'बुल्ली बाई' महिला की गरिमा पर सीधा हमला है: दिल्ली कोर्ट

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
'बुल्ली बाई' महिला की गरिमा पर सीधा हमला है: दिल्ली कोर्ट
'बुल्ली बाई' महिला की गरिमा पर सीधा हमला है: दिल्ली कोर्ट

 

नई दिल्ली. पटियाला हाउस कोर्ट के सत्र न्यायालय ने शनिवार को ‘बुल्ली बाई’ ऐप मामले के संबंध में विशाल सुधीर कुमार झा की अग्रिम जमानत याचिका खारिज कर दी और कहा कि आवेदक (विशाल सुधीर कुमार झा) के खिलाफ आरोप की प्रकृति गंभीर है, क्योंकि यह एक विशेष समुदाय की महिला की गरिमा और शील पर सीधा हमला है.

अतिरिक्त सत्र न्यायाधीश धर्मेंद्र राणा ने मामले में आदेश पारित करते हुए कहा, ‘मैं अतिरिक्त लोक अभियोजक से सहमत हूं कि अपराध के अस्पष्ट और अनिर्धारित पहलुओं को उजागर करने के लिए, आवेदक की निरंतर हिरासत में पूछताछ वांछनीय है. परिस्थितियों की समग्रता को देखते हुए, मैं आवेदन में कोई गुण नहीं पाया जाता है और उसे तदनुसार खारिज किया जाता है.’

अदालत ने पाया कि आरोपी नीरज बिश्नोई ने आवेदक (विशाल) और अन्य सह-आरोपियों के साथ मिलकर निंदनीय ‘बुल्ली बाई’ ऐप विकसित किया है. ‘मामले में आरोपी व्यक्तियों का आचरण धर्मनिरपेक्षता और किसी भी व्यक्ति की गरिमा और एक महिला का शील सुनिश्चित करने वाले बंधुत्व के हमेशा पोषित संवैधानिक लोकाचार के खिलाफ है.’

विशाल सुधीर कुमार झा ने अग्रिम जमानत याचिका में कहा कि वह बिहार का रहने वाला है और इंजीनियरिंग का छात्र है. वह फिलहाल कर्नाटक के एक हॉस्टल में रह रहा है. याचिका में कहा गया है कि आवेदक को वर्तमान मामले में झूठा फंसाया गया है, क्योंकि उसका कथित अपराध से कोई लेना-देना नहीं है.

आरोपी की दलील है कि कथित ऐप के निर्माण में आवेदक की कोई भूमिका नहीं है और यहां तक कि अगर, तर्कों के लिए, यह माना जाता है कि आवेदक ‘बुल्ली बाई’ ऐप का पालन कर रहा था, तो यह किसी भी तरह से एक अपराध का गठन नहीं करता है.

याचिका में आगे कहा गया है कि वर्तमान आवेदक ने खुद 4 जनवरी को साइबर क्राइम (बीकेसी) पश्चिमी डिवीजन, मुंबई के कार्यालय के सामने आत्मसमर्पण कर दिया था, लेकिन 10 जनवरी को, उसे कोरोना का सकारात्मक परीक्षण हुआ और बाद में, उसे 10 जनवरी को न्यायिक हिरासत में भेज दिया गया.

यह आगे प्रस्तुत किया गया है कि उसके सभी इलेक्ट्रॉनिक उपकरण अर्थात उसका मोबाइल फोन, लैपटॉप और दो सिम कार्ड पहले से ही जांच एजेंसी के कब्जे में हैं और इसलिए आवेदक द्वारा सबूतों के साथ छेड़छाड़ की कोई संभावना नहीं है. यह प्रस्तुत किया जाता है कि आवेदक वर्तमान मामले में अपनी गिरफ्तारी की आशंका जता रहा है और इस प्रकार अपनी अग्रिम जमानत याचिका दायर कर रहा है.

इससे पहले अदालत ने ‘बुली बाई’ ऐप के निर्माता नीरज बिश्नोई की जमानत याचिका खारिज कर दी थी और कहा था कि आरोपी द्वारा बनाए जा रहे इस ऐप पर अपमानजनक सामग्री और सांप्रदायिक रंग वाली आपत्तिजनक सामग्री वाली महिलाओं के खिलाफ बदनामी का अभियान चलाया गया था.

मजिस्ट्रेट कोर्ट ने पहले यह भी नोट किया कि तथ्यों से पता चलता है कि आरोपी ने ‘बुल्ली बाई’ ऐप बनाया था, जहां सोशल मीडिया पर प्रसिद्ध महिला पत्रकारों और एक विशेष समुदाय की मशहूर हस्तियों को लक्षित किया गया था और उन्हें एक उद्देश्य के साथ खराब रोशनी में पेश किया गया था. अपमान करना और उन्हें वस्तु द्वारा अपमानित करना.

नीरज बिश्नोई को हाल ही में दिल्ली पुलिस की स्पेशल सेल की इंटेलिजेंस फ्यूजन एंड स्ट्रैटेजिक ऑपरेशंस यूनिट की टीम ने असम से बुल्ली बाई मामले में कथित संलिप्तता के आरोप में गिरफ्तार किया था.

नीरज बिश्नोई (20) असम के जोरहाट के दिगंबर इलाके के रहने वाला है. वह वेल्लोर इंस्टीट्यूट ऑफ टेक्नोलॉजी, भोपाल का बी.टेक छात्र है.

दिल्ली पुलिस ने कहा था कि पूछताछ के दौरान, नीरज बिश्नोई ने खुलासा किया कि ऐप को नवंबर 2021 में विकसित किया गया था और दिसंबर 2021 में अपडेट किया गया था और उसने कहा था कि उसने ऐप के बारे में बात करने के लिए एक और ट्विटर अकाउंट बनाया था.

देश के पुलिस थानों को ‘बुल्ली बाई’ मोबाइल एप्लिकेशन पर ‘नीलामी’ के लिए मुस्लिम महिलाओं की सूची के संबंध में कई शिकायतें मिलीं, जिनमें बिना अनुमति के फोटो खिंचवाए गए और छेड़छाड़ की गई. एक साल से भी कम समय में ऐसा दूसरी बार हुआ है. ऐप ‘सुल्ली डील’ का क्लोन प्रतीत होता है, जिसने पिछले साल इसी तरह की एक लाइन शुरू की थी.