विश्व कप 1996 : विज्ञापन कर पर कोलकाता नगर निगम की याचिका को उच्चतम न्यायालय ने खारिज किया

Story by  PTI | Published by  [email protected] | Date 14-11-2025
World Cup 1996: Supreme Court dismisses Kolkata Municipal Corporation's plea on advertisement tax
World Cup 1996: Supreme Court dismisses Kolkata Municipal Corporation's plea on advertisement tax

 

आवाज द वॉयस/नई दिल्ली

 
 उच्चतम न्यायालय ने शुक्रवार को कोलकाता नगर निगम की उस याचिका को खारिज कर दिया, जिसमें ईडन गार्डन में आयोजित 1996 के क्रिकेट विश्व कप के विज्ञापन कर के रूप में ‘क्रिकेट एसोसिएशन ऑफ बंगाल’ से 51.18 लाख रुपये का दावा करने संबंधी ‘डिमांड नोटिस’ को रद्द करने के आदेश को चुनौती दी गई थी।
 
निगम ने 27 मार्च 1996 को एक ‘डिमांड नोटिस’ जारी किया था, जिसमें ईडन गार्डन में आयोजित 1996 के विश्व कप उद्घाटन समारोह और सेमीफाइनल मैच के लिए विज्ञापन कर के रूप में एसोसिएशन से 51,18,450 रुपये का दावा किया गया था।
 
विश्व कप का उद्घाटन समारोह एसोसिएशन द्वारा 11 फरवरी 1996 को आयोजित किया गया था, जबकि सेमीफाइनल मैच 13 मार्च 1996 को हुआ था।
 
कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा इस वर्ष जून में दिये गए आदेश को चुनौती देने संबंधी नगर निगम की याचिका शुक्रवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
 
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के अप्रैल 2015 के आदेश के खिलाफ नगर निगम द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था।
 
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ नगर निगम की याचिका खारिज कर दी।
 
अपने आदेश में, उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा था कि बंगाल क्रिकेट संघ को कोलकाता स्थित ईडन गार्डन का पट्टा प्राप्त है और संपत्ति का मालिक भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय है।
 
इसने कहा था कि 1996 के क्रिकेट विश्व कप के दौरान स्टेडियम के अंदर और बाहर कुछ विज्ञापन लगाए गए थे।
 
नगर निगम ने कोलकाता नगर निगम अधिनियम 1980 के एक प्रावधान का हवाला देते हुए, जो विज्ञापनों पर कर से संबंधित है, विश्व कप के दो दिनों के लिए विज्ञापन कर के संबंध में एक डिमांड नोटिस जारी किया था।
 
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने मांग नोटिस को रद्द कर दिया था जिसके बाद निगम ने खंडपीठ का रुख किया था।
 
उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष नगर निगम की ओर से पेश वकील ने दलील दी थी कि जब ईडन गार्डन स्टेडियम के अंदर या बाहर विज्ञापन लगाए जाते हैं, तो ऐसे विज्ञापन सार्वजनिक स्थान से दिखाई देते हैं।
 
खंडपीठ ने कहा था, ‘‘हमारी राय में, जैसे ही किसी स्थान पर आम लोगों के प्रवेश के लिए शर्तें लगाई जाती हैं, वह स्थान सार्वजनिक स्थान नहीं रह जाता। किसी सार्वजनिक स्थान पर बिना किसी बाधा या शर्त के अनिर्धारित संख्या में लोग पहुंच सकते हैं।’’
 
निगम ने 27 मार्च 1996 को एक ‘डिमांड नोटिस’ जारी किया था, जिसमें ईडन गार्डन में आयोजित 1996 के विश्व कप उद्घाटन समारोह और सेमीफाइनल मैच के लिए विज्ञापन कर के रूप में एसोसिएशन से 51,18,450 रुपये का दावा किया गया था।
 
विश्व कप का उद्घाटन समारोह एसोसिएशन द्वारा 11 फरवरी 1996 को आयोजित किया गया था, जबकि सेमीफाइनल मैच 13 मार्च 1996 को हुआ था।
 
कलकत्ता उच्च न्यायालय की एक खंडपीठ द्वारा इस वर्ष जून में दिये गए आदेश को चुनौती देने संबंधी नगर निगम की याचिका शुक्रवार को न्यायमूर्ति विक्रम नाथ और न्यायमूर्ति संदीप मेहता की पीठ के समक्ष सुनवाई के लिए आई।
 
उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने एकल न्यायाधीश के अप्रैल 2015 के आदेश के खिलाफ नगर निगम द्वारा दायर अपील को खारिज कर दिया था।
 
शीर्ष अदालत ने उच्च न्यायालय के आदेश के खिलाफ नगर निगम की याचिका खारिज कर दी।
 
अपने आदेश में, उच्च न्यायालय की खंडपीठ ने कहा था कि बंगाल क्रिकेट संघ को कोलकाता स्थित ईडन गार्डन का पट्टा प्राप्त है और संपत्ति का मालिक भारत सरकार का रक्षा मंत्रालय है।
 
इसने कहा था कि 1996 के क्रिकेट विश्व कप के दौरान स्टेडियम के अंदर और बाहर कुछ विज्ञापन लगाए गए थे।
 
नगर निगम ने कोलकाता नगर निगम अधिनियम 1980 के एक प्रावधान का हवाला देते हुए, जो विज्ञापनों पर कर से संबंधित है, विश्व कप के दो दिनों के लिए विज्ञापन कर के संबंध में एक डिमांड नोटिस जारी किया था।
 
उच्च न्यायालय के एकल न्यायाधीश ने मांग नोटिस को रद्द कर दिया था जिसके बाद निगम ने खंडपीठ का रुख किया था।
 
उच्च न्यायालय की खंडपीठ के समक्ष नगर निगम की ओर से पेश वकील ने दलील दी थी कि जब ईडन गार्डन स्टेडियम के अंदर या बाहर विज्ञापन लगाए जाते हैं, तो ऐसे विज्ञापन सार्वजनिक स्थान से दिखाई देते हैं।
 
खंडपीठ ने कहा था, ‘‘हमारी राय में, जैसे ही किसी स्थान पर आम लोगों के प्रवेश के लिए शर्तें लगाई जाती हैं, वह स्थान सार्वजनिक स्थान नहीं रह जाता। किसी सार्वजनिक स्थान पर बिना किसी बाधा या शर्त के अनिर्धारित संख्या में लोग पहुंच सकते हैं।’’