सकें.
 
इसी सोच ने शहर की पांच छात्राओं को  अपनी जैसी महिलाओं एवं लड़कियों के लिए ऐसी जगह विकसित करने को प्रेरित किया. अब हैदराबाद के टोली चैकी की ये लड़कियां समाज के लिए उदाहरण बन गई हैं.
 
टोली चैकी के आदित्य कालोनी में मौजूद पल्र्स स्क्वायर नामी रेस्टोरेंट मुस्लिम छात्राएं चलाती हैं. रेस्टोरेंट के अलावा यहां कई और तरह की सहुलतें भी मुहैया कराई जाती हैं.
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खाने का लुत्फ उठाती हिजाबनशीं महिलाएं
 
यहां हिजाब पहनने वाली महिलाओं के लिए खास तरह का जिम है. लड़कियां हिजाब में रहकर कई शिफ्ट में वर्जिश कर सकती हैं. आन लाईन आडर लेकर लोगों तक हाथ से बना खाना भी पहुंचाया जाता है. आर्डर भी केवल लड़कियों के लिए जाते हैं.यहां की सारी स्टाफ महिलाएं हैं. सभी हिजाब में रहती हैं.
 
इस बारे में रेस्टोरेंट के संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाली आबिदा फातिमा बताती हैं कि हमारी टीम ने शहर में मटरगश्ती के दौरान महसूस किया कि  उन जैसी हिजाब वालियों की लिए हैदराबाद में कोई जगह नहीं. तभी उन्हें आइडिया आया कि क्यों न  ऐसा माहौल तैयार किया जाए, जहां हिजाब में रहकर महिलाएं आजादी महसूस करें. समय बिताएं. 
 
वह बताती हैं कि आज कल घरों में जगह कम पड़ रही है. ऐसे में महिलाएं खुद को तंदुरुस्त रखने के लिए घर में वर्जिश नहीं करने में दुश्वारी महसूस करती सकतीं.
 
आम जिम में मर्दों और बच्चों की भीड़ रहती है. ऐसे में वो अच्छा महसूस नहीं करतीं. गार्जियन भी बहुत मुश्किल से बच्चियों को अकेले जिम भेजने को राजी होते हैं. 
 
उन्होंने बताया कि रेस्टोरेंट की शुरुआत उन्होंने मार्च 2021 में की है. शुरूआत में महिलाएं और लड़कियां कम आती थीं. अब हर समय भीड़ लगी रहती है. 
 
रेस्टुरेंट के कैम्पस में हिजाब पहनने वाली महिलाओं, लड़कियों के लिए बहुत कुछ है. जिम में महिलाओं के लिए महिला ट्रेनर कई शिफ्ट में वर्जिश कराती हैं. यहां कार ड्राईविंग स्कूल भी है जिसमें सिर्फ महिलाएं कार चलाना सिखाती हैं. यहां से ऑनलाइन खाना लोगों तक पहुंचाया जाता हैं. महिलाओं कोरोना मरीजों को अस्पताल पहुंचाने की व्यवस्था भी इसी एक छत के नीचे से करती हैं.
 
वह बताती हैं,हमारी सोच है कि जब लड़की या कोई महिला घर से कुछ देर के लिए बाहर निकले तो अपनी दोस्तों, बहनों के साथ समय में किसी तरह की दुश्वारी न आए. वह बताती हैं कि अब तो बहनें और सहेलियां जन्मदिन की पार्टी मनाने भी आने लगी हैं. 
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रेस्टोरेंट के संचालन की जिम्मेदारी संभालने वाली आबिदा फातिमा
 
आबिदा फातिमा आगे बताती हैं कि शुरुआती समय में परेशानी आई, जो वक्त के साथ गुजर गई. अब कई लड़कियों के ऑर्डर मिल रहे हैं.कानून की छात्रा नादिया बेगम बताती हैं कि यहां कई शिफ्ट में योग भी सिखाया जाता है.
 
बहुत सारे घरों में   लड़कियों के बाहर जाकर जिम, योगा करने पर पाबंदी है, मगर यहां आने से अब गार्जियन नहीं रोकते. उन्होंने बताया कि वह दो महीने से यहां आ रही हूं. खुद को सुरक्षित महसूस करती हैं.
 
जिम ट्रेनर सना सैयद बताती हैं कि जब मैं अपनी फैमिली के साथ किसी रेस्टोरेन्ट जाती थी तो हर जगह लड़के या मर्दे मौजूद होते थे. शहर में ऐसी कोई जगह नहीं थी जहां हिजाब में रहने वाली महिलाएं अपनी सहेलियों के साथ बैठकर बातें कर सकें.
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यहां का माहौल बिलकुल अलग है. यह सिर्फ महिलाओं के लिए है. महिलाएं पूरी आजादी के साथ पर्दे में रहकर समय बिता सकती हैं. यहां का वातावरण भी अच्छा. इस रेस्टोरेंट में बैठकर उन्हें यह डर नहीं सताता कि कोई उनकी तस्वीर तो नहीं ले रहा है, कोई देख रहा हैं, यहां महिलाओं के लिए सुकून है.
 
वह आगे बताती हैं कि हमारी फैमिली की तरफ से किसी तरह का कोई दबाव नहीं है, क्योंकि उन्हें मालूम हैं कि हम लोग यहां महिलाओं के बीच अच्छा काम कर रहे हैं.