अनीसा बानो मेहता का राजस्थान क्रिकेट टीम के लिए चयन

Story by  राकेश चौरासिया | Published by  [email protected] • 2 Years ago
अनीसा बानो मेहता
अनीसा बानो मेहता

 

नई दिल्ली. भारत-पाकिस्तान सीमा पर राजस्थान के बाड़मेर जिले के एक छोटे से गांव कनासर की अनीसा बानो मेहता को चौलेंजर क्रिकेट ट्रॉफी 19 में चुना गया है.

27 अगस्त को जयपुर के सवाई मान सिंह स्टेडियम में राज्य स्तरीय ट्रायल में उन्हें गेंदबाज के रूप में चुना गया था. अनीसा राज्य की टीम के लिए क्रिकेट खेलने वाली जिले की पहली लड़की होंगी.

अनीसा का अब तक का सफर उन चीजों का रहा है, जिनसे फिल्में बनती हैं.

खेल, विशेष रूप से क्रिकेट में रुचि के साथ जन्मी अनीसा क्रिकेट के मैदान की सीमा से एक मैच देखती थी. लड़की होने के कारण उसे अंदर नहीं जाने दिया जाता था.

उसके गांव में लोग जीविकोपार्जन के लिए मवेशियों, भेड़ों और बकरियों की देखभाल करते हैं. स्कूल से घर जाते समय अनीसा बकरियों को चराने खेतों में जाती थी. उसे नहीं पता कि क्रिकेट के लिए उसका प्यार कैसे शुरू हुआ, लेकिन वह हमेशा मैच देखना पसंद करती थीं.

अगर गाँव में कोई मैच होता, तो वह बाउंड्री के पास बैठती और अच्छे प्रदर्शन की तालियाँ बजातीं. जब वह आठवीं कक्षा में थीं, तब उसने अपनी बकरियों को चराने के लिए दो घंटे क्रिकेट का अभ्यास करना शुरू किया.

जल्द ही एक आत्मविश्वास से भरी अनीसा गाँव में अपने भाइयों और अन्य बच्चों के साथ क्रिकेट खेल रही थी. यह 4 साल तक चला. उसके भाई को चैलेंजर ट्रॉफी 19 के लिए आसन्न ट्रायल के बारे में पता चला. उसने प्रतियोगिता के लिए अनीसा को पंजीकृत किया.

इससे पहले वह राज्य के टॉप 30 खिलाड़ियों में चुनी गई थीं. दूसरे ट्रायल में, वह राजस्थान के शीर्ष 15 गेंदबाजों की आकाशगंगा में शामिल हो गईं.

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अनीसा को उसके पिता याकूब खान लड्डू खिला रहे हैं


अनीसा का कहना है कि बचपन में उनके भाई और पिता घर में टीवी पर क्रिकेट देखा करते थे. उन्होंने बताया, “मैं मैच देखने के लिए उनके बगल में बैठ जाती. मैंने क्रिकेट में एक प्रशंसक और खेल प्रेमी के रूप में अभ्यास करना शुरू कर दिया.”

आज राजस्थान क्रिकेट टीम में चयनित होना उनका सपना सच होने जैसा नहीं है.

अनीसा के पिता याकूब खान पेशे से वकील हैं. उनका कहना है कि कई बार उन्होंने अनीसा को अपनी पढ़ाई पर ध्यान केंद्रित करने के लिए राजी किया, क्योंकि उनके गांव में क्रिकेट का कोई मैदान नहीं था और खेल की कोई सुविधा नहीं थी.

अनीसा को लड़कों के साथ खेलने की आजादी देने के लिए कभी-कभी गांव वाले उसे ताना भी मारते थे.

हालाँकि, अनीसा का दृढ़ निश्चय दृढ़ था, उसके पास क्रिकेट छोड़ने का कोई रास्ता नहीं था. वह आज सिद्ध हो गया है.

16 साल की अनीसा बानो अपने पांच भाई-बहनों में सबसे छोटी हैं - तीन बहन और एक भाई. उसके भाई-बहन या परिवार के किसी अन्य सदस्य ने कभी भी जिले के बाहर क्रिकेट नहीं खेला है. वह वर्तमान में कनासर हायर सेकेंडरी स्कूल में पढ़ रही है.

उसके भाई रोशन ने कहा कि पढ़ाई और खेल दोनों का माहौल नहीं होने के बावजूद वह राज्य की टीम में पहुंची है. उन्होंने अपनी कड़ी मेहनत और अभ्यास के दम पर यह मुकाम हासिल किया है.

इसमें कोई शक नहीं कि उनके परिवार को अपनी नन्ही अनीसा पर बहुत गर्व है.